छत्तीसगढ़

वीर नारायण सिंह पर भी रहा गुरु घासीदास के सिध्दांतों का प्रभाव: राशि

महासमुंद । संत सिरोमणी गुरु घासीदास जयंती के पावन मौके पर नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती राशि त्रिभुवन महिलांग घोड़ारी, परसट्टी, रमनटोला, लोहारडीह सहित खरोरा में जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुई। इस दौरान नपाध्यक्ष ने जैत खाम की पूजा अर्चना की। और नागरिकों को जयंती की बधाई दी।नगर सहित ग्रामीण अंचलों में गुरु घासीदास जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती राशि त्रिभुवन महिलांग अलग अलग ग्रामीण पंचायतों में आयोजित गुरु घासीदास जयंती समारोह में शामिल हुई। इस मौके पर नपाध्यक्ष ने घासीदास जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं जैत खाम की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर नपाध्यक्ष श्रीमती महिलांग ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा सभी को बाबा के विचारों व सिद्धांतों को आत्मसात करना चाहिए। उनका व्यक्तित्व सादा जीवन उच्च विचार वाली रहा है। गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने न सिर्फ सत्य की आराधना की, बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा के कार्य में किया।उनके पदचिन्हों पर चलना कठिन जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि, गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में छुआछूत, ऊंचनीच, झूठ-कपट का बोलबाला था, बाबा ने ऐसे समय में समाज को एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया। घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा। नपाध्यक्ष ने कहा गुरू घासीदास बाबा ने समाज में व्याप्त जातिगत विषमताओं को नकारा। उन्होंने कई वर्णों में बांटने वाली जाति व्यवस्था का विरोध किया। उनका मानना था कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति सामाजिक रूप से समानता का अधिकार रखता है। गुरू घासीदास पशुओं से भी प्रेम करने की सीख देते थे। वे उन पर क्रूरता पूर्वक व्यवहार करने के खिलाफ थे। यही नहीं छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह पर भी गुरू घासीदास के सिध्दांतों का गहरा प्रभाव था। इस अवसर पर पार्षद पवन पटेल, मीना वर्मा, जागेश्वर चंद्राकर जूगनू, लता कैलाश चंद्राकर, ऐरिश अनवर, समाज प्रमुख सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।

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