छत्तीसगढ़

सोमवार को धर्म नगरी टूरिस्ट एवं शिव भक्तों से रहा गुलजार

राजिम । सोमवार को धर्म नगरी राजिम में कांवरियों की अच्छी खासी भीड़ देखी गई। दूर-दूर से लोग पैदल बाबा कुलेश्वरनाथ महादेव में जल अभिषेक करने के लिए पहुंचे हुए थे। कांधे पे कांवर, नंगे पांव, गेरुआ वस्त्र पहने, बोल बम का उच्चारण करते हुए शिव पीठ के लिए आगे बढ़ रहे थे। कई ऐसे कांवरिया थे जिनके पांव में छाले पड़ गए थे लेकिन महादेव के प्रति उनका विश्वास अधिक दिखाई दिया। वह बोल बम का उच्चारण करते जा रहे थे और उनके साथ अन्य कांवरिया इसी शब्द को दुहरा रहे थे। धमधा के पास के गांव से पहुंचे कांवरिया का दल चौबेबांधा तिराहा के पास लंबी श्रृंखला बनाकर आगे बढ़ रहे थे। एक कांवरिया कुछ समय के लिए रुके तो उनके साथ में उपस्थित बाकी सैकड़ों की संख्या में कांवरिया ठहर गए। लेकिन मुख से बोल बम का जयघोष नहीं रुके। बताया गया कि बाबा कुलेश्वरनाथ महादेव में जलाभिषेक कर पूजन पाठ करते रहे इसी तरह से पलारी, बलोदाबाजार, रायपुर, आरंग, मंदिर हसौद, दुर्ग, बालोद, बेमेतरा, पिथौरा, बागबाहरा, धमतरी, महासमुंद, खरियार रोड इत्यादि जगहों से कांवरिया पहुंचे हुए थे। रुक रुक कर सुबह से ही वीआईपी मार्ग कांवरियों से भरा रहा। लक्ष्मण झूला से होते हुए सीधे कुलेश्वर नाथ महादेव पहुंच रहे थे। बताना होगा कि धर्म नगरी राजिम को हरि और हर का धाम माना गया है। भगवान विष्णु के राजीव लोचन मंदिर के साथ ही अनेक शिव मंदिर यहां मौजूद है जिनमें से तीन नदियों के मध्य में पूरी दुनिया में विख्यात पंचमुखी कुलेश्वर नाथ महादेव का मंदिर है गर्भ गृह में शिवलिंग मौजूद है तथा नीचे वेदी पर मां पार्वती विद्यमान है। महा मंडप में अनेक देवी देवताओं की प्रतिमा बने हुए हैं जो श्रद्धा भक्ति को जन्म देती है। इनके अलावा तट पर ही पंचेश्वर नाथ महादेव मंदिर, भूतेश्वर नाथ महादेव मंदिर, राजीव लोचन मंदिर के द्वितीय परिसर में दान दानेश्वरनाथ महादेव मंदिर, राज राजेश्वरनाथ महादेव मंदिर, रानी धर्मशाला में बाबा गरीबनाथ महादेव का मंदिर, ब्रह्मचारी आश्रम सोमेश्वरनाथ महादेव का मंदिर, पिपलेश्वर नाथ महादेव मंदिर इत्यादि है। इन मंदिरों में प्रतिदिन भीड़ बन रही है। इसे देखकर धर्म नगरी का माहौल अत्यंत धर्म-कर्म मय हो गया है। बताया जाता है कि कांवरिया को लघु शंका या फिर दीर्घ शंका जाना है तो सांवर को दूसरे व्यक्ति को थमा देते हैं और निवित्त होने के बाद कान पकड़कर क्षमा मांगने के लिए उठक बैठक करते रहे। शुद्ध होने के बाद ही वह कांवर हाथ में लिये।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button