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खेल – मनोरंजन

भारत के रग-रग में बसा है शह-मात का खेल

शतरंज: भारतीय युवा खिलाडिय़ों ने विश्व में दबदबा कायम किया

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
भारत के प्राचीन खेलों में शतरंज का नाम शामिल है। ऐसा माना जाता है कि आज से करीब 3000 वर्ष पूर्व शतरंज के खेल की शुरुवात भारत में हुई जबकि इसे चतुरंग के नाम से जाना जाता था। बोर्ड में खेले जाने वाला भारत का प्राचीन खेल चतुरंग उस समय वृहत्तर भारत में बहुत ही लोकप्रिय खेल था। कुछ शोधकर्ता ऐसा दावा करते हैं कि विश्व की 5000 वर्ष प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता से इस खेल का जुड़ाव रहा है। इस तरह शतरंज के खेल के उत्पत्ति और चलन की जानकारी प्रचलित रही है। वास्तव में चतुरंग/शतरंज के बारे में स्पष्ट जानकारी उत्तर भारत में गुप्त साम्राज्य काल के उपलब्ध सहित्य ‘ब्रह्मभट्ट हर्ष चरिताÓ (625 ई.) में चतुरंगा का उल्लेख हुआ है। स्टेवर्ट कुलीन के अनुसार हिंदू धर्मशास्त्र भविष्य पुरान में सबसे पहले चतुरंग के बारे में जानकारी मिलती है। इस तरह शतरंज की जड़े भारत की आत्मा में निवास करती है और यहां के निवासी इसलिए शतरंज के प्रति लगाव रखते हैं। इसका प्रमाण है कि हमारे देश के शतरंज खिलाडिय़ों ने दुनिया में धाक जमा रखी है। मेनुएल आरोन को सफल शतरंज खिलाड़ी होने के कारण 1961 में सबसे पहले अर्जुन पुरस्कार दिया गया। इसके 19 वर्षों बाद खाडिलकर को 1980-81 में फिर 1983 में दिव्यांदु बरुआ को तथा 1984 में प्रवीण थिप्से अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1985 में महान शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथ आनंद को यह सम्मान दिया गया। फिर देवकी प्रसाद, भाग्यश्री थिप्से, अनुपमा गोखले को अर्जुन पुरस्कार मिले। जैसे कि हर खेल में कुछ ना कुछ अंतराल होता है वैसे ही 10 वर्ष पश्चात विजयलक्ष्मी सुब्रमन, 2002 में कृष्ण शशिकिरण, 2003 में कोनेरु हंपी, 2005 में सूर्या शेखर, 2006 पी. हरिकृष्णा, 2008 डी.हरिका, 2009 में तान्या सचदेव, 2010 में परिमरंजन नेगी को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2013 में अभिजीत गुप्ता, 2022 में आर प्रग्गानंदा तथा भक्ति कुलकर्णी को एक साथ दिया गया। शतरंज की उपरोक्त उपलब्धि हमारे देश की आने वाली पीढ़ी को ऊर्जा प्रदान करती है। इसका प्रमाण है कि आज भारत के वरिष्ठ और युवा खिलाड़ी शतरंज की रेकिंग में विश्व स्तर पर स्थािपत हैं। जूनियर वर्ग में फरवरी 2024 के लिए जारी विश्व वरीयता सूची में प्रथम दस स्थानों में भारत के पांच प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों ने अपनी जगह बनाई है। इनमें 2747 अंकों के साथ प्रथम स्थान पर प्रग्गानंदा, तीसरे स्थान पर डी गुकेश (2743), छठवीं जगह पर 2693 अंकों के साथ निहाल सरीन, 2654 अंक लेकर सातवे स्थान पर रौनक साधवानी तथा लियोन ल्यूक 2631 अंक लेकर दसवें स्थान पर बनेहुए हैं। दूसरी तरफ भारत की दो बालिकाएं क्रमश: दिव्या देशमुख 2427 दूसरे तथा सरयू वैलपुला 2444 पहले स्थान पर हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि शतरंज जो कि गैर ओलंपिक खेल है उसमें हमारे खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। इस खेल में एकाग्रता, त्वरित निर्णय, दूरदृष्टि का विशेष महत्व है। भारत के शतरंज के युवा खिलाड़ी अपनी बौद्धिक क्षमता और खेल के प्रति समर्पण के द्वारा भारत का नाम रौशन कर रहे हैं साथ ही नये कीर्तिमान भी स्थापित कर रहे हैं। 18 वर्षीय आर प्रग्गानंदा ने 2747 अंक प्राप्त करके भारत के विश्वनाथन आनंद से भारत के नंबर एक शतरंज खिलाड़ी होने के गौरव प्राप्त कर लिया। आनंद 1987 से 2023 जनवरी तक लगातार हमारे देश के प्रथम स्थान प्राप्त खिलाड़ी बने रहे। इस खेल में अपनी संतानों को प्रोत्साहित करने और आगे बढऩे का हौसला देने का काम उनके अभिभावक करते हैं अत: ऐसे अभिभावकों को कभी भूला नहीं जा सकता। सचमुच वे बधाई के पात्र हैं।

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