छत्तीसगढ़

गुरु पूर्णिमा पर गायत्री विद्या मंदिर मेंं जगत कल्याण के लिए 9 कुंडीय यज्ञ

दंतेवाड़ा । नगर में गुरू पूर्णिमा के अवसर पर अलग अलग स्थानों पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। उक्त अवसर पर गायत्री विद्यापीठ में अध्ययनरत बच्चों को गुरू दीक्षा, संस्कार बोध का महत्व समझाया गया। समस्त जगत के कल्याण हेतु गायत्री मंदिर में 9 कुण्डीय यज्ञ अनुष्ठान भी किया गया।
गौरतलब है कि अषाण शुक्ल पुर्णिमा को भारतीय संस्कृति में गुरू पूजन, व्यास पूजन एवं अनुशासन पर्व के रूप में मनाया जाता है। गुरू पुर्णिमा पर गुरू पूजन का विधान है। इस दिन शिष्य अपने गुरूओं के समक्ष नतमस्तक होकर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है और शिष्य अपने वर्ष भर में किये गये कार्यो का लेखा जोखा गुरू के समक्ष प्रस्तुत करता है और आगामी वर्ष में और अधिक सक्रिय रूप से गुरू कार्य को करने का प्रण करता है। गुरू पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से चार वेदों के महान विद्वान महर्षि वेद व्यास जी की भी पूजा की जाती है, क्योंकि वेद व्यास ही थे जिन्होने सनातन धर्म के चारों वेदों की व्याख्या की थी। इसलिए गुरू पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। कहा जाता है कि आषाढ पूर्णिमा को आदि गुरू वेद व्यास का जन्म हुआ था। उनके सम्मान में ही आषाढ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। 3 जुलाई को देश भर में पूरे श्रद्धाभाव के साथ गूरू पूर्णिमा का पर्व मनाया गया जहां स्कूलों में गूरू पूजन व गूरू दीक्षा परंपरा का निवर्हन किया गया तो वहीं मंदिरों में भक्त अपने ईष्ट देव व देवियों के समक्ष शीष नवाकर सुखी एवं संपन्न जीवन की कामना करते देखे गए। गूरू पूर्णिमा के अवसर पर गायत्री विद्यापीठं में गुरू पूजन एवं गुरू दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया । गायत्री मंदिर में हर वर्ष की भांति इस बार भी गूरू पूर्णिमा के अवसर पर मंदिर के व्यवस्थापक एवं शिक्षक गुरूबन्धू सिन्हा द्वारा सुबह 9 बजे से 12 बजे तक 9 कुण्डीय यज्ञ का आयोजन कराया गया। यज्ञ में आहूति देने विभिन्न ग्रामों से श्रद्धालु गायत्री मंदिर पहुंचे थे।
हवन अनुष्ठान पश्चात गुरूओं द्वारा स्कूली छात्रों को व्यास पूजन, गुरू दीक्षा व संस्कार बोध के महत्व को भी विस्तार से समझाया गया। छात्र भी परंपरानुसार अपने गुरूओं का पैर छुकर उन्हें श्रीफल व शॉल आदि भेंटकर आर्शीवाद प्राप्त करने में पीछे नहीं रहे। अंचल में पूरे उत्साह व श्रद्धाभाव के साथ गूरू पूर्णिमा का पर्व मनाया गया।

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