सामंजस्य की कमी लेकिन जीत से बढ़ा हौसला
हाकी विश्व कप-2023, भारत ने पहले मुकाबले में स्पेन को 2-0 से हराया
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
1971 से आरंभ पुरुष हाकी विश्व कप का 15वां संस्करण भारत ओडिशा राज्य में आरंभ हुआ। इसमें 16 देशों की टीम सम्मिलित है। 1971 में इस टूर्नामेंट में 10,1978 में 14, 2002 और 2018 में 16 टीम के बीच खिताबी मुकाबला हुआ जबकि बाकी बचे सभी विश्व कप स्पर्धा 1973, 1975, 1982, 86, 90, 94, 98, 2006, 10, 14 में 12 देशों की टीम ने भाग्य अजमाया । भारत ने इस चैंपियनशिप को 1975 में सिर्फ एक बार जीता है। 52 वर्षों के सफर में विभिन्न महाद्वीपों के कुल मिलाकर 24 टीम को इस विश्व कप के किसी न किसी संस्करण में अपना प्रदर्शन दिखाने का अवसर मिला है इनमें से सिर्फ चार क्रमश: भारत, जर्मनी, नीदरलैंड्स तथा स्पेन ही ऐसी टीम है जिन्हें इस टूर्नामेंट में भाग लेने का मौका मिला है। भारतीय हाकी का स्वर्णकाल 1928 से 1966 तक रहा जब हमारे खिलाड़ियों ने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में अलग-अलग समय पर स्वर्ण पदक जीता। 1975 के बाद भारतीय हाकी टीम विश्व कप स्पर्धा में विजेता बनने लिए प्रयासरत हैं लेकिन सफलता नहीं मिली है। ओडिशा में आयोजित 2023 की इस प्रतियोगिता में भारतीय टीम पूरी दमखम के साथ अपना दावा प्रस्तुत करने को तैयार है। भारत को इस स्पर्धा में ग्रुप डी में जगह मिली है। यह इस विश्व कप की सबसे अधिक कठिन पूल है। इसमें इंग्लैंड जिसे विश्व में 05वीं,भारत को 06वीं, स्पेन को 08वीं, वेल्स को 15वीं वरीयता हासिल है। इस दृष्टि से हमारे खिलाड़ी मानसिक रूप से तैयार हैं कि अगर उन्हें अपने ही देश,अपने ही लोगों के बीच विश्व कप पर कब्जा जमाना है तो कड़ी मेहनत करनी होगी। इसका उदाहरण हमें स्पेन के विरूद्ध पहले मैच में देखने को मिला। भारतीय टीम ने स्पेन के खिलाड़ियों पर कड़ी किलेबंदी की थी। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत ने इस मुकाबले को 2-0 के अंतर से जीत लिया। इस प्रकार तीन अंक के साथ हमारी टीम पूल में दूसरे स्थान पर है। आज के खेल से मिली सफलता से भारतीय टीम का मनोबल ऊंचा हुआ है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है। पेनाल्टी कार्नर के द्वारा गोल दागने की कमजोरी आज भी उभरकर आई। कप्तान हरमनप्रीत सिंह स्वयं विश्व प्रसिद्ध ड्रेग फ्लिकर हैं लेकिन आज उन्होंने निराश किया। भारत को मिले 7 पेनाल्टी कार्नर में से सिर्फ एक को गोल में बदलने में सफलता अमित रोहिदास केा मिली दुर्भाग्य की बात है कि भारत को मिले पेनाल्टी को गोल में तब्दील करने में हरमनप्रीत सिंह असफल रहे तो स्पष्ट है कि वे सफलता के दबाव में आ गये हैं। भारतीय टीम की ओर से दूसरा गोल भी भाग्य से आया जब फारवर्ड हार्दिक सिंह ने स्टीक से गेंद की कलाबाजी दिखाते हुए ठीक गोलपोस्ट के निकट बैक पास देना चाहा परंतु भाग्य से गेंद स्पेन के डिफेंडर कुनील पाउ के स्टीक से उछलकर गोलपोस्ट के अंदर चली गई। भारतीय खिलाड़ियों ने स्पेन पर काफी दबाव बनाया लेकिन गोल पोस्ट की तरफ सटीक निशाना लगाने में असफल रहे। खेल के अंतिम समय में स्पेन ने भारतीय टीम पर दबाव बनाया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। आज के मैच को देखते हुए भारत का क्वार्टर फायनल में पहुंचने का रास्ता साफ नजर आता है परंतु खेल इससे भी अधिक सामंजस्य से खेलना होगा।