शुरुआती सफलता से खुद पर नियंत्रण जरूरी
हाकी: जूनियर एशिया कप 2023,भारत के नवोदित खिलाडिय़ों ने जीता खिताब
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
खेलकूद का अपना संसार है। किसी खेल की लोकप्रियता किसी महाद्वीप में होती है किसी खेल की लोकप्रियता अन्य महाद्वीपमें होती। क्रिकेट दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में अधिक प्रसिद्ध नहीं है तो एथलेटिक्स, फुटबाल पूरी दुनिया का खेल है। समय के आगे बढऩे के साथ ही साथ नये खेल ने अनेक देशों में पैर जमाना शुरू कर दिया है। भारत सरकार ने हाकी में खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस पाने के लिए योजनाबद्ध कार्यक्रम चलाया है। 1928 से 1956 तक लगातार छ: बार हाकी का स्वर्ण पदक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में हासिल करने वाले खेल हाकी में 1976 से अचानक आई गिरावट को ध्यान में रखते हुए हाकी पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। अंतर्राष्ट्रीय हाकी के तत्वावधान में 21 वर्ष से कम उम्र तथा वरिष्ठ खिलाडिय़ों के अत्याधुनिक प्रशिक्षण चयनित खिलाडिय़ों को उपलब्धि कराया जा रहा है। वरिष्ठ वर्ग में पुरुष हाकी टीम को विश्व में चौथी वरीयता प्राप्त है। पिछले पांच-छह वर्षों से वरिष्ठ हाकी पुरुष टीम ने लाजवाब खेल दिखाया है। 2020 के टोक्यो ओलंपिक के हाकी स्पर्धा में भारतीय हाकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर तहलका मचाया है। यह सब कुछ आसानी से संभव नहीं हुआ। भारत सरकार, हाकी इंडिया, केंद्र का खेल विभाग, भारतीय खेल प्राधिकरण तथा कुछ औद्योगिक घरानों, निजी संस्थाओं,राज्य सरकारों के सामूहिक प्रयास से संभव हुआ है। 1976 के शून्य की स्थिति से 2023 के चौथे स्थान पर भारतीय हाकी को खड़ा करने में भूतपूर्व खिलाडिय़ों, कुछ खेल पत्रकारों, कुछ विचार मंथन करने वाले लोगों के कारण संभव हुआ है। एक समय था जब हाकी ही नहीं कोई भी ओलंपिक खेल हो उसके राष्ट्रीय सीनियर या जूनियर टीम में एकदम नये खिलाड़ी को भारतीय टीम की ओर से खेलने का मौका मिल जाता था। ऐसी परिस्थिति में चाहे फारवर्ड हो या सुरक्षा पंक्ति दोनों ही स्थानों पर हमारी टीम लडख़ड़ा जाती थी। यह सत्य भी है क्योंकि खिलाड़ी जब तक एक टीम के रूप में एक साथ रहकर अभ्यास नहीं कर पाते तब तक एक दूसरे को समझ पाना संभव नहीं होता है । अन्य खेलों के साथ ही भारत के खेल शुभचिंतकों ने इसका हल निकाला और दो तरह की टीम अर्थात 21 वर्ष से कम तथा उसे अधिक उम्र के करीब 33-33 खिलाडिय़ों की टीम का चयन किया गया। प्रत्येक टीम में हमारे देश के कोने-कोने से हाकी प्रतिभाओं को उनके खेल प्रतिभा के आधार पर चुना गया। फिर उन्हें कठिन प्रशिक्षण दिया गया तब कही जाकर हाकी की पुरुष वर्ग की सीनियर और जूनियर टीम तैयार हुई। आज की परिस्थिति में एक छोटी सी चूक से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी टीम की पराजय हो जाती है। अत: सिर्फ सफलता की दृष्टि के साथ टीम का चयन होता है। उपरोक्त दौर से सीनियर की तरह जूनियर टीम गुजरी और गत 23 मई से 1 जून तक जूनियर हाकी कप में भाग ले सकी। साल भर प्रशिक्षण, प्रतियोगिता, विदेश दौरा करते हुए जूनियर टीम ने 10वीं जूनियर एशिया कप की विजेता बनने का गौरव हासिल किया। इस टूर्नामेंट में 10 टीमों ने भाग लिया जिन्हें दो पूल में विभक्त किया गया था। भारतीय टीम ने आरंभिक चक्र में चाइनीज ताइपेह को 18-0, जापान को 3-1, थाइलैंड को 17-0 से पछाड़ा जबकि पाकिस्तान से 1-1 की बराबरी रही। सेमीफाइनल में भारत ने दक्षिण कोरिया को 9-1 जबकि फायनल में पाकिस्तान को 2-1 से शिकस्त देकर चौथी बार खिताब को अपने नाम किया। भारत के गोलकीपर एमएस मोहित को सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर का खिताब मिला। भारतीय टीम के कप्तान उत्तम सिंह कोच सीआर कुमार थे। अन्य खिलाडिय़ों में एमएस मोहित, हिमवान सिहाग, शारदा तिवारी, योगेंबर रावत, सुनिल लकरा, अमनदीप लकरा, चंदुरा पोवन्ना, अमीर अली, अंगदबीर सिंह, सुदीप चीरमाको, अमनदीप, धामी बाबी सिंह, विष्णुकांत सिंह, आदित्य लालगे, रोहित, राजिंदर सिंह, अरईजीत सिंह सम्मिलित थे। इन खिलाडिय़ों ने आरंभ शानदार किया है। अब इन पर निरंतर अच्छे प्रदर्शन का दबाव है ताकि वे सीनियर टीम में आकर अपने देश का नाम रौशन कर सके। हाकी में विश्व स्तर पर भारत की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए हाकी इंडिया व केंद्र सरकार का प्रयास अत्यंत सराहनीय है। भारत को हाकी के विश्व मंच में स्थापित करने की यह कोशिश जरूर कामयाब होगी।