खेल – मनोरंजन

खतरे में खेल भावना, घुलता जा रहा जहर

कट्टर राष्ट्रप्रेम की वजह से अब खिलाडिय़ों में बढ़ रहे मतभेद

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
सदियों पहले जब खेलकूद की शुरुआत हुई तो उस समय इसका उद्देश्य शरीर को स्वस्थ रखना, मनोरंजन करना या अन्य लोगों को उसमें सम्मिलित करना तथा जब कुछ भी काम नहीं तो समय को निकालना था। खेलों की दुनिया के चिकित्सकों, मनोवैज्ञानिकों, कसरत विशेषज्ञों किसी से भी पूछ लिया जाए तो पता चलेगा कि खेलों के संसार में ईष्र्या, घृणा, दूसरे को अपमानित करना आदि की भावना का खिलाड़ी के जीवन में कोई स्थान नहीं था। समय के परिवर्तन के साथ-साथ किसी खेल स्पर्धा, आयोजक, प्रतिभागियों के मन मस्तिष्क में हार-जीत प्रतिष्ठा से जुड़ गया तो फिर खेल भावना में दीमक लगना आरंभ हो गया। श्रेष्ठ होने की चाहत ने आपस के समूहों, नगरों, राज्यों, देशों में अपना पैर जमा लिया। चाहे क्लब स्तर का मुकाबला हो या फिर अंतर्राष्ट्रीय अब तो परिस्थिति तेजी से बदलने लगी और धीरे-धीरे मुकाबले में युद्ध जैसे बर्ताव करना खिलाडिय़ों, आयोजकों, खेल संघ के पदाधिकारियों ने शुरू कर दिया। अब जो बीज हमारे समाज के कर्णधारों ने खेल व खिलाडिय़ों के बीच में बोया था आज वह विशाल वृक्ष बन गया है जिसमें फल और फूल भी आने लगे हैं। इसका सबसे ताजा उदाहरण टेनिस की विम्बल्डन जैसी प्रतिष्ठित प्रतिस्पर्धा के दौरान प्री क्वार्टर फायनल मैच में देखने को मिला। हम सब जानते हैं कि पिछले करीब डेढ़ वर्षों से रूस और यूक्रेन की देशों के बीच युद्ध चल रहा है। इसमें कुछ देश यूक्रेन के साथ कुछ रूस के साथ हैं। रूस को साथ देने वालों में प्रमुख बेलारूस है जबकि यूक्रेन के साथ यूरोप के व दुनिया के कई देश हैं। विम्बल्डन को टेनिस का सबसे गौरवशाली चैंपियनशिप माना जाता है। इसके प्री क्वार्टर फायनल में यूक्रेन की एलेना स्वितोलिना का मुकाबला बेलारूस की विक्टोरिया अजारेंकाके बीच मुकाबला हुआ ने मैच की समाप्ति के पश्चात स्वितोलिना ने अपनी प्रतिद्वंद्वी विक्टोरिया से हाथ नहीं मिलाया। वस्तुत: मुकाबले की समाप्ति के बाद जय-पराजय को भूलते हुए एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं माना जाता है इससे खेल भावना बलवति होती है। अब यह मुद्दा गहरा गया जब यूक्रेन की स्वितोलिना ने स्पष्ट कर दिया कि वह आगे भी अवसर आने पर बेलारूस के खिलाडिय़ों से हाथ नहीं मिलायेंगी और विम्बल्डन टेनिस टूर्नामेंट के आयोजकों को सलाह दे डाली कि भविष्य में ऐसा व्यवस्था जारी रखने के लिए आयोजकों को प्रावधान करना चाहिए।
इस तरह राष्ट्रप्रेम के सामने खेल भावना को अपमान सहना पड़ा है। इस तरह के निर्णय से अभी तक पता नहीं चला कि विंबल्डन के आयोजकों ने क्या निर्णय लिया है लेकिन स्पष्ट है कि खेल में एक नई गलत परंपरा की शुरुआत हुई है। कोई दो देशों का संबंध आपस में खराब है तो इसका भड़ास खेल के मैदान में निकालना वस्तुत: अनुशासनहीनता है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक परिषद के अंतर्गत टेनिस का खेल संगठन भी आता है अत: इस दिशा में सही व कठोर कदम उठाने की जरूरत है। इतिहास पर नजर डालने से स्पष्ट है कि कट्टरता ने कई परंपराओं को नष्ट किया है अत: खेल दुनिया को सचेत होने की आवश्यकता है ताकि खेल भावना खत्म न हो।

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