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खेल – मनोरंजन

खिलाडिय़ों को देना चाहिए अधिक पारिश्रमिक

क्रिकेट - इंडियन प्रीमियर लीग, टी-20 क्रिकेट मैच अब राजस्व में दूसरे स्थान पर

जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
रंगीन टेलीविजन से खेल स्पर्धाओं के सीधे प्रसारण ने खेल संसार में भूचाल ला दिया है। इससे खिलाडिय़ों को प्रसिद्धि मिली, नये खिलाडिय़ों की फौज तैयार हुई, खेल की दुनिया में इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से नये-नये रोजगार उत्पन्न हुए, प्रशिक्षक, सहयोगी सदस्यों, प्रसारण से जुड़े तमाम लोगों जैसे कमेंटेटर, ग्राफिक्स, डिजाइनर, आंकड़ेबाज उभरे तथा खेल सामग्री का नया बाजार बना आदि। 1939 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों के दौरान पहली बार खेल मुकाबले का प्रसारण किया गया।
25 जून 1951 को बेसबाल के मैच का जो कि लास एंजल्स डॉडगेर्स वि. बोस्टन ब्रेव्स के बीच खेला गया उसका रंगीन पर्दे पर प्रसारण हुआ। भारत में 1982 में नौंवे एशियाई खेलों से रंगीन पर्दे पर प्रसारण आरंभ हुआ। अगर हम पीछे मुड़कर रंगीन टेलीविजन से खेलों के प्रसारण का अध्ययन करें तो पाते हैं कि फुटबाल, ओलंपिक खेलों, आईपीएल, टेनिस, बैडमिंटन जैसी खेल प्रतियोगिताओं के रंगीन प्रसारण ने दर्शकों, खेलप्रेमियों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। 1983 में विश्व कप क्रिकेट का बादशाह बनने के पश्चात भारत में रंगीन टेलीविजन से क्रिकेट के प्रसारण का दौर आरंभ हुआ। 18 अप्रैल 2008 से क्रिकेट के सबसे छोटे टी-20 प्रारूप में इसका लीग आरंभ हुआ। तब से लेकर करीब 15 वर्षों में इस टूर्नामेंट ने प्रसारण के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किया है। आज इंडियन प्रीमियर लीग क्रिकेट स्पर्धा के लोकप्रियता की दृष्टि से विश्व में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। इसकी वजह बहुत से हैं परंतु इस खेल में नित नये बनते कीर्तिमान सबसे ज्यादा प्रमुख हैं। अब तो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ ही अन्य धनाड्य देशों के नियोक्ता इस लीग में धन लगा रहे हैं। माना जा रहा है कि आईपीएल से भारत में एक लाख बीस हजार लोगों को रोजगार मिला है। विज्ञापन द्वारा छत्तीस हजार करोड़ की राशि प्राप्त होने की उम्मीद है। 2023 से 27 तक इस लीग ने प्रसारण के इलेक्ट्रानिक मीडिया के अधिकार को 48,390 करोड़ रुपए में बेचा गया है। अब एक अहम मुद्दा चर्चा में है कि इस लीग में शामिल फ्रेंचाइसी को करीब 500 करोड़ का लाभ होता है लेकिन एक खिलाड़ी को 16-17 करोड़ से अधिक नहीं मिलता है कुछ क्रिकेटरों को 20 लाख मिलते हैं। अगर खिलाडिय़ों को होने वाली आय की तुलना फीफा याने फेडरेशन आफ इंटरनेशनल फुटबाल में फुटबालर से जाए तो उनकी की सेलरी कुल राजस्व का 71 प्रतिशत है जबकि आईपीएल के क्रिकेटरों को लगभग 17 प्रतिशत राजस्व मिलता है। इस तरह के आंकड़े सामने आने के बाद भारतीय खेल जगत में तहलका मचा हुआ है। जिन खिलाडिय़ों की वजह से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) तथा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अरबों रुपए अपनी झोली में डाल रही है उसे एक खिलाड़ी का शोषण ही माना जाएगा। ताज्जुब है इस दिशा में अभी तक प्रमुख क्रिकेटर्स या खेल स्तंभकारों में से किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई है। इस लीग से जुड़े समस्त पक्षों के लिए अब जागने का समय आ गया है। जिन खिलाडिय़ों ने अपना बचपन से लेकर जवानी तक का समय क्रिकेट के लिए कुर्बान कर दिया उनके खेल जीवन की समाप्ति के बाद जीवनयापन की कोई योजना तक नहीं बनाई गई है। इस तरह क्रिकेट में आईपीएल की सफलता से कोई इंकार न हीं कर सकता परंतु इसको आयोजित करने वालों को क्रिकेटरों के प्रति कहीं जयादा संवेदनशील होना चाहिए।

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