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छत्तीसगढ़

धान बेचने के लिए किसान कर रह हैं नई सरकार का इंतजार

रायगढ़ । प्रदेश में एक नवंबर से हुई धान खरीदी शुरू होने के बाद भी किसान धान बेचने को लेकर सोंच विचार में जुटे हैं। सूत्रों के मुताबिक धान खरीदी पर भी छत्तीसगढ़ में हुए आम चुनाव का असर पड़ा है। रायगढ़ जिले के 105 उपार्जन केन्द्रों में से महज 20 उपार्जन केन्द्रों में ही धान खरीदी की बोहनी हो पाई है। हालांकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिले में बारिश के काफी विलंब से आने के चलते धान की बुवाई देरी से हुई। जिससे फसल तैयार होने में वक्त लग रहा है। इस महीने के अंत तक धान की कटाई सभी क्षेत्रों में शुरू होने के साथ ही उपार्जन केन्द्रों में धान की आवक बढऩे की संभावना है। दूसरी तरफ राजनीति के जानकारों की माने तो धान खरीदी के संबंध में कांग्रेस.भापा की ओर से जारी की गई घोषणा पत्र में धान खरीदी की मात्रा और कीमत के अलावा बोनस की राशि बढ़ाने की बात सामने आई है। जिससे किसान नई सरकार बनने के बाद ही धान बेचने के मूड में दिख रहे हैं। इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के लिए बेहद लुभावने घोषणा पत्र जारी किया। जिसका असर इस साल की धान खरीदी पर पड़ा है। बताया जाता है कि रायगढ़ जिले के सभी विधानसभा क्षेत्र में दोनों ही राजनीतिक दलों ने धान खरीदी की कीमत और मात्रा बढ़ाने अपने.अपने घोषणा पत्र का जमकर प्रचार.प्रसार किया। जिसका फिलहाल असर पढऩे की बात कही जा रही है। माना जा रहा है कि किसान फिलहाल धान बेचने को लेकर गुरेज कर रहे हैं। जिसके चलते रायगढ़ जिले के ज्यादातर उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी की बोहनी तक नहीं हुई। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस सीजन में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की सभी तैयारी कर खरीदी 1 नवंबर से शुरू कर दी गई है। जिसका विपणन अधिकारी प्रवीण पैकरा ने बताया कि इस सीजन में 5 लाख मैट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित है। रायगढ़ जिले के 105 उपार्जन केन्द्रों में खरीदी 1 नवंबर से 31 जनवरी तक किया जाना है। अब तक जिले के 20 उपार्जन केन्द्रों में 1100 मैट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। दूसरी तरफ राजनीति के जानकारों की माने तो किसान प्रदेश में लई सरकार के आने का इंतजार कर रहे हैं। बताया जाता है किसान नई सरकार के आने पर धान की कीमत और बोनस राशि घोषणा के अनुरूप हो सकती है। जिससे किसान फिलहाल धान बेचने को लेकर अनिर्णय की स्थिति में है। और यही वजह है कि उपार्जन केन्द्रों में धान की आवक नहीं बढ़ रही है। माना जा रहा है कि मतगणना के बाद नई सरकार का गठन होने के साथ उपार्जन केन्द्रों में धान की आवक तेज हो सकती है। धान खरीदी शुरू होने के 20 दिन बाद तक महज 1100 मैट्रिक टन धान की खरीदी होने के पीछे प्रमुख कारण को आसानी से समझा जा सकता है।
फसल पकने का इंतजार
धान खरीदी की रफ्तार धीमी होने को लेकर कृषि विभाग के अधिकारी बारिश विलंब से होने को कारण मान रहे हैं। कृषि विभाग के उपसंचालक अनिल कुमार वर्मा का कहना है कि जिले में बारिश विलंब से आने के चलते बोनी देरी से हुई और यही वजह है कि जिले के कुछ एक क्षेत्र को छोडकऱ ज्यादातर इलाकों में धान की फसल पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाई। जिससे धान की कटाई भी पूरे क्षेत्र में शुरू नहीं हो पाया है। इस स्थिति में धान उपार्जन केन्द्रों में आवक धीमी है। इस महीने के अंत तक धान कटाई में तेजी आ सकती हैए जिससे उपार्जन केन्द्रों में धान की आवक बढऩे की संभावना है।
महज 206 किसानों ने बेचा धान
धान खरीदी की रफ्तार धीमी होने के पीछे विभागीय अधिकारी अलग कारण मान रहे हैं। लेकिन राजनीति के जानकार इसे सीधे तौर पर चुनाव से जोडकऱ किसान अपने संभावित लाभ को तत्काल पा लेने की उम्मीद पर होने की बात मान रहे हैं। बताया जाता है कि जिले के धरमजयगढ़ए लैलूंगा और खरसिया के कुछ क्षेत्र में धान की फसल जल्द ही तैयार हो जाती है। इस बार भी ऐसा ही नजर आ रहा है। लेकिन तात्कालिक लाभ की मंशा से किसान धान बेचने के लिए नई सरकार बनने का इंतजार कर रहे हैं। रायगढ़ जिले में इस साल धान खरीदी के लिए 83 जहार 619 किसान पंजीकृत किए गए हैं। जबकि अब तक 20 उपार्जन केन्द्रों में महज 206 किसान धान बेचने पहुंचे हैं। खास बात यह है कि फिलहाल पुराने दर पर और पूर्व में निर्धारित मात्रा में ही प्रति एकड़ के हिसाब से धान की खरीदी की जा रही है। जिससे किसान फिलहाल धान बेचने को मुनासीब नहीं मान रहे हैं।
घोषणा पत्र को लेकर किसान उत्साहित
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जहां अपनी घोषणा पत्र में 3200 रूपये प्रति क्विंटल की दर पर दान खरीदी की बात कही। वहीं प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी करने का वादा किया है। जबकि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में धान खरीदी का 2 साल का बकाया बोनस एकमुस्त भुगतान करने के साथ 3100 रू रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी करने घोषणा पत्र में उल्लेख किया है। इसके अलावा भाजपा ने धान खरीदी की बोनस राशि एकमुस्त देने की बात कही है। बताया जाता है कि किसान इस बात को लेकर खुश है कि किसी भी राजनीतिक दल की सरकार बनेए धान खरीदी की मौजूदा कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है। जिससे किसान मतदान के बाद अब मतगणना और उसके बाद नई सरकार के आने का इंतजार करते नजर आ रहे हैं। यह कहा जा सकता है कि किसानों को राजनीतिक दलों की घोषणा पर पूरा भरोसा है। यही वजह है कि किसान फिलहाल धान बेचने को लेकर गुरेज करते नजर आ रहे हैं।

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