कमाल है वनाधिकार पट्टा पहले मिलता है पेड़ों की कटाई होती है बाद मेेंं
राजिम । छुरा वन परिषेत्र छुरा के अंतर्गत हमेशा से वन भूमि के बड़े झाड़ के जंगल मे अतिक्रमण वा पहाड़ काटकर पोल्ट्री और आलिशान घर बनने के साथ हि बिना जंगल कटे हि वन अधिकार का पट्टा मिल जाना । और उसमे बिना खेती किय धान बेचना यहां के लिए कोई आश्चर्य की बात नही है ये यहां के लिए आम बात हो गया है पर कार्यवाही नही कर पाने से अतिक्रमणकारियो का हौसला बुलंद है ऐसे मे हरे भरे जंगल मे पेड़ो को काटा जाय और जब पता चलता है की यह तो वन अधिकार का पट्टा मिला हुवा जमीन है ।ऐसा हि कुछ इस परिक्षेत्र के बिरणी बाहरा बिट के नागिन बहरा के जंगल मे देखने को मिला जहा एक किसान को ढाई एकड़ वन अधिकार पट्टा के नाम पर मिला पर किसान अभी उसमे पेड़ काटकर जमीन बनाना चालू किया है ऐसे मे सवाल् यह है की पट्टा पहले मिलना है या जो जंगलो मे 2005 से पहले वन भूमि मे काबिज है उनको पट्टा देना है ।इस प्रकार यहां ऐसे सैकड़ो मामले है जिसमे पहले वन अधिकार पट्टा मिला और किसान अब जाकर हरे भरे पेड़ो को काटकर खेत बना रहे है और तो और बिना खेत बोय हि सरकारी धान खरीदी केन्द्रो मे धान भी बेच रहे है । इस बात की जानकारी सम्बन्धित बिटगार्ड को दिया गया तो मौक़े पर अपने साथ वन विभाग का चुौकीदार वन प्रबंधन समिति अध्यक्ष और कुछ ग्रामीणों को लेकर पहुचे और बिटगार्ड देव कुमार साहू ने बताया की वन अधिकार पट्टे के तहत 2007 मे यह जमीन रतन कमार को ढाई एकड़ मिला है जो डेढ़ एकड़ मे खेती कर रहा है और बकी एक एकड जमीन को अभी खेत बना रहा है । और खेत बनाने के लिए हि पेड़ को काटे है ।