https://tarunchhattisgarh.in/wp-content/uploads/2024/03/1-2.jpg
खेल – मनोरंजन

प्रतिदिन मिले परिणाम के साथ इवेंट की जानकारी

'खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023Ó इस बार उत्तर पूर्व के राज्यों में

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
जमीनी स्तर से खेल प्रतिभाओं को चुनकर उन्हें प्रशिक्षित करने राष्ट्र से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्पर्धाओं में पदक जीतने योग्य बनाने की महत्वपूर्ण कार्यक्रम को खेलो इंडिया नाम दिया गया है। 2014 में सत्ता में आते ही खिलाडिय़ों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खेलो इंडिया कार्यक्रम की शुरुवात की। पिछले 45 वर्षों से खेल पत्रकारिता में अपनी सेवाएं देने के पश्चात पीछे मुड़कर देखने या फिर 2014 से पहले आजादी तक के समय का मूल्यांकन करने पर स्पष्ट है कि खेलकूद को किसी अन्य प्रधानमंत्री से इतनी गंभीरता से नहीं लिया जितना वर्तमान में नरेन्द्र मोदी ले रहे हैं। केंद्रीय खेल विभाग में आमूलचूल परिवर्तन की उनकी चाहत ने भारत के ओलंपियन निशानेबाज राज्यवद्र्धन सिंह राठौर को भारत का खेल मंत्री बनवाया फिर राठौर के कार्यकाल में 2017-18 में खेलो इंडिया कार्यक्रम की शुरुवात हुई ठीक इसी घड़ी से भारतीय खिलाडिय़ों की चमक देश-विदेश में होने लगी। प्रधानमंत्री मोदी की मंशा के अनुरूप खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों, मैदान को बनाने वालों आदि को प्रोत्साहन व सम्मान मिलने लगा और ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, विश्व खेलों तथा महाद्वीपीय खेलों में भारतीय खिलाडिय़ों की उपस्थिति का नया अध्याय आरंभ हुआ। खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत अब खेलो इंडिया यूथ गेम्स, खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स, खेलो इंडिया पेरालिंपिक गेम्स, खेलो इंडिया बीच गेम्स, खेलो इंडिया विंटर गेम्स की शुरुवात हुई। इसका असर दिखना शुरू हो गया है। प्रत्येक वर्ष 1000 खिलाडिय़ों को अगले पांच वर्ष तक छात्रवृत्ति दिये जाने की घोषणा ने रूप धारण कर लिया है। 2013-14 में सिर्फ खेलकूद पर करीब 700 करोड़ खर्च करती थी वह अब बढ़कर 23-24 में करीब 2300 करोड़ हो चुकी है। अर्थात् पिछले दस वर्षों में तीन गुना की बढ़ोतरी हो चुकी है। इतना सब कुछ इसलिए ताकि भारत की जनता खेल के महत्व को समझे और एक दूसरे को खेल में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करे। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री तथा केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर अपने-अपने कार्य क्षेत्र में बेहद सजग है पंरतु आज विज्ञापन व प्रदर्शन का जमाना है। खेलो इंडिया के अंतर्गत होने वाले सभी आयोजनों की डीडी स्पोर्टस के द्वारा सीधा प्रसारण किया जाता है। और यू-ट्यूब में भी प्रसारण की सुविधा है। लेकिन जानकारी आम जनता को नहीं होती है। मैच की सिलसिलेवार जानकारी सिर्फ खिलाडिय़ों, आयोजनकर्ताओं को मालूम होने से कुछ नहीं होता जब डीडी स्पोर्ट्स पर इस तरह की प्रतियोगिता दिखाई जा रही है तो उसके प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी भी डीडी स्पोर्ट्स के संबंधित अधिकारियों की है। डीडी स्पोर्ट्स के जिन अधिकारियों की ड्यूटी टूर्नामेंट के दौरान फील्ड में लगाई जाती है वे वरिष्ठ व अनुभवी होते हैं और सिर्फ सैर सपाटे के लिए आयोजन स्थल नहीं जाते हैं। जब केंद्र सरकार के माध्यम से खेलों को बढ़ावा दिया जा रहा है तो डीडी स्पोर्ट्स और दूरदर्शन के सिर्फ विभिन्न चैनल में किसी खेलो इंडिया चैंपियनशिप के आयोजन की जानकारी देना न्यायोचित नहीं है। परिणाम व इवेंट की जानकारी देना भी जरूरी है इसके लिए प्रिंट मीडिया की भी मदद लेनी चाहिए। जिस तरह ओलंपिक, एशियाई, कामनवेल्थ अन्य अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में सम्पन्न होने वाले या सम्पन्न हो चुके इवेंट की जानकारी प्रिंट मीडिया व अन्य इलेक्ट्रानिक मीडिया में तत्काल दी जाती है वैसी ही व्यवस्था खेलो इंडिया चैंपियनशिप के प्रतिदिन परिणाम का होना चाहिए। निजी सूचना एजेंसी या राज्य की स्थानीय जनसंपर्क विभाग अपनी भूमिका तो निभाती है पंरतु सही परिणाम तुरंत ही सीधे प्रसारण से डीडी स्पोर्ट्स के अधिकारियों को प्राप्त हो जाती है अत: जब प्रधानमंत्री स्वयं खेलो इंडिया जैसे चैंपियनशिप के प्रसारण के लिए एक बड़ी राशि स्वीकृत कर रहे हैं तब प्रतियोगिता को लोकप्रिय बनाने क्षेत्र/स्थल में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तैनात अधिकारियों को करना चाहिए। आम तौर पर यह देखा गया है कि अधिकारी ऐसी जानकारी को एकत्र करके प्रसारित करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं अत: स्पष्ट है कि डीडी स्पोर्ट्स के प्रसारण से जुड़े अधिकारियों को सतर्क व सजग होना चाहिए।

Related Articles

Back to top button