राज्य के खेल इतिहास का स्वर्णिम अवसर
फिलहाल साफ्टबाल के माध्यम से 2022 के एशियाई खेलों में होगी छत्तीसगढ़ की उपस्थिति
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
कोरोना विषाणु के संक्रमण की वजह से प्रभावित 2022 के एशियाई खेल अब 23 सितंबर से 8 अक्टूबर 2023 तक चीन के हांगझोऊ में होंगे। इसके साथ ही भारतीय खिलाडिय़ों के चयन की प्रक्रिया विभिन्न खेलों में शुरु हो चुकी हैं। इसी क्रम में एथलेटिक्स, कुश्ती आदि खेलों की भारतीय टीम की घोषणा हो चुकी है। कल सोमवार को भारतीय महिला साफ्टबाल टीम की घोषणा जैसे ही हुई छत्तीसगढ़ के खेल जगत में खुशी की लहर दौड़ गई। इस टीम में रायपुर की गंगा सोना का 16 सदस्यीय टीम में चयन हुआ जबकि एक अन्य महिला खिलाड़ी प्रीति वर्मा को रिजर्व खिलाड़ी के रूप में रखा गया है। सबसे उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इस खेल की महिला वर्ग का कांस्य पदक राष्ट्रीय खेलों 2022 में तथा साफ्टबाल के राष्ट्रीय चैंपियनशिप में एक बार कांस्य पदक जीतने वाली छत्तीसगढ़ की साफ्टबाल टीम के खिलाडिय़ों को शासकीय तौर पर क्या मदद मिली इसकी छानबीन कर ली जाए तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। खुशी के अवसर पर राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन या राज्य स्थापना दिवस पर मिले पुरस्कार के अलावा साफ्टबाल के खिलाडिय़ों, प्रशिक्षक, सपोर्ट स्टाफ को छत्तीसगढ़ शासन के खेल विभाग द्वारा किस तरह की मदद प्रदान की गई इसके बारे में जिक्र नहीं करना चाहते। आज के चकाचौंध भरे माहौल में भले ही साफ्टबाल की चमक आम लोगों को दिखाई नहीं दे रही है लेकिन इस खेल के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की पहचान ने एक अलग मुकाम बना लिया है। इस उपलब्धि पर आज साफ्टबाल एसोसिएशन के पदाधिकारी, साफ्टबाल के अभ्यास में मदद करने वाले निकटतम सहयोगी और इस खेल की सामग्री स्लेगर, गेंद, दास्ताने, जूते, मोजे और खिलाडिय़ों के खान-पान (डाइट) उपलब्ध कराने वाले आर्थिक मददगार तथा बच्चों को साफ्टबाल खेलने के लिए प्रोत्साहित करने वाले अभिभावक सभी की आंखों में खुशी के आंसू होंगे। वस्तुत: छत्तीसगढ़ के खेल प्रेमियों को, उदयीमान खिलाडिय़ों को, उनके अभिभावकों को यह उल्लेख करना ज्यादा उत्साहवर्धक रहेगा कि अगर साफ्टबाल ही नहीं किसी खेल के समस्त साथियों ने ठान लिया कि हमें अपने प्रदेश, अपने देश, अपने परिवार के सदस्यों, अपने प्रशिक्षक, खेल संघ के पदाधिकारियों, सहयोगी सदस्यों और पर्दे के पीछे अपनी जेब से पैसा लगाने वालों का सिर ऊंचा करना है, उनकी उम्मीद के बीज का फल उन्हें देना है, उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना है तो फिर साफ्टबाल की टीम के साथ महान महिला खिलाड़ी गंगा सोना, प्रीति वर्मा जैसा अद्भुत प्रदर्शन करना होगा। गेंद को मारने वाला स्लेगर भले ही एक से डेढ़ लाख तक का नहीं मिला सिर्फ 10, 20, 30 हजार तक के स्लेगर से प्रेक्टिस किया। 2000 रुपए की गेंद से अभ्यास नहीं करके पैसों के अभाव में 500 रुपए की गेंद से खेला, 30 हजार के दास्ताने की जगह 1 से 2 हजार के दास्ताने से काम चलाया। कोई बात नहीं। परंतु साफ्टबाल के महिला खिलाडिय़ों में से गंगा सोना और प्रीति वर्मा को इससे खेल में कोई फर्क नहीं पड़ा उन्होंने और उनके अन्य साथी खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों, सहयोगियों की नजरें नीचा नहीं होने दी। छततीसगढ़ में एक ही खेल के करोड़ों रुपये के कई खेल परिसर, मैदान स्टेडियम बनाये जा रहे हैं लेकिन जिन खिलाडिय़ों के लिए ओलंपिक खेलों में भाग लेने की संभावना है, उस ओर न तो राजनेता, न ही प्रशासनिक अधिकारी ध्यान दे रहे हैं। खेलकूद में शासन के द्वारा सुविधा दिये जाने के बावजूद ऐसे कई खेल हैं जिनमें कोई उपलब्धि नहीं है फिर भी एक ही प्रशासनिक अधिकारी को कीर्तिमान के साथ खेल विभाग की निरंतर जिम्मेदारी दे दी गई है। एशियाड में छत्तीसगढ़ की खिलाड़ी का चयन यह एक अभूतपूर्व क्षण है। आइये पिछली बातों पर चिंतन मनन करके गलती सुधार कर सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े।