कलेक्टर गोपाल वर्मा ने बैगा आदिवासियों के साथ किया भोजन
कवर्धा । कबीरधाम जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र पंडरिया विकासखंड के ग्राम पंचायत कांदावानी के आश्रित ग्राम पटपरी में बैगा आदिवासी समुदाय और प्रशासन के बीच आत्मीय संबंध की मिसाल देखने को मिला। जिले के कलेक्टर गोपाल वर्मा ने विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय के बीच पहुंचकर एक आदिवासी परिवार नंद लाल बैगा के घर उनके साथ जमीन पर बैठकर भोजन किया। इस अनोखे अवसर पर कलेक्टर ने नंदलाल बैगा के घर में पहुंचकर न केवल उनके साथ भोजन का आनंद लिया, बल्कि उनके जीवन और सांस्कृतिक धरोहर से भी रुबरू हुए। कलेक्टर ने बैगा समुदाय के सांस्कृतिक जीवन और उनकी परंपराओं को करीब से देखा। यह पहल प्रशासन और आदिवासी समुदाय के बीच आपसी विश्वास और संबंध को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम पहल है। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल, पंडरिया एसडीएम संदीप ठाकुर, डिप्टी कलेक्टर आर बी देवांगन ने बैगा परिवार के साथ बैठकर भोजन किया। कलेक्टर गोपाल वर्मा ने बैगा आदिवासियों के साथ भोजन करते हुए कहा कि आपके साथ बैठकर भोजन करना मेरे लिए गर्व और प्रसन्नता की बात है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन आपके विकास और कल्याण के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। शासन की मंशा है कि आप सभी शासकीय योजनाओं का लाभ उठाएं और अपनी जीवनशैली में सुधार करें। उन्होंने यह भी कहा कि आपके बीच आकर आपकी समस्याओं को नजदीक से समझ रहे हैं और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे है। आपका सहयोग और समर्थन हमारे लिए महत्वपूर्ण है, और प्रशासन क्षेत्र विकास के लिए पूरी तरह से कार्य कर रही हैं। इस दौरान कलेक्टर ने आदिवासी संस्कृति और खानपान की प्रशंसा करते हुए, उनके आत्मनिर्भर जीवन को सराहा और भविष्य में प्रशासन की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। कलेक्टर ने कहा इसका उद्देश्य पिछड़े और विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों के लोगों के साथ सामाजिक एकता और जुड़ाव बढ़ाना है। प्रशासन और आदिवासी समुदाय के बीच संवाद और सहयोग को मजबूत करने के साथ ही आदिवासी समाज की वास्तविक समस्याओं को समझने और समाधान की दिशा में ठोस कदम है। उन्होंने कहा कि बैगा समुदाय छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण और विशेष पिछड़ी जनजातियों में से एक है। उन्होंने कहा कि योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और आदिवासी समुदाय की स्थिति समझने के लिए महत्वपूर्ण पहल है। कलेक्टर की यह पहल सरकार की योजनाओं और नीतियों को जमीनी स्तर पर लागू करने में मदद करेगी, जिससे बैगा आदिवासी समुदाय का विकास और सशक्तिकरण संभव होगा।