ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया जाना जरूरी
सत्ता परिवर्तन का प्रभाव छत्तीसगढ़ की खेल गतिविधियों पर होगा
2023 के विधानसभा चुनाव के बाद इस प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री तथा अरुण साव, विजय शर्मा ने उपमुख्यमंत्री का कार्यभार ग्रहण कर लिया है। छत्तीसगढ़ का खेल संसार अब राज्य में खेलकूद गतिविधियों के सुचारू एवं व्यवस्थित रूप से चलाये जाने की उम्मीद कर रहा है। इस दिशा में खेल विभाग में आमूलचूल बदलाव संबंधी कई महत्वपूर्ण निर्णय अपेक्षित है। नये प्रदेश के गठन की वजह से छत्तीसगढ़ में एक नवम्बर 2000 के पश्चात खेलकूद जगत में हलचल आ गई। एक तरफ अधिकृत खेलों में भाग लेने के लिए नये प्रतिभागियों की टीम बनने लगी दूसरी तरफ भारतीय ओलंपिक संघ नईदिल्ली के तत्वावधान में खेल संघों का उन्नयन होने लगा। जिला खेल संघ के पदाधिकारी राज्य खेल संघ को संभालने लगे। शुरुवाती दौर में खेल प्रेमियों, खेल आयोजकों, राजनीतिज्ञों, खेल अधिकारियों ने इस नवनिर्मित राज्य में खेल को बढ़ावा देने के लिए निरंतर आपसी सहयोग दिया। फिर 2003 से 2018 तक भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में जिला से लेकर राज्य स्तर के खेल संघों का व्यवस्थित गठन हो पाया। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेल मैदान/एरिना तथा विभिन्न खेल संघों के स्टेडियम बनाने में प्रभावी भूमिका निभाई। दुर्भाग्य की बात है कि 2018 के पश्चात भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने खेलकूद की ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया। सिर्फ खेल अकादमी के गठन की घोषणा से ही खेलों व खिलाड़ी का हित साधा नहीं जा सकता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आरंभ खेलों इंडिया योजना की वजह से छत्तीसगढ़ राज्य में खेल गतिविधियों को गति मिली। केंद्र सरकार के खेल विभाग ने प्रदेश के रायपुर व राजनांदगांव में भारतीय खेल प्राधिकरण के प्रशिक्षण केंद्र खोले। आज जबकि विश्व स्तर पर प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए ग्रीष्म व शीतकालीन ओलंपिक में आयोजित 28 कोर खेलों को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है तो छत्तीसगढ़ में इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाये गये। यह ठीक है कि पारंपरिक खेलों या लुप्तप्राय खेलों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए परंतु इसका अर्थ यह भी नहीं है कि पदक जीतकर छत्तीसगढ़ और भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने वालों के कोर ओलंपिक खेलों की उपेक्षा की जाए। 2018 से लेकर 2023 तक हमारे राज्य के खेल विभाग ने कोर ओलंपिक खेलों तथा अन्य मान्यता प्राप्त खेलों में सम्मिलित होने वाले खिलाडिय़ों की कितनी उपेक्षा की गई इसका आंकलन राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर के, उन्हें प्रशिक्षकों से तथा उनके अभिभावकों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर प्राप्त किया जा सकता है। लोक खेलों को संरक्षित व बढ़ावा दिये जाने का प्रस्ताव किस खेल अधिकारी या राजनेता या सलाहकार द्वारा की गई इस पर से पर्दा उठाना छत्तीसगढ़ के खेल हित में होगा। तीन-तीन माह तक खेल स्पर्धा के आयोजन के नाम पर जिस तरह पूरे प्रदेश के नागरिकों, छात्र-छात्राओं, नौजवानों, महिलाओं को उलझाकर रखा गया इसका खुलासा होना भी उचित होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंशा के अनुरूप खेलकूद को भारत के गांव-गांव तक पहुंचाने वहां की प्रतिभाओं को तराशने की मंशा के अनुरूप यह जरूरी है कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के अध्यक्ष भूपेश बघेल को तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे देना चाहिए। हालांकि उनका कार्यकाल अगस्त 2024 तक है चूंकि वे इस पद पर मुख्यमंत्री होने के कारण चुने गये थे। अत: इस प्रदेश के उदयीमान खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों को खेलकूद में आगे बढऩे के लिए खुला आसमान मिल सके।