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खेल – मनोरंजन

इलेक्ट्रानिक मीडिया ने खेल जगत में लाई धन क्रांति

खेल अब हो गया व्यापार-उद्योग,70561 करोड़ में फुटबाल प्रीमियर लीग की हुई डील

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
सदियों पहले खेलकूद को सिर्फ स्वस्थ्य रहने, मनोरंजन के रूप में लिया जाता था। ऐसा नहीं है कि आज प्रचलित कई खेल सिर्फ आधुनिक युग की जनक है वस्तुत: तब मानव सभ्यता के विकास के साथ ही साथ विभिन्न तरह के खेलों ने आकार लेना आरंभ किया था जिसे आज हम संशोधित, व्यवस्थित रूप में देख रहे हैं। शुरुवाती दौर में एक दूसरे क्षेत्र पर कब्जा जमाने के लिए सैनिक जिस गतिविधि में शामिल होते थे उसमें चलना, दौडऩा, कूदना, उछलना शामिल था। इससे एथलेटिक्स का रूप सामने आया। इसी तरह नदी-नाले, समुद्र को पार करने की वजह से तैराकी और कयाकिंग-कैनोइंग, नौकायन, पालनौकायन जैसे खेल अस्तित्व में आये। सैनिकों व स्थानीय जनता द्वार निर्माण कार्य में शामिल होने से शक्तितोलन, भारोत्तोलन का विकास हुआ। आक्रमण के दौरान हाथापाई, पत्थर लकड़ी के वस्तु द्वारा निशाना लगाने के कारण मुक्केबाजी, निशानेबाजी, तीरंदाजी जैसे खेल विकसित हुए। व्यक्तिगत रूप से पछाडऩे की भावना ने कुश्ती, जंगली जानवरों से बचाव हेतु मार्शल आर्ट आदि ने जनम लिया। युद्ध में शह व मात देने की रणनीति ने शतरंज, आपसी मनोरंजन के लिए ताश के पत्तों का खेल सामने आया। हम कह सकते हैं कि खेलकूद ने मानव समाज में अपना विशेष महत्व स्थापित किया। माना जाता है कि लगभग 17वीं सदी से खेलकूद में आपसी टकराव की भावना आरंभ हुई। और नये-नये खेलों की उत्पत्ति होने लगी। फिर खेल मुकाबले के दौरान मौखिक विवरण जिसे आज हम आंखों देखा हाल (कामेंट्री) कहते हैं उसका चलन आरंभ हुआ। पहले-पहल मैदान में ही जोर-जोर से खेल का विवरण सुनाकर फिर रेडियो के माध्यम से और अब टेलीविजन तथा इलेक्ट्रानिक मीडिया के विभिन्न साधनों द्वारा प्रसारण प्रारंभ हुआ। संसार की आबादी बढऩे लगी तो खेल संघर्ष को जीवंत देखने, सुनने वालों की संख्या बढऩे लगी। अब खेल स्थल, ऐरेना/स्टेडियम दर्शकों की भीड़ के कारण छोटे पडऩे लगे। इसी दौरान 1936 के बर्लिन ओलंपिक के समय से प्रायोगिक तौर पर टेलीविजन से खेलों के मैच को सीधे दिखाने की परंपरा शुरु हुई। आज इलेक्ट्रानिक मीडिया संबंधी नये-नये अविष्कारों के कारण रेडियो, टेलीविजन सेट, लेपटाप से होते हुए सीधे मोबाइल में मैच को दिखाने का क्रम आरंभ हुआ है। वस्तुत: यही खेल प्रतियोगिता में धन क्रांति की उपज का कारण है। आज की युवा पीढ़ी के पास धन की नहीं समय की कमी है अत: खेल प्रतियोगिता के सीधे प्रसारण से धन प्राप्ति का मार्ग खुल गया। अब मीडिया में एकतरफ खेल के सीधे प्रसारण की परंपरा शुरु हुई, दूसरी तरफ आयोजकों के लिए अथाह आर्थिक लाभ का मार्ग प्रशस्त हो गया। इसका उदाहरण इंग्लिश प्रीमियर लीग (ईपीएल) के सीधे प्रसारण से आगामी चार वर्षों के लिए प्राप्त होने वाली करीब 70561 करोड़ रुपये की राशि है। ईपीएल के लिए 2018 में पहली बार प्रसारण अधिकार की बिक्री टेंडर प्रक्रिया शुरु हुई जिसके मुकाबले 1972 करोड़ रुपए इस बार अधिक प्राप्त हुए हैं। मजेदार बात यह है कि ईपीएल के 70561 करोड़ की राशि अमेरिकन फुटबाल के नेशनल फुटबाल लीग के अनुबंध राशि 9.42 लाख करोड़ रुपये तथा अमेरिका के नेशनल बास्केटबाल एसोसिएशन के अनुबंध 2 लाख करोड़ की राशि के बाद तीसरे क्रम पर है। चौथे पर अमेरिका की मेजर लीग बेसबाल की अनुबंध राशि 1.03 लाख करोड़ और पांचवे स्थान पर भारत के क्रिकेट की इंडियन प्रीमियर लीग की राशि 0.55 लाख करोड़ की है। मीडिया अनुबंध की उपरोक्त राशि से स्पष्ट है कि खेलकूद जगत में अब धन बल का महत्व बढ़ गया है इसका लाभ न सिर्फ आयोजकों को बल्कि खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों, सहयोगियों को मिलती है। जनता के पैसे से खेल तथा उससे जुड़े लोगों का भला होता है तो इस नीति का स्वागत किया जाना चाहिए।

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