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खेल – मनोरंजन

आयोजन की सफलता बढ़ायेगी देश की प्रतिष्ठा

विश्व कप क्रिकेट-2023: खिलाडिय़ों के साथ विदेशी मेहमानों का करें सम्मान

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
1983 में कपिल देव के नेतृत्व वाली भारतीय क्रिकेट टीम ने 1975, 1979 में लगातार दो बार विश्व कप क्रिकेट जीतने वाली वेस्टइंडीज की क्रिकेट टीम को पछाड़ दिया। क्रिकेट खेल के इतिहास का यह भारत के नौजवानों के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। सच मायने में इसके पश्चत ही दक्षिण एशियाई देश भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका पर विश्व कप क्रिकेट के आयोजनकर्ताओं की नजर पड़ी और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को इस अंचल में विश्व कप क्रिकेट के आयोजन की दिशा में सोच जागृत हुई। 1983 में क्रिकेट का सिरमौर बनने से एक और बात स्पष्ट हो गई कि भारत में क्रिकेट जन-जन का विशेषकर युवाओं का अपना खेल हो गया। रही सही कसर को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने भारत में 1987 के चौथे विश्व कप क्रिकेट को आयोजित करके पूरा कर दिया। फिर रंगीन टेलीविजन से सीधे प्रसारण ने क्रिकेट में धन कमाने के नये विचार ने जन्म लिया। इस प्रकार भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता ने जड़ पकडऩा आरंभ किया। 1975 से 1982 के दौर में ऐसा माना जाता था कि विश्व कप क्रिकेट के आयोजन के लिए सिर्फ और सिर्फ इंग्लैंड या यूनाईटेड किंगडम तथा आस्ट्रेलिया में ही पर्याप्त मैदान, होटल आदि हैं। 1987 के रिलायंस कप के नाम से सम्पन्न चौथे विश्व कप क्रिकेट ने इस बात की गलतफहमी को दूर कर दिया कि भारत में अच्छे मैदान आवास, परिवहन, खान-पान की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके पश्चात सीमित ओवर के इस एक दिवसीय क्रिकेट स्पर्धा को भारत ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2011 में एक बार फिर से भारत, श्रीलंका तथा बांग्लादेश में इस चैंपियनशिप का आयोजन हुआ। हमारे देश में क्रिकेट की दीवानगी को बढ़ाने क्रिकेट के नये प्रारूप टी-20 स्पर्धा ने भी उत्प्रेरक का कार्य किया। 2008 में टी-20 के विश्व कप विजेता बनने और 2008 में ही टी-20 प्रारूप में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) नामक चैंपियनशिप सोने में सुहागा साबित हुआ। भारत में क्रिकेट को गली-मुहल्ले तक पहुंचाने में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पदाधिकारियों का जितना हाथ रहा है उसके बराबर का योगदान प्रसारण अधिकार खरीदने वालों, क्रिकेट आंकड़ेबाजों तथा खिलाडिय़ों का भी है। हमारे देश में किसी भी क्रिकेट टूर्नामेंट के आयोजन के लिए जो सुविधा है उसे देखते हुए 2023 के 13वें संस्करण को सिर्फ भारत में ही कराने का निर्णय लिया गया। यह भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए गौरव की बात है। 1987 में श्रीलंका, पाकिस्तान, 2011 में श्रीलंका, बांग्लादेश के साथ संयुक्त आयोजन के बाद आईसीसी की नजर में भारत अकेले आयोजन लायक पाया गया है। ऐसी परिस्थिति में हमारे देश के खेलप्रेमियों, मैदान में उपस्थित दर्शकों, विभिन्न टीमों की देखभाल में नियुक्त जिम्मेदारों के समूह आदि पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है कि वे मेहमानों के आवभगत में किसी तरह की कमी न करें। 5 अक्टूबर 2023 से 19 नवम्बर 2023 तक खेले जाने वाले 13वें एकदिवसीय विश्व कप क्रिकेट के आयोजन के दौरान या हार-जीत पर इस बात का ध्यान रखना जरूरी है। इसके साथ ही सभी देशों के खिलाडिय़ों के साथ एक समान व्यवहार रखना होगा। मैच के दौरान मैदान में या स्टेडियम के बाहर ऐसी कोई भी हरकत नहीं करनी होगी जिससे आपसी भाईचारे और सौहाद्र्र पर आंच न आये। खेलकूद के माध्यम से देश-विदेश के खिलाड़ी एक-दूसरे के नजदीक आते हैं। वे एक दूसरे के व्यवहार, पहिरावा, खान-पान, आचार-विचार से अवगत होते हैं। जब वे लौटकर जाते हैं तो अपने साथ यादें लेकर जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में जिस तरह भारत विश्व के प्रमुख देशों में शामिल हो गया है। हमें उसका ध्यान रखते हुए विश्वकप क्रिकेट के दौरान न सिर्फ विदेशी खिलाड़ी बल्कि खेल अधिकारी या अन्य खेल पे्रमी मेहमान भारत भ्रमण पर आते हैं तो उनका भी पूरा आदर किया जाना चाहिए।

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