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छत्तीसगढ़

आज के दौर में किसी भी क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कम नहीं, फिर भी भेदभाव क्यों:स्वाति साहू

कवर्धा । ग्राम कारेसरा की निवासी स्वाती साहू गृहणी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के पावन अवसर पर तरुण छत्तीसगढ़ से चर्चा करते हुए कहा की मैं आपके समक्ष महिलाओं के सम्मान में कुछ शब्द कहना चाहती हूं। और आशा करती हूं कि यह आपको अवश्य पसंद आएगा।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। हालांकि 1975 से पूर्व इसे 28 फरवरी 1909 में पहली बार मनाया गया था, परंतु 1975 में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा इसे हर वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय रुप से मनाये जाने का निर्णय लिया गया। कई सदियों से महिलाएं आपने अधिकारों के लिए लड़ती आई हैं और आज भी लड़ ही रही हैं। हमारे पुरुष प्रधान समाज में, सदैव महिलाओं को अनदेखा किया गया है, शायद यही वजह है इस दिवस को मनाने कि। 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है, और इसी वजह से लोगों को यह पता भी है, क्यों कि अगर मैं राष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में पूछूं तो शायद ही किसी को पता होगा। यह हमारे देश कि स्थिति है। गलती आपकी नहीं हमारी प्रथाओं का है, जिसमें समयानुसार परिवर्तन लाते रहना चाहिये। अन्य देशों में भी महिलाओं कि स्थिति कुछ खास नहीं थी, पर वहां के लोगों ने महिलाओं के महत्व को समझते हुए उनके उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए, और नतीजन आज वे विकसित देशों की सूची में अव्वल स्थान पर बैठे हैं। और हम उनकी नकल करते हुए महिला दिवस तो मनाते हैं परंतु असल मायनों में अभी बहुत पीछे हैं।
भारत अपनी परंपराओं के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध रहा है, और अगर हम अपनी ही परंपराओं को सही मायनों में अपना लें, तो हमें कभी इस दिवस को मनाने कि जरूरत ही नहीं पड़ेगी। भारत में नारी को देवी का स्वरूप माना जाता है, तो वहीं दूसरी तरफ आए दिन कोई नवजात लड़की सड़क के किनारे या कूड़ेदान में मृत मिलती है। हालांकि एक खास दिन को मना लेने मात्र से महिलाओं का विकास नहीं हो जाएगा। यह दिवस आपको हर वर्ष यह सोचने पर मजबूर करता है कि, आप महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलें और हर वर्ष इस दिन खुद को आंके कि आखिर महिलाओं के लिए पूरे वर्ष आपने क्या किया।
महिलाओं के लिए कुछ करने का अर्थ यह नहीं कि कुछ अलग और खास करें। आप अपने आस-पास कि महिलाओं से ठीक से पेश आएं, उन्हें सम्मान दें, उनके विचारों को भी तवज्जोह दें। वह महिला आपकी माता, बहन, पत्नी, सहकर्मी कोई भी हो सकती है। हमारे देश कि तरह विश्व के कई देशों में महिलाओं कि स्थिति अच्छी नहीं है और उन्हें बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए, सब को अपना योगदान देना होगा और यह तभी मुमकिन है जब हम स्वयं उसका सीधा उदाहरण बनें।हर वर्ष इसे मनाने हेतु एक थीम निर्धारित किया जाता है। जैसे कि वर्ष 2020 का थीम है ड्डद्व त्रद्गठ्ठद्गह्म्ड्डह्लद्बशठ्ठ श्वह्नह्वड्डद्यद्बह्ल4: क्रद्गड्डद्यद्ब5द्बठ्ठद्द ङ्खशद्वद्गठ्ठÓह्य क्रद्बद्दद्धह्लह्य”, जिसका अर्थ यह है हर जाति, धर्म, समुदाय कि महिलाएं बराबर हैं और उन्हें समान अधिकार प्राप्त हैं।
आज के दौर में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं, तो उनके साथ यह भेद-भाव क्यों। आइये हम सब मिलकर इस महिला दिवस पर संकल्प लेते हैं कि आज से हम सब, महिलाओं का सम्मान करेंगे और उनके प्रगति में कभी बाधा नहीं बनेंगे। अगर दुनिया का हर व्यक्ति यह विचार कर ले तो, महिलाओं को कभी अपने अधिकारों से वंचित नहीं रहना पड़ेगा। इसी के साथ मैं आप सभी को महिला दिवस के उपलक्ष में ढेर सारी बधाइयां देती हूं ।

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