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छत्तीसगढ़

राजिम को न ही जिला मिला और न कोई मंत्री पद, सिर्फ वोट बैंक तक सीमित

राजिम। आने वाले चार-पांच महीने के अंतर्गत प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से सुर्खियों में रहने वाले राजिम विधानसभा क्षेत्र इन दिनों ठंडे बस्ते में जाता हुआ दिख रहा है। पिछले 20 साल से राजधानी रायपुर के गलियारों में राजिम विधानसभा के ऊपर जो बात होनी चाहिए थी वह अभी तक नहीं हो पाई है ना जिला बना है ना अभी तक कोई मंत्री पद मिला नतीजतन मंत्री बनाने का लालच देकर स्टार प्रचारक वोट जरूर बटोर लेते हैं पारी आने पर कुछ ना कुछ बहाना बना देते हैं। पिछले दो दशक से इस विधानसभा ने एक भी मंत्री नहीं दिए हैं। चार पंचवर्षीय बीत चुके हैं। आने वाले 2024 में नई सरकार बैठी हुई मिलेगी। इसी तरह से यदि राजिम विधानसभा क्षेत्र का उपेक्षा होता रहा तो लाजमी है जनता का विश्वास झूठा आश्वासन देने वाले राजनेताओं से उठ जाएगा। उल्लेखनीय है कि जनता पार्टी से चुनाव जीतकर संत कवि पवन दीवान 1975 से 77 तक जेल मंत्री रहे। अविभाजित मध्यप्रदेश में ही पंडित श्यामाचरण शुक्ला राजिम विधानसभा से चुनाव जीतकर 1969 से 1990 के बीच तीन बार मुख्यमंत्री बने। नवीन राज्य छत्तीसगढ़ से सन् 2000 से 2003 तक कांग्रेस से ही अमितेश शुक्ला पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया। उसके बाद से एक मंत्री के लिए बांट जोहते दो दशक बीत गए पर कोई इस विधानसभा की ओर पलट कर देखने वाला नहीं मिला। हालांकि क्षेत्रीय विधायक कहते हैं कि मैं मंत्री नहीं बन पाया तो क्या हुआ मेरे विधानसभा के लोगों का एक भी काम नहीं रुकेगा। पिछले 20 सालों से मंत्री पद के उम्मीद में बैठी जनता इस बार सोच समझकर अपने मत का प्रयोग करेंगे। किसी के लालच या फिर भड़काऊ बयानबाजी पर नहीं आएंगे। प्रदेश के मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल में यहां के लोगों की उम्मीद बंधी थी कि हमारे विधानसभा के विधायक को मौका मिलेगा लेकिन कब धरी की धरी रह गई दूसरी ओर धर्म नगरी राजिम को जिला बनाने की मांग अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से पिछले 32 – 33 सालों से हो रही है। इस दौरान जरूर आश्वासन मिला पर जिला नहीं मिला। जानकारी के आधार पर छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी क्षेत्र में प्रवास के दौरान राजिम नवापारा पहुंचे और उन्होंने लोगों को विश्वास दिलाया कि जब कभी भी नए जिले का निर्माण होगा उसमें इनका नाम प्रथम पंक्ति पर आएगा। तब से लेकर 16 से 33 जिला बन गए पर अभी तक राजिम का नाम नहीं आ पाया है। धर्म नगरी राजिम अनेक बिंदुओं पर महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं प्रदेश का सबसे बड़ा मेला छत्तीसगढ़ शासन के प्रयास से प्रतिवर्ष यहां के त्रिवेणी संगम कराया जाता है जिसमें करोड़ों रुपया का बजट खर्च होता है। इस मेले में जिले, संभाग, राज्य, देश भर से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग मेला भ्रमण, मंदिर दर्शन, स्नान दान, सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने तथा विभिन्न बिंदुओं को निहारने के लिए उपस्थित होते हैं। यहां प्रमुख रूप से भगवान राजीवलोचन एवं संगम के मध्य में स्थित पंचमुखी कुलेश्वर नाथ महादेव का मंदिर दर्शन कर हरि और हर दोनों की कृपा एक साथ मिल जाती है इससे श्रद्धालुगण अपने भाग्य की सराहना करते हैं। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पाती उस समय कमी खलती है कि काश राजिम जिला मुख्यालय बन गया होता तो उस हिसाब से विकसित जरूर हो गया होता। आज भी बाहर से आने वाले पर्यटक राजधानी रायपुर या फिर अन्य शहरों की सुविधाएं लेते हैं। प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शन पूजन तथा अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए हजारों की संख्या में लोग देश भर से पहुंचते हैं। उन्हें उचित जानकारी एवं मार्गदर्शन के लिए पर्यटन विभाग के द्वारा एक छोटा सा कार्यालय तक अभी तक स्थापित नहीं किए हैं। देखा गया है लोग एक दूसरे को पूछते रहते हैं इसी आपाधापी में कई बार भटक भी जाते हैं। जिला बनने की दशा में सारे विभाग का कार्यालय स्थापित होगा और नसीब था यहां के लोगों को बल्कि आने वाले बाहर से लोगों को भी सुविधाएं मुनासिब होगी।

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