https://tarunchhattisgarh.in/wp-content/uploads/2024/03/1-2.jpg
खेल – मनोरंजन

आबंटित राशि की होती है खेल विकास में प्रमुख भूमिका

छत्तीसगढ़ की खेलनीति में सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
2023 के विधानसभा चुनाव ने इस प्रदेश की तस्वीर को बदल कर रख दी है। इसकी वजह से खेल से जुड़े तथाकथित अवसरवादियों की तकदीर गर्त में जायेगी। छत्तीसगढ़ में खेलकूद का माहौल बनाना है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा के अनुरूप ठोस कदम उठाने होंगे। सबसे पहले तो प्रदेश में खेल को महत्व देने वालों को वर्तमान सरकार द्वारा अपने भरोसे लेना होगा। उन्हें समझाना होगा कि खेल चाहे लोक, पारंपरिक, ग्रामीण या ओलंपिक खेल हो सभी की महत्ता को देखते हुए उनका सम्मान किया जायेगा। ओलंपिक में शामिल 28 प्रमुख खेलों में राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने पर खिलाड़ी के साथ ही साथ देश का नाम भी रौशन होता है। लोक, पारंपरिक व ग्रामीण खेलों से नागरिकों के जीवन में खेल की आवश्यकता को समझाया जाना आसान होता है। समय निकालने, आपसी प्रेम बढ़ाने और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने आदि के लिए किसी भी स्तर की प्रतियोगिता हो उसका महानता को बताया जा सकता है। खेलकूद केंद्रीय विषय के अंतर्गत है अत: केंद्र सरकार की नीति के अनुरूप खेलों को बढ़ावा दिया जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में सत्ता संभालते ही 1947 के पश्चात स्वतंत्र भारत में खेलकूद की स्थिति का जायजा लिया तो उन्हेें बड़ी निराशा हुई। उन्होंने खेलो इंडिया नामक योजना की शुरुवात की जिसका सीधा अर्थ है खेल प्रतिभाओं का चयन जमीनी स्तर से हो। उनके खान पान, आवास, शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की नई परंपरा की शुरुवात हुई। इस तरह की योजनाओं के लिए बजट की जरूरत होती है। केंद्र सरकार ने खेलकूद को पूरे भारतवर्ष में बढ़ावा देने के लिए राशि की व्यवस्था लगभग कर ली है। लेकिन समस्या राज्यों में खेलमद में बजट आबंटन की है। छत्तीसगढ़ में खेलकूद के लिए व्यवस्थित बजट की आवश्यकता है। राज्य में वर्तमान सरकार के समक्ष आर्थिक स्थिति को देखते हुए किसी भी मद के बजट में राशि आबंटन एक बड़ी समस्या है। छत्तीसगढ़ खनिज, वन, जल स्रोत से भरपूर राज्य है। भारत में राज्य सरकारों की अधिसूचना से स्थापित वैधानिक निकाय को डीएमएफ अर्थात जिला खनिज फाउंडेशन कहते हैं। वस्तुत: यह खदान और खनिज (विकास तथा नियामक) एमेंडसेंट एक्ट के तहत गैर लाभकारी ट्रस्ट के रूप में भारत के प्रत्येक खनन जिले में है। छत्तीसगढ़ के कई जिलों में लौह अयस्क, बाक्साइट, कोयला, ूचना पत्थर, हीरा आदि पाया जाता है। यहां पर डीएमएफ ट्रस्ट के माध्यम से उन लोगों और इलाकों के हित और लाभ के लिए इसमें की राशि काम में लाई जाती है। आमतौर पर ऐसे क्षेत्र के रहवासियों के जीवन स्तर सुधारने स्वास्थ्य व शिक्षा व पर्यावरण के मद में राशि खर्च की जाती है। हमारे प्रदेश के जिलों में इस राशि को खेलकूद के विकास के लिए लगाने की शुरुवात जरूरी है। खेलकूद में सिर्फ खिलाड़ी का परिश्रम, अनुशासन ही नहीं परंतु उसके लिए उचित अधोसंरचना, खेल सामग्री, खान पान, प्रशिक्षण का विशेष महत्व होता है। पड़ोसी ओडीसा राज्य के मुख्यमंत्री नबीन पटनायक ने इसी तरह की राशि से आज अपने प्रदेश को विश्व खेलकूद स्थल के रूप में स्थापित कर लिया है। जिसके अध्ययन के लिए छत्तीसगढ़ की ओर से एक टीम को ओडीसा भेजे जाने की जरूरत है। छत्तीसगढ़ में डीएमफ फंड के अलावा अन्य सार्वजनिक उपक्रम, औद्योगिक संस्थाओं से भी विभिन्न खेलों को गोद लेने की नीति लागू करना चाहिए। इस तरह के प्रयास से संभव है हमारे प्रदेश के प्रतिभाशाली खिलाड़ी छत्तीसगढ़ का नाम अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्थापित कर सकेंगे।

Related Articles

Back to top button