खेल – मनोरंजन

कोर ओलंपिक खेलों को बढ़ावा देना जरूरी

छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक से प्रदेश में बन रहा खेल का माहौल

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
इन दिनों छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक स्पर्धा क्रम, स्तर आधार पर पूरे प्रदेश में जारी है। इसमें 8 दलीय खेल, 8 एकल खेलों को शामिल किया गया है। 16 खेलों में पारंपरिक खेल, लोक खेल और कुश्ती, 100 मी. दौड़, लंबीकूद जैसे कुछ ओलंपिक खेल भी सम्मिलित हैं। यह अच्छी परंपरा है कि स्थानीय खेलों को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन उन खेलों के अधिकांश के अलग से जिला, संभाग या राज्य स्तरीय प्रतियोगिता नहीं होती है। अधिकांश खेलों की राष्ट्रीय चैंपियनशिप नहीं होती है। जिससे छत्तीसगढ़ के इन खेलों के खिलाडिय़ों को आगे बढऩे का कोई अवसर नहीं है। छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक खेल की सबसे बड़ी खूबी यही है कि वह यहां के निवासियों को ना सिर्फ एक सूत्र में बांधने का कार्य कर रही है बल्कि खेलकूद के बहाने आपसी भाईचारा बढ़ाने शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहने का माध्यम है। मजेदार बात यह है कि यह तीन आयु वर्ग 18 वर्ष, 18 से 40 वर्ष तक तथा 40 से 60 वर्ष के उम्र तक के इच्छुक प्रतियोगियों के लिए है। अर्थात् छत्तीसगढ़ की आबादी करीब 2 करोड़ 85 लाख के दो तिहाई याने एक करोड 90 लाख लोग इस खेलकूद स्पर्धा में भाग ले सकते हैं। दूसरे शब्दों में छत्तीसढिय़ा ओलंपिक के द्वारा आगे बढऩे की उम्मीद बलवती होती है। परंतु जब 16 खेलों में से तीन चार में राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता होती है तो फिर छत्तीसगढ़ के निवासियों की संपूर्ण राज्य के खेलकूद टूर्नामेंट में भाग लेने की चाहत का लाभ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में सम्मिलित 28 कोर गेम्स द्वारा उठाया जा सकता है। जलक्रीड़ा, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बास्केटबाल, मुक्केबाजी, केनोइंग, सायकलिंग, घुड़सवारी, तलवारबाजी, फील्ड हाकी, फुटबाल, गोल्फ, जिमनास्टिक्स, हैंडबाल, जूडो, माडर्न पेंटाथलान, नौकायन, पाल नौकायन, रग्बी (सेवन), निशानेबाजी, टेबल टेनिस, टाइक्वांडो, टेनिस, ट्राइथलान, व्हालीबाल, भरोत्तोलन और कुश्ती कोड गेम्स है। छत्तीसगढ़ में जिस तरह की जीवनशैली, वातावरण, मौसम, सहन-सहन, खान-पान है उस दृष्टि से घुड़सवारी, गोल्फ, मार्डन पेंटाथलान, पाल नौकायन, रग्बी सेवन, निशानेबाजी, ट्राइथलान जैसे आठ खेलों को छोड़ देना चाहिए। अब बचे हुए 20 खेलों में से पदकों की संख्या पर नजर डालने से पता चलता है कि 20 से कम दांव पर लगने वाले खेलों में टेनिस, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, व्हालीबाल, तीरंदाजी, हाकी, फुटबाल, हैंडबाल, माडर्न पेंटाथलान, ट्राईथलान और बास्केटबाल मिलाकर 11 खेल हैं पंरतु इनमें से टेनिस, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, व्हालीबाल, तीरंदाजी, हाकी, फुटबाल, हैंडबाल, बास्केटबाल को रखा जा सकता है। बाकी बचे खेलों में एथलेटिक्स के 141, जलक्रीड़ा में 138, कुश्ती में 54, केनोइंग में 48, भारोत्तोलन में 42, मुक्केबाजी में 30, ताइक्वांडो में 32 पदक आधुनिक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में दांव पर लगते हैं। 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद मेरे द्वारा राजय के किशोरों, युवाओं को खेल संघ के पदाधिकारियों, खेल प्रशासकों, राजनेताओं को ओलंपिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर सुझाव दिया है। मैंने अपने उक्त विश्लेषण को ‘छत्तीसगढ़ में ओलंपिक खेलों के अकादमी के गठन पर शोध पत्रÓ का नाम दिया है जिसे 2019 में मेरे द्वारा वर्तमान सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया था। अत: जब छत्तीगसढिय़ा ओलंपिक खेलों के आयोजन के द्वारा हमारे इस प्रदेश में खेल का माहौल गांव-गांव, घर-घर बन रहा है तो उसका लाभ सही दिशा में उठाया जाए। आधुनिक ओलंपिक खेलों में जब छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों को पदक मिलेगा तो हमारे भारत देश के साथ राज्य का भी मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी। इससे प्रदेश में पर्यटन, व्यापार-व्यवसाय, कला-संस्कृति, परिवहन के क्षेत्र में अपार वृद्धि होगी। वैसे भी छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन तालाबों में नहाने, तैरने, नदियों को पार करने वाले मिलेंगे इससे तैराकी को बढ़ावा मिलेगा। प्रतिदिन स्कूल के बाद उसी सायकल से बाजार-हाट जाने वालों की बड़ी संख्या है इससे सायकलिंग में पदक की उम्मीद बढ़ेगी। कितने रोज 10-20 किमी पैदल चलते हैं तो पैदल चाल व एथलेटिक्स में फायदा मिलेगा। अपनी गुलेल से मारकर फल गिराने वालों को तीरंदाजी सिखाई जा सकती है। अत: ओलंपिक खेलों को बढ़ावा देना जरूरी है।

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