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खेल – मनोरंजन

खेल बजट में हो प्रधानमंत्री की सोच की छाया

छत्तीसगढ़ के 2024-25 के बजट में खेल विभाग के लिए पर्याप्त राशि आवश्यक

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
2023 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने सत्ता में बदलाव पर मुहर लगा दी। 2018 से 2023 तक कांग्रेस कार्यकाल के दौरान जिस तरह खेल और खिलाडिय़ों की उपेक्षा की गई वह चिंतनीय है। खेल विभाग को ऐसे संचालक के हाथों सौंप दिया गया था जिन्हें न तो खेल से कोई मतलब था ना ही खिलाडिय़ों से। पुलिस विभाग से प्रतिनियुक्ति पर राज्य सेवा के एक ऐसे अधिकारी को संचालक के पद पर अनवरत पांच वर्षों से पदस्थ कर दिया गया जैसे उन्हें छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों, निर्णायकों, अभिभावकों, खेलप्रेमियों, खेल संघ के पदाधिकारियों, खेल स्पर्धाओं के आयोजकों आदि से कोई पुराना बदला लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। खेल विभाग में अंदरुनी तौर पर आपस में खींचतान भी जारी था जिसका खामियाजा खेल विभाग के दो पुराने अनुभवी अधिकारियों को भुगतना पड़ा। खेल विकास को बाधित करने वाले और चाटुकारों की सुनवाई ने खेल विभाग के दैनंदिनी कार्यों को प्रभावित किया। उत्कृष्ट खिलाडिय़ों से लेकर विभिन्न खेलों के राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में विजयी खिलाडिय़ों को उचित सम्मान तक के लिए तरसना पड़ा। मुख्यमंत्री स्वयं छत्तीसगढ़ राज्य ओलंपिक संघ के अध्यक्ष थे फिर भी 38वें राष्ट्रीय खेल को छत्तीसगढ़ की बजाय उत्तराखंड ले जाने पर उन्होंने उफ तक नहीं किया। छत्तीसगढ़ के प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों और अभिभावकों, प्रशिक्षकों के अरमानों पर पानी फेरना का इससे अच्छा उदाहरण कोई मिल नहीं सकता। अपने बच्चों के अरमानों को पूरा करने के लिए और उभरती हुई खेल प्रतिभाओं को अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए न जाने कितने अभिभावकों के साथ प्रशिक्षकों, खेल के प्रशंसकों ने घर से, अपनी जेब से या फिर दूसरों से उधारी मांगकर काम चलाया ये सब पर्दे के पीछे रहने वाली बातें थी जिसकी सिर्फ भुगतने वाले ही जानते हैं। इतना होते हुए भी 36वें, 37वें राष्ट्रीय खेलों में हमारे खिलाडिय़ों ने शानदार प्रदर्शन करके प्रदेश को गौरवान्वित किया। सचमुच वे बधाई के पात्र हैं। इसके विपरित कई खेल संघों ने अपने बलबूते पर न सिर्फ खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित किया बल्कि उन्हें पोशाक, खेल सामग्री, भोजन, परिवहन सुविधा भी दिये। छत्तीसगढ़ की नई भाजपा सरकार के सामने यह सब चुनौती है। 2024-25 के राज्य बजट में खेल विभाग के लिए जरूरत के अनुसार धनराशि रखा जाना चाहिए। 2018 से 2023 के दौरान राजय सरकार के खेल विभाग में जिस तरह आबंटित राशि खर्च की गई उसकी जांच कराने की जरूरत है। कई स्थानों पर राज्य खेल अकादमी के गठन की घोषणा की गई है उसके औचित्य पर भी प्रश्न उठे हैं। सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए जितनी भी घोषणा की गई उसका आकलन करना होगा। 2024-25 के बजट को खेलो इंडिया योजना का विशेष ध्यान रखकर बनाया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ खेल विकास प्राधिकरण में जिस तरह शासकीय नियंत्रण रखा गया है उससे खेल, खिलाड़ी या प्रशिक्षकों का कभी भी भला नहीं हो सकता। 2024-25 के बजट में अगर स्पष्ट रूप से यह उल्लेख होगा कि राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं में पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों तथा सपोर्ट स्टाफ को जरूरी व उचित इनाम दिया जायेगा तो छत्तीसगढ़ के खेल हित में यह सबसे ठोस व प्रभावी कदम होगा। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भारत को खेल का विश्वगुरु बनाने की सोच रखते हैं तो छत्तीसगढ़ के सत्ताधारी राजनेताओं को इससे सबक, प्रेरणा लेना होगा तथा इस राज्य के प्रतिभा सम्पन्न खिलाडिय़ों की खोज व उन्हें प्रशिक्षित करने का संकल्प लेकर आगे बढऩा होगा।

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