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खेल – मनोरंजन

राजनांदगांव के खिलाडिय़ों ने किया खेल जगत को चकाचौंध

गौरव की बात है कि उभरकर आ रहे हैं नये अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
हमारे राज्य के शहरों की बात करें तो इन दिनों राजनांदगांव के हाकी, व्हालीबाल, भारोत्तोलन की खेल प्रतिभाओं ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी श्रेष्ठता साबित करते हुए इतिहास गढ़ दिया है। हाकी में भूमिक्षा साहू ने भारतीय जूनियर हाकी टीम में महेन्द्र सिंह ध्रुव का व्हालीबाल में 19 से कम उम्र के बालकों की भारतीय टीम में अर्जेंटीना 2023 में होने वाले विश्व चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में चयन हुआ। भारोत्तोलन के जूनियर वर्ग में राजनांदगांव के जय भवानी शाला की ज्ञानेश्वरी यादव तथा इसी संस्था से प्रशिक्षित होकर जूनियर से सीनियर बने भारोत्तोलक जगदीश विश्वकर्मा ने गत दिनों अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कमाल का प्रदर्शन करके अपने देश भारत के लिए पदक हासिल किया।
कभी राजनांदगांव को हाकी का नर्सरी के नाम से जाना जाता था हालांकि यहां पर केंद्र सरकार द्वारा संचालित भारतीय खेल प्राधिकरण का खेल अकादमी भी है । खुद ही मेहनत करके उपरोक्त चारों खिलाडिय़ों ने राजनांदगांव नगर के साथ- साथ छत्तीसगढ़ प्रदेश का भी नाम रोशन किया है। इसमें से जगदीश विश्वकर्मा भारतीय सेना में कार्यरत है जिसमें उन्हें केंद्र सरकार द्वारा नौकरी दी गई और अब वे विभिन्न राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में नियमित रुप से भाग लेते हैं।
उल्लेखनीय यह भी है कि भूमिक्षा साहू मध्यप्रदेश खेल अकादमी ग्वालियर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। उन्होंने शुरुवाती दौर में राजनांदगांव के बसंतपुर स्थित मैदान और अंतर्राष्ट्रीय हाकी स्टेडियम में प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस तरह चार खिलाडिय़ों ने तीन खेलों में आकर्षक खेल दिखाया और अंतर्राष्ट्रीय मैच के लिए चयनित हुए। प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर क्या वजह है राजनांदगांव के खिलाडिय़ों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किस तरह पहचान बना लिया है। हम कह सकते हैं पर्दे के पीछे इन प्रतिभाओं के अभिभावकों ,हाकी, भारोत्तोलन, व्हालीबाल के खेल संघ के पदाधिकारियों और राजनांदगांव के खेल प्रेमियों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही। एक अवसर था जब 1988 से 1992 तक मैं भी शासकीय सेवा में रहते हुए राजनांदगांव में पदस्थ था। उस समय लगातार चार साल स्व.राजा महंत सर्वेश्वर स्मृति अंतर्राष्ट्रीय हाकी प्रतियोगिता के आयोजन को देखने, समझने का अवसर मिला था। तब मैंने राजनांदगांव के शासन, प्रशासन,राजनेताओं, निवासियों, खेल प्रेमियों की खेल के प्रति लगाव, दीवानगी को करीब से देखा था। मैंने पाया खेल चाहे जो भी हो प्रत्येक बुर्जुग, युवा, बच्चे सभी उस आयोजन को बिना किसी रुकावट के पूरा करने में विश्वास करते थे। मैच के दौरान या बाद में किसी भी प्रकार की समस्या संबंधितों पर आती थी तो सब के सब उसके हल के लिए गंभीरता से जुट जाते थे। यकीन खेल के प्रति जागरुकता आज भी वहां के नागरिकों में बनी हुई है। इस बात को साबित करने के लिए भूमिक्षा साहू,महेन्द्र सिंह ध्रुव,जगदीश विश्वकर्मा, ज्ञानेश्वरी यादव, की उपलब्धि का बखान काफी है। राजनांदगांव को हाकी में एक बड़ी उपलब्धि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पश्चात रेणुका यादव के रुप में मिली है। इस नगर के पूर्वजों के आशीर्वाद से रेणुका को नवनिर्मित छत्तीसगढ़ राज्य की ओलंपिक खेलों में शामिल होने वाली पहली खिलाड़ी होने का गौरव प्राप्त है। छत्तीसगढ़ राज्य के लिए शासन के अलावा राजनांदगांव के निवासियों खेलकूद को, खिलाडिय़ों को आगे बढ़ाने का यह उदाहरण प्रस्तुत है जिसका प्रत्येक जिला मुख्यालय में अनुसरण किया जाना चाहिए।

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