खेल – मनोरंजन

विजेता बनकर चढ़ी जाती है लोकप्रियता की सीढ़ी

हाकी-क्रिकेट: विश्व स्तरीय स्पर्धाओं में भारतीय टीम की सफलता-असफलता का दौर जारी

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
हमारे देश के खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में निरंतर अपनी प्रतिभा को दर्शाते हैं। भारतीय प्रतिभागी प्रमुखत: विश्वकालीन ओलंपिक खेलों जैसे हाकी, बैडमिंटन, टेनिस, कुश्ती, भारोत्तोलन आदि प्रतिस्पर्धाओं के साथ ही गैर ओलंपिक खेलों जैसे क्रिकेट, कबड्डी, शतरंज खेलों में अपना प्रदर्शन करते हैं। पिछले दिनों हमारे देश में ही हाकी तथा क्रिकेट के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले हुए। क्रिकेट में भारतीय टीम जिनकी विश्व वरीयता चार थी उन्होंने अपने से उच्च वरीयता प्रथम स्थान प्राप्त न्यूजीलैंड की टीम को टी-20 श्रृंखला में शिकस्त दी। दूसरी तरफ ओडिशा में सम्पन्न 15वें विश्व कप हाकी चैंपियनशिप के अंतर्गत प्रारंभिक चक्र में भारतीय टीम ने जिन्हें विश्व वरीयता में छठा स्थान दिया गया था वे अपने से एक क्रम उपर पांचवी वरीयता प्राप्त इंग्लैंड की बराबरी कर सके जबकि वरीयता क्रम में आठवें नंबर की टीम स्पेन और 15वें नंबर की टीम वेलस को परास्त किया। इसी तरह राउंड आफ 16 में वर्तमान में 10वीं वरीयता प्राप्त न्यूजीलैंड से पराजित हो गए। इस तरह भारतीय पुरुष हाकी टीम का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा है। अपने ही देश में अपने ही दर्शकों के बीच हमारी हाकी टीम ने जिस तरह का खेल दिखाया उससे जनमानस में निराशा हुई है। इसके विपरीत भारतीय क्रिकेट टीम ने एक दिवसीय के अलावा टी-20 मुकाबले में न्यूजीलैंड की टीम के विरूद्ध कई नये खिलाडिय़ों को खेलने का अवसर देते हुए धराशायी किया। उल्लेखनीय यह है कि हाकी टीम को तैयार करने के लिए वर्ष भर में कम से कम चार से छ: माह तक की अवधि के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाया जाता है जहां उन्हें अत्याधुनिक ढंग से प्रशिक्षित दिया जाता है। आवास, भोजन की उत्तम व्यवस्था की जाती है। दूसरी तरफ भारतीय क्रिकेट टीम के भ्रमण के लिए अलग से कैंप नहीं लगाया जाता। कोरोना काल के बाद तथा संभवत: साल भर में कभी कभार 15-20 दिनों का प्रशिक्षण शिविर लगाया गया होगा। हाकी में 30-33 खिलाडिय़ों को कई दिनों तक अभ्यास कराया जाता है। क्रिकेट में टीम का चयन होने के बाद आठ दस दिन तक खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। क्रिकेट के खिलाडिय़ों के प्रदर्शन ने देशवासियों को गौरवान्वित किया जबकि हाकी टीम ने निराश किया। प्रश्न उठता है इसके लिए कौन दोषी है? हाकी को विश्व में पुन: स्थापित करने के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री नबीन पटनायक की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। उनकी सरकार के द्वारा पिछले 6 वर्षों के दौरान तीन विश्व स्तरीय चैंपियनशिप का आयोजन किया जा चुका है। हाकी को लोकप्रिय बनाने ओडिशा के गांव-गांव में हाकी मैच के दौरान बड़े-बड़े स्क्रीन लगाए गए। सबसे बड़ी कमजोरी हमारे खिलाडिय़ों में धैर्य, साहस और सूझबूझ की कमी है। पेनाल्टी कार्नर को गोल में बदलने में माहिर ड्रैक फ्लिकर हमरमनप्रीत सिंह को देश की कप्तानी मिली तो वे गोल करना भूल गए। क्रिकेट की लोकप्रियता बढऩे का कारण हमारी टीम का विजय अंदाज है जबकि हाकी में निराशा की वजह टीम का अनिश्चित प्रदर्शन है। भारत में हाकी को बचाना है तो अब टूर्नामेंट में कामयाबी दिलाने वालों को मौका देना होगा।

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