साकार हो रहा एक भारतीय का सपना
रोलबॉल: विश्वकप पुणे में आगामी 21 से 26 अप्रैल 2023 तक खेला जाएगा
जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
खेलों की दुनिया बहुत विशाल है। मनोरंजन के लिए खेले जाने के कारण खेलकूद की छाप मनुष्य के जीवन में गहरी होती चली गई। वर्तमान युग में मानव जाति अधिक से अधिक आनंद के साथ जिंदगी बिताने का प्रयास करती है। इसमें ना तो उन्हें धन की चिंता होती है ना ही शारीरिक रूप से चोट लगने का भय होता है। 20 वीं सदी के आखिरी दशक से लेकर 21वीं सदी के पहले दशक तक खेलकूद के संसार में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं। प्रत्येक खेल के रफ्तार को बढ़ाने या निर्धारित समय में रोमांचक ढंग से समापन कराने के लिए नियम कानून या स्कोरिंग पद्धति में परिवर्तन लाये गये। टेबल टेनिस, बैडमिंटन, व्हालीबॉल, क्रिकेट, शतंरज, हाकी आदि खेलों के प्रति आम दर्शक,खेलप्रेमियों का लगाव बढ़ाने के प्रयास को अंतर्राष्ट्रीय खेल फेडरेशन से लेकर खेलों के राष्ट्रीय खेल संघों ने अपनी सहमति दी। नये खेलों को मान्यता प्रदान की गई है। ऐसे ही खेलकूद में एक रोलबॉल को 21वीं सदी में निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके मैच के दौरान खिलाड़ी लगातार खेल क्षेत्र के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक आक्रमण/बचाव करने की कोशिश में दौड़ते भागते रहते हैं। रोलबॉल का खेल हैंडबॉल, थ्रोबॉल, स्केट्स और बास्केटबॉल खेल से बना हुआ खेल है। गेंद, रोलर स्केट्स,पेड, हेलमेट जरूरत पडऩे पर बाडी की सुरक्षा कवच के रूप में अन्य उपकरण की आवश्यकता होती है। इस खेल के लिए सतह कड़ी का होना अनिवार्य है। इस खेल का अविष्कार करने का श्रेय पुणे (भारत) के क्रीड़ा शिक्षक राजू दाभाडे को जाता है। किसी बास्केटबॉल मैच के दौरान उन्हें लगा कि स्केट्स पहनकर इस तरह का नया खेल बनाया जा सकता है।जिसमें खिलाड़ी स्केटिंग करते हुए गेंद को गोलपोस्ट में डालेगा। आखिरकार भारत के महान खेल विशेषज्ञ राजू दाभाडे ने रोलबॉल नाम से पूरी दुनिया के सामने नये खेल को प्रस्तुत किया। राजू ने इस खेल के नियम बनाये और पुणे में 2005 में पहली बार रोलबॉल खेल के मैच को मैदान में उपस्थित दर्शकों, खेल के प्रति लगाव रखने वाले युवाओं तथा खेल प्रेमियों के समक्ष दिखलाया। राजू दाभाडे की मेहनत रंग लाई और भारत में उत्पन्न खेलों में एक और रोलबॉल का नाम शामिल हो गया है। राजू एक जुझारू और मजबूत इच्छा शक्ति के प्रतीक व्यक्तित्व निकले उन्होंने रोलबॉल को पहले महाराष्ट्र फिर हमारे देश के विभिन्न प्रांतों में शुरू करवाया। रोलबॉल को केंद्र सरकार और कई राज्यों की सरकारों ने मान्यता प्रदान की है। रोलबॉल के लिए स्वयं का धन, अपने जीवन का कीमती समय सब कुछ दांव पर लगाकर राजू ने इस खेल को विश्व खेल मंच पर प्रस्तुत किया। उनके प्रयासों की बदौलत यह खेल आज दुनिया के 60 से 70 देशों में खेला जा रहा है। इस खेल के जन्मदाता दाभाडे की कोशिश ने भारत का नाम पूरे जगत में रोशन किया है। रोलबॉल को प्रसिद्धि दिलाने के लिए उनके प्रयास ने सफलता पाई और इस खेल का नया विश्वकप संस्करण पुणे में आगामी 21 से 26 अप्रैल तक आयोजित होने जा रहा है। इसके पूर्व पहली विश्वकप स्पर्धा भारत में 2011 में दूसरी नैरोबी, केन्या में 2013 में तीसरी, 2015 में पुणे,भारत में जबकि चौथी 2017 में बांग्लादेश में संपन्न हुई।विश्वकप चैंपियनशिप का खिताब अब तक क्रमश: डेनमार्क, ईरान, भारत, ईरान और पुरुष वर्ग में भारत तथा महिला वर्ग में भारत की टीम ने जीता है। इस तरह रोलबॉल को विश्व स्तर पर पहुंचाने के संकल्प को पूरा करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़े एक सच्चे राष्ट्रभक्त और खेलों के लिए समर्पित राजू दाभाडे का सपना धीरे-धीरे पूरा होते जा रहा है। इससे सभी भारतीयों का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है।