खेल प्रतिभाओं का हौसला बढ़ाने का दिन
राष्ट्रीय खेल दिवस: 2023, खिलाडिय़ों के साथ अभिभावकों का भी रखा जाए ध्यान
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
हमारे देश में खेलकूद को शारीरिक रूप से चुस्त दुरुस्त रहने का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। इसके अलावा खेलकूद प्रतियोगिता को एक दूसरे के संस्कार, संस्कृति को जानने पहचानने का अवसर भी स्वीकारा जाता है। भारत गांवों में बसा हुआ देश है अत: यहां पर स्थानीय पारंपरिक, प्राचीन खेलों का चलन है अत: खेलकूद समय बिताने और मनोरंजन का बड़ा साधन है। पहले हमारे देश में खेलकूद में भाग लेने वालों के बारे में सोच बिलकुल साधारण रही है इसलिए पढ़ाई की अपेक्षा उस पर कम ही ध्यान दिया जाता रहा है। परंतु समय के बदलाव के साथ-साथ अब खेल स्पर्धा में प्राप्त उपलब्धि से विश्व गुरु होने का विचार आ गये हैं। अत: 20वीं सदी के अंतिम दो दशक से खेलकूद से जुड़े खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों, खेल सामग्री उत्पादकों, खेल सहायकों, आयोजकों का महत्व बढ़ गया है। 21वीं सदी के आरंभ से ओलंपिक खेल और नान ओलंपिक खेल में प्राप्त उपलब्धि पर दो अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है। ओलंपिक खेलों में प्राप्त सफलता को इन दिनों अधिक महत्व दिया जा रहा है तथा ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में शामिल 28 मुख्य खेलों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। एक अर्सा पूर्व खेल प्रतियोगिताओं में हासिल उपलब्धि को दर्शाने के लिए 15 अगस्त 1947 में भारत को प्राप्त स्वतंत्रता के बाद किसी एक दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाये जाने की चर्चा आरंभ हुई। आखिरकार 2012 में केंद्र सरकार ने तय किया कि भारत के महान खिलाड़ी हाकी के जादूगर स्व. मेजन ध्यानचंद जी के जन्म दिवस 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जावेगा। भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाने का उद्देश्य खेल को लोकप्रिय बनाने और उससे जुड़े हुए प्रतिष्ठित लोगों का सम्मान करना है। वस्तुत: गांव की प्रतिभा को सबसे पहले साधारण खेलप्रेमी, खेल प्रशिक्षक और मीडिया वाले चुनकर दुनिया के सामने लाते हैं फिर उनको प्रशिक्षित करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रतिभागी बनाते हैं। अब बात यह है कि खेल दिवस सिर्फ दिखावे के लिए नहीं बनाया जाना चाहिए। केंद्र सरकार, राज्य सरकार, भारतीय ओलंपिक संघ, खेलों के राष्ट्रीय फेडरेशन आदि की जिम्मेदारी है कि वे देश का नाम रोशन करने वालों का सम्मान करें। खेल प्रतिभाएं जब राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना लेती है तो फिर देश के जिम्मेदार राजनेताओं, खेल प्रशाासकों आदि की भूमि महत्वपूर्ण हो जाती है ताकि खेलकूद के क्षेत्र में देश के ऐसे महान सपूतों को सम्मान आदि के द्वारा गौरवान्वित करें। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात यहां की खेल प्रतिभाओं ने राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक उपलब्धि हासिल की है। उन्हें हम सबको भूलना नहीं चाहिए। ऐसे खेल वीरों को सम्मान के साथ नकद राशि, शासकीय सेवा, नवनिर्मित मकान आदि भेंट देना चाहिए। अभी हमारे समाज में इस बात की कमी है कि अपने बच्चों को जो माता-पिता, अभिभावक खेलकूद में आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहन देते हैं उनका भी हौसला बढ़ाया जाना चाहिए। ऐसे कई परिवार है जिसके खेल सितारों को समय पर अत्याधुनिक खेल सामग्री, उचित भोजन नहीं मिल पाता। ये लोग मिलकर अपने खर्चे को काटकर या अन्य से उधारी लेकर खिलाडिय़ों को सभी सुविधा उपलब्ध कराते हैं। 2023 के 29 अगस्त राष्ट्रीय खेल दिवस में प्रण लेना चाहिए कि हम सब प्रदेशवासी अपने प्रदेश के नागरिकों के न सिर्फ सेहत का ध्यान रखेंगे बल्कि उभरती खेल प्रतिभाओं को आगे बढऩे के लिए तन-मन-धन से सहयोग करेंगे।