केंद्र सरकार की खेल नीति ला रही है रंग
एशियन पेरा गेम्स : 2023, चीन के हांगझाऊ में 22 से 28 अक्टूबर तक खेला जा रहा है
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
मनुष्य के संसार में जन्म लेने के पश्चात कई तरह से एक दूसरे बच्चे में अंतर की चर्चा होती है। कही रंग में, कही अमीर-गरीब होने पर भेदभाव की शुरुवात हो जाती है। समय के परिवर्तन के साथ साथ मानव समाज में अब ऐसे बातों की ओर ध्यान कम दिया जा रहा है। इसी तरह सामान्य व असामान्य बच्चे को एक समान दृष्टि से देखने के लिए आज का आधुनिक शिक्षित वर्ग परिपक्व हो चुका है। सामान्य बच्चे में शारीरिक रूप से परिवर्तन नहीं होता जबकि असामान्य बच्चे में मानसिक या शारीरिक रूप से कमी पाई जाती है। दुनिया के प्रत्येक देश में ऐसे बच्चों के लिए अलग-अलग शिक्षा, रोजगार, खेलकूद के अवसर दिये जाने की परंपरा 20वींसदी के उत्तराद्र्ध से आरंभ है। शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों, किशोरों, युवाओं के लिए खेलकूद पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि ऐसे वर्ग के लोगों के मन में अपने आपमें हीनभावना पैदा न हो। इस बात को ध्यान में रखते हुए खेलों की सबसे बड़ी व प्रतिष्ठित संस्था अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने बाकायदा प्रस्ताव पारित करके पेरा ओलंपिक खेल तथा महाद्वीपीय पेरा गेम्स के आयोजन का निर्णय लिया। इसकी शुरुवात 1948 में हुई लेकिन व्यवस्थित ढंग से 1960 में रोम ओलंपिक खेलों के दौरान पेरालिंपिक गेम्स आरंभ हुए 1960 में जहां 23 देशों के 400 एथलिटों ने भाग लिया वहीं 2020 के टोक्यो जापान पेरालिंपिक तक 163 देश में पेरालिंपिक कमेटी को मान्यता दी जा चुकी है और 4000 से अधिक एथलीटों ने भाग लिया। असामान्य वर्ग के दिव्यांग प्रतिभागियों आमतौर पर मानसिक रूप से कमजोर या देखने, सुनने, चलने, बोलने में तकलीफ वाले या पैर, हाथ आदि में कुछ कमी वाले सम्मिलित हैं। ऐसे वर्ग के प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों के लिए एशिया महाद्वीप में एशियाई खेलों के तुरंत बाद पैरा एशियाई खेलों के आयोजन की परंपरा 2010 में चीन के गुआंगझाऊ एशियाड के तुरंत बाद शुरु हुई। अब तीन बार क्रमश: 2014 में इंचिओन (दक्षिण कोरिया) तथा 2018 में जकार्ता (इंडोनेशिया) में सफलतापूर्वक सम्पन्न हो चुकी है। इन दिनों चौथी पैरा एशियाड मुकाबले चीन के हांगझाऊ शहर में खेली जा रही है। केंद्र की वर्तमान सरकार दिव्यांगों की इस स्पर्धा के आयोजन के लिए काफी गंभीर है और भारत के खेल मंत्रालय के साथ भारतीय खेल प्राधिकरण ने अनेकों दिव्यांग खिलाडिय़ों को पेरा एशियाड 2023 में अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए तैयार किया है। इस प्रतियोगिता में 22 खेल के मुकाबले 566 स्वर्ण पदकों के लिए हो रहे हैं। इसमें तीरंदाजी, केनोइंग, गोलबाल, टेबल टेनिस, व्हीलचेयर, बास्केटबाल, व्हीलचेयर तलवारबाजी, व्हीलचेयर टेनिस, रोड व ट्रेक सायकलिंग, तैराकी, नौकायन, बोसिया, बैडमिंटन, एथलेटिक्स, चेस, गो (बोर्ड गेम्स), (फुटबाल 5 ए साइड), लान बाल्स, ताइक्वांडो, सीटिंग व्हालीबाल, निशानेबाजी, शक्तितोलन, जूडो शामिल है। 2010 में भारत ने एक स्वर्ण, चार रजत, नौ कांस्य सहित 14 पदक जीते थे। जबकि 2014 में तीन स्वर्ण, 14 रजत, 16 कांस्य सहित 33 पदकों पर कब्जा जमाया था। 2018 के जकार्ता पेरा एशियाड में भारत के जांबाज दिव्यांग प्रतिभागियों ने 15 स्वर्ण, 24 रजत, 33 कांस्य के साथ कुल 72 पदकों पर कब्जा जमाया था। 2022 का पेरा एशियाड कोरोना महामारी के कारण 2023 में हांगझाऊ में खेली जा रही है जिसमें हमारे खिलाडिय़ों ने पिछले सभी कीर्तिमान को भंग करते हुए अब तक 18 स्वर्ण, 21 रजत, 38 कांस्य पदकों के साथ कुल 77 पदकों को जीत लिया है। भारत की इस उपलब्धि का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खेलनीति को जाता है जिसका लाभ उठाकर हमारे प्रतिभा संपन्न दिव्यांग प्रतिभागी भारत का नाम रौशन कर रहे हैं।