देश का नाम रौशन करने,ऐसे खेलों पर लगाए दांव
मुक्केबाजी: इंटरनेशनल बाक्सिंग एसोसिएशन के अंतर्गत 13वीं विश्व महिला स्पर्धा सम्पन्न
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
खेलों की दुनिया में कुछ खेल साधारण कुछ असाधारण होते हैं। ऐसा हम चोट लगने/घायल होने के आधार पर कह सकते हैं। ऐसे खेल जिसमें प्रतिभागियों के आपस में सीधे तौर पर संपर्क नहीं होता वे साधारण खेल हैं जबकि जहां एकल या टीम स्पर्धा में खिलाडिय़ों की सीधी भिड़ंत होती है हम असाधारण की श्रेणी में रख जा सकता है। असाधारण खेलों को भी दो वर्गों में बांटा जा सकता है एक तो सीधे शरीर से संपर्क दूसरा किसी माध्यम की वजह से शरीर का संपर्क होना है। शरीर से सीधे संपर्क में आने वाले खेलों में मुक्केबाजी, कुश्ती, मार्शल आर्ट्स आदि खेल प्रमुख हैं। सारी बातों का आकलन करने पश्चात यह स्वीकार करना उचित है कि सभी खेलों में सीधे संपर्क में आने वाला मुक्केबाजी का खेल सबसे अधिक साहसी लोगों का खेल है। वैसे यह खेल मानव सभ्यता के साथ ही आगे बढ़ा है। इसमें भी मानव के दो रूप पुरुष व स्त्री में से मुक्केबाजी का खेल पुरुषों के बीच ज्यादा फूला फला। अंतर्राष्ट्रीय विश्व मुक्केबाजी पुरुष वर्ग की प्रतियोगिता 1974 में आरंभ हुई लेकिन समय के परिवर्तन के साथ ही मांग के अनुरूप महिलाओं के लिए विश्व स्पर्धा 21वीं सदी के 2001 में आरंभ हुई। एकाग्रता, ऊर्जा, हिम्मत, त्वरित निर्णय का यह खेल भले ही स्त्रियों के लिए चुनौती भरा है लेकिन संसार भर की महिलाओं ने इस खेल को अपनाया और अपना कैरियर बनाया। भारत की एमसी मेरीकाम विश्व में एकमात्र ऐसी महिला हैं जिन्होंने अब तक अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में सर्वाधिक आठ पदक हासिल किया है। हमें यह स्वीकारना होगा कि भारत में मुक्केबाजी को महिलाओं द्वारा अपनाए जाने की वजह एमसी मेरीकाम ही है। इस खेल में प्राप्त उपलब्धि के कारण उन्हें भारत सरकार ने दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री से नवाजा, साथ ही अर्जुन पुरस्कार दिया और उनकी इस साहसिक उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की पहल पर उन्हें राज्यसभा का मनोनीत सदस्य बनाया। एमसी मेरीकाम ने विपरीत स्थिति में विश्व स्पर्धा में आठ पदक और 2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य जीतकर मुक्केबाजी को जिस स्तर पर पहुंचाया उसके सकारात्मक परिणाम अब आने लगे हैं। नई दिल्ली में 15 मार्च से 26 मार्च 2023 तक सम्पन्न 13वें आईबीए वल्र्ड बाक्सिंग चैंपियनशिप में भारतीय महिलाओं ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चार स्वर्ण जीतकर पदक तालिका में पहला स्थान हासिल किया। इस उपलब्धि की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। इस प्रतियोगिता में 12 विभिन्न वजन वर्गों में 65 देशों के 324 महिला मुक्केबाजों ने भाग लिया था। इस प्रकार स्पष्ट है कि चार स्वर्ण पदक हासिल करना असाधारण प्रदर्शन है। भारत की ओर से नीतू घंघास, निकहत जरीन, लवलीना बोरगोहेन तथा स्वीटी बूरा ने स्वर्ण पदक जीता। इस तरह 13 संस्करणों में भारतीय महिला मुक्केबाजों ने अब तक 14 स्वर्ण, आठ रजत, 21 कांस्य सहित 43 पदक प्राप्त किया है।
भारत के खेल इतिहास में यह गौरवशाली, ऐतिहासिक क्षण है जब हमारे देश की महिलाएं मुक्केबाजी जैसे खेल में अदम्य साहस का परिचय देते हुए सफलता पाई और आने वाली पीढ़ी को इस खेल से जुडऩे के लिए प्रोत्साहित किया। इस सफलता से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विश्व में खेल शक्ति बनने के संकल्प को मजबूती मिली है। भारतीय खेल विकास प्राधिकरण (साई) के द्वारा खिलाडिय़ों को विभिन्न खेलों में व्यवस्थित, सुनियोजित प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाने का यह स्पष्ट परिणाम है। मुक्केबाजी एक ओलंपिक खेल है। ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में महिला-पुरुष में 8-8 स्वर्ण, रजत 16-16, कांस्य सहित 48 पदक दांव पर लगते हैं। हमें ऐसे खेलों को बढ़ावा देना होगा जिससे हमारे देश का नाम रौशन होगा।