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खेल – मनोरंजन

प्रतिष्ठा में उलझे पहलवान खुद को कैसे योग्य साबित करेंगे

कुश्ती विश्व चैंपियनशिप, 16 से 24 सितम्बर 2023 तक बेलग्रेड में

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
अगले चार माह में कुश्ती की दो महत्वपूर्ण स्पर्धा होने जा रही है। 23 सितम्बर से 8 अक्टूबर तक हांगझुआ में एशियाई खेल जबकि 16 से 24 सितम्बर तक विश्व प्रतियोगिता के अंतर्गत मुकाबले होंगे। दोनों ही टूर्नामेंट बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। 2024 पेरिस में होने वाली ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों के लिए पहलवानों को योग्यता हासिल करने का अवसर मिलेगा। विश्व स्पर्धा से 90 पहलवानों को विभिन्न वजन वर्गों में सीधे प्रवेश का अवसर मिलेगा। पेरिस ओलंपिक में कुश्ती के लिए फ्री स्टाईल में 12 स्वर्ण, 12 रजत, 12 कांस्य सहित 36 पदक जबकि ग्रीको-रोमन स्टाइल में 6 स्वर्ण, 6 रजत, 6 कांस्य सहित 18 पदकों के लिए फैसला होगा। इसमें फ्री स्टाईल के पुरुष वर्ग में 60 कि.ग्रा, 67, 77 87, 97 तथा 130 कि.ग्रा. वजन वर्ग में 18 पदक साथ ही महिला वर्ग के 50 कि.ग्रा. 53, 57, 62, 68, 76 कि.ग्रा. वजन वर्ग में 18 पदक के लिए संघर्ष करना होगा। इसी प्रकार ग्रीको रोमन में महिलाओं के मैच नहीं होते जबकि पुरुष वर्ग में ग्रीको रोमन के 60 कि.ग्रा. 67, 77 87, 97 तथा 130 कि.ग्रा. वजन वर्ग में 18 पदक दांव पर लगेंगे। इस तरह पेरिस ओलंपिक खेलों में 54 पदकों अर्थात् 18 स्वर्ण, 18 रजत, 18 कांस्य के लिए मुाकबला होगा। बेलग्रेड में होने वाले विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में पुरुष फ्रीस्टाइल में 30 पदक, ग्रीको रोमन में 30 पदक जबकि महिला फ्री स्टाइल में 30 पदक दांव पर लगे हुए हैं। इसी तरह एशियाई खेलों में 15 वर्गों में 45 पदक दांव पर लगे हुए हैं।
आज जबकि चार माह के अंदर भारतीय पहलवानों को अपनी प्रतिभा दिखाने तथा अपने देश नाम रौशन करने के अवसर आया है तो हमारे पहलवान यौन प्रताडऩा जैसी समस्या से संघर्ष कर रहे हैं। जनवरी 2023 से आरंभ कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष तथा पहलवानों के बीच की लड़ाई का अब तक कोई परिणाम नहीं आया है लेकिन इस तरह की गतिविधि से भारतीय पहलवानों की तैयारी पर गहरा असर पड़ा है। जिन पहलवानों से देश के लिए पदक की उम्मीद की जा रही है वे तो अपना प्रेक्टिस छोड़कर विरोध प्रदर्शन में लगे हैं। दूसरी तरफ भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह अपनी बात पर अड़े हुए हैं। दोनों पक्षों के बीच उत्पन्न तनाव का कोई अंत नजर नहीं आ रहा है। इस तरह की घटना के कारण पूरे विश्व में हमारे देश की बदनामी हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती संघ ने गत दिनों पुलिस वालों के द्वारा जिस तरह अमानवीय व्यवहार पहलवानों के साथ किया गया उसकी निंदा की है। अब चूंकि मामला न्यायालय व पुलिस के बीच चल रहा है अत: पूरे प्रकरण में एक समस्या खड़ी हो गईहै कि पहलवान विश्व प्रतियोगिता, एशियाड के लिए तैयारी कैसे करें? एक तरफ फेडरेशन व पहलवानों दूसरी तरफ हमारे देश की प्रतिष्ठा का सवाल खड़ा हो गया है। खेलकूद के संसार में ऐसी हालत हमारे देश के खेल व खिलाडिय़ों के भविष्य के लिए ठीक नहीं है। इस सब घटनाओं को हमारा देश देख रहा है। न्याय अन्याय सब कुछ समझ रहा है। परिस्थिति धीरे-धीरे नाजुक हेाती जा रही है। जहां बालिका, युवती या महिला खिलाड़ी की बात आती है वहां सन्नाटा छाने लगा है। दूर तक अंधकार नजर आने लगा है। सोचनी तथ्य यह है कि हमारे देश की बेटियों को उनके अभिभावकों ने अगर मैदान में जाने से रोक दिया तो क्या हश्र होगा। भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा भारत सरकार द्वारा गठित कमेटी ने इस प्रकरण में दो माह पूरे होने के बाद भी कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। आज भारतीय खेल जगत की बड़ी दुर्दशा देखने को मिल रही है। प्रश्न यह उठ रहा है कि क्या एक व्यक्ति अपनी प्रतिष्ठा के लिए पूरे भारत की बेटियों को मैदान में न उतरने की मानसिकता को जन्म दे रहा है। स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है इस घटनाचक्र को जल्द से समाप्त करना ही भारत के उज्जवल खेल भविष्य के लिए श्रेयस्कर होगा।

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