जैवविविधता सरंक्षण व संवर्धन करना हमारा पहला कर्तव्य
गरियाबंद । गरियाबंद के मंगल भवन मे गुरुवार को जैवविविधता सरंक्षण व संवर्धन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया कार्यक्रम मे मुख्यातिथि के रूप मे मुख्यमंत्री के सलाहकार व कृषि योजना ग्रामीण विकास सलाहकार प्रदीप शर्मा थे कार्यक्रम की अध्यक्षता अध्यक्ष छ. ग. राज्य जैवविविध बोर्ड राकेश चतुर्वेदी विशिष्ट अतिथि के रूप मे सी सी एफ राजू आकाशमणी,श्रीमती लक्ष्मी अरुण साहू सदस्य राज्य केम्पा मद, आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जनक ध्रुव, जिला पंचायत गरियाबंद के उपाध्यक्ष संजय नेताम उपस्थित थे
अतिथियो द्वारा के द्वारा सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र मे दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया, जिसके बाद अतिथियों को गुलदस्ता भेटकर स्वागत किया गया मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित करते हुए प्रदीप शर्मा ने कहा कि सदियों से गरियाबंद क्षेत्र जैव विविधता से समृद्ध विरासत का पोषक रहा है। खनिज, औषधि एवं वन से परिपूर्ण इस धरा पर सभी समुदाय के लोग प्रकृति के साथ सदैव संतुलन बनाकर चले है, इसका संरक्षण व संवर्धन करना हमारा महती दायित्व है। स्थानीय समुदाय के पुरातन ज्ञान विज्ञान एवं संस्कृति को न केवल सहेजने बल्कि उसे देश और दुनिया के समक्ष लाने की भी आवश्यकता है। यहां पाये जाने वाले वनीय जड़ी-बूटी में असाध्य रोगों में भी उपचारित करने की क्षमता है, भविष्य के लिए लुप्त हो रही औषधि पौधों वनस्पतियों को बचाने हेतु स्थानीय समुदायों को इसकी बड़े पैमाने पर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए इसके लिए जैवविविधता प्रबंधन समितियां की बड़ी भूमिका है उन्होंने आगे कहा की उनका नाता गरियाबंद से बहुत पुराना है वे इस क्षेत्र मे खेले बढ़े है उनके पिता जी यंहा शिक्षक थे तब वे अक्सर गरियाबंद आते थे जिले मे प्रचूर मात्रा मे वन औषधि है जिसे हमें संभाल कर रखना है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ की परंपरा को जीवित रखना अनेक योजना पर काम कर रही है जब भूपेश बघेल ने प्रदेश में नरवा गरवा घुरवा योजना चालू की तब लोग इस योजना का हंसी उड़ा रहे थे लेकिन आप दूसरे राज्य भी छत्तीसगढ़ की योजना का कॉपी कर रहे हैंइस अवसर पर अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड राकेश चतुर्वेदी ने कहा कि प्रकृति और मनुष्य के बीच अटूट सम्बन्ध के निर्वहन का पाठ बस्तर से सीखना चाहिए हमारे प्राचीन वेदों पुराणों एवं संस्कृति में नदी पर्वत एवं वनों की पूजा का विधान है। जो प्रकृति और हमारे बीच सुदृढ़ सम्बन्ध और सामंजस्य का परिचायक है। परन्तु प्रकृति के अवैज्ञानिक विदोहन से यह सामंजस्य अब खतरे में है जो ग्लोबल वार्मिंग के रूप में मानव जाति के समक्ष है, और अभी भी अगर हम सचेत नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ी को इसका खामियाजा भूगतना पड़ेगा। जैवविविधता बोर्ड का उद्देश्य है कि भविष्य में जैवविविधता के संरक्षण और संवर्धन के कार्यों का विस्तार कर इस दिशा में किए जाने वाले अन्य प्रयासों में युवाओं को प्रेरित करें साथ ही बोर्ड का यह भी लक्ष्य कि स्थानीय समुदाय के बडे वर्ग उससे लाभान्वित हो इसके साथ ही उन्होंने शासन द्वारा इस दिशा में किए जाने वाले प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि शासन की नरवा गरवा घुरवा बाडी योजना भी स्थानीय संसाधनों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मूर्त रूप देने का एक अंग है और इसके सकारात्मक प्रभाव सभी के सामने है ।साथ ही शासन द्वारा अब वनोपज खरीदी में पूर्व से बढ़ाकर 65 प्रकार के वनोपजों को शामिल किया गया है जिसका सीधा लाभ स्थानीय लोगों का मिलेगा! इस अवसर पर गरियाबंद वनमंडल अधिकारी मनिवासगन,शितिज चंद्राकर आल इंडिया प्रोफेशन कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष, आलोक चंद्राकर अध्यक्ष जीव अनु बोर्ड, एल एल देवांगन सहप्रभारी, उप मंडलाअधिकारी गरियाबंद मनोज चंद्राकर, उपमंडला अधिकारी राजिम राजेश ठाकुर, उप मंडलाअधिकारी मैनपुर उमेंद्र सोरी, राजीव युवा मितान के जिला संयोजक संदीप सरकार, विधानसभा संयोजक बंटी साहिल, विधानसभा संयोजक निद्रानवगढ़ उमेन्द्र सहित बड़ी संख्या मे राजीव का मितान के कार्यकर्ता एवं ग्रामीण जन उपस्थित थे।