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खेल – मनोरंजन

यह है भारतीय शतरंज का स्वर्णकाल

शतरंज : भारत के युवा खिलाडिय़ों की फौज कर रहा नाम रौशन

– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
जीवन के अन्य क्षेत्रों की भांति खेलकूद में भी यह सुनिश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि एक खिलाड़ी या एक देश की कोई टीम किसी खेल में हमेशा सर्वोच्च स्थान पर रहेगी। प्रकृति में बदलाव एक शाश्वत सच है ठीक उसी तरह खेलकूद में भी श्रेष्ठता बनाए रखना कठिन लक्ष्य है। वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम 1975, 1979 में दो बार विश्व चैंपियन बनी लेकिन 2023 के विश्व कप क्रिकेट के लिए योग्यता हासिल करने में असफल रही। ठीक उसी तरह ओलंपिक खेलों में शामिल हाकी में भारतीय टीम अर्श से फर्श में आई 1928 से 1956 तक भारत ने लगातार 6 स्वर्ण पदक जीते आगे 1960 में रजत, आगे चलकर 1964 में स्वर्ण, 1968 और 1972 में कांस्य पदक जीता लेकिन 1976 के मांट्रियाल ओलंपिक खेलों में हॉकी की बात छोडिय़े भारतीय खिलाडिय़ों ने किसी अन्य खेल में कोई पदक हासिल नहीं किया फिर 2008 के बीजिंग ओलंपिक में भारत हाकी में भाग लेने के लिए योग्यता हासिल करने में असफल रहा। कहने का तात्पर्य यह है कि जिंदगी में जिस तरह उतार चढ़ाव आते हैं ठीक उसी तरह खेल जीवन में भी खिलाड़ी या टीम कभी हीरो या फिर कभी जीरो बन जाते हैं।

इन दिनों हमारे देश के शतरंज के युवा खिलाडिय़ों का विश्व स्तर प्रदर्शन चर्चा का विषय बना हुआ है। एक बड़ी उपलब्धि भारत के उदयीमान शतरंज खिलाड़ी डी. गुकेश ने हासिल की है। 4 सित्मबर 2023 को जारी शतरंज के पुरुष वर्ग के खिलाडिय़ों की विश्व स्तर योग्यता क्रम में भारत के डी. गुकेश आठवें क्रम में आ गये हैं। इस प्रकार वे भारत के महान शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद को विश्व क्रम में नौवे स्थान पर पीछे छोड़ते हुए हमारे देश के पहले नंबर के खिलाड़ी बन गये हैं। भारतीय खेल मीडिया ने पूरी कंजूसी बरतते हुए भले ही डी.गुकेश की इस सफलता को अपेक्षाकृत कम महत्व दिया लेकिन इससे भारत के उभरते हुए इस खिलाड़ी की उपलब्धि को इतिहास में दर्ज करने से रोक नहीं सके। विश्वनाथन आनंद का जन्म 11 दिसम्बर 1969 को तमिलनाडु में हुआ था। वे सिर्फ 15 वर्ष की उम्र में बीस वर्ष से कम उम्र के एशियाई जूनियर शतरंज चैंपियनशिप को जीतकर इंटरनेशनल मास्टर बने थे। 1989 में उन्हें ग्रेंड मास्टर की टाइटिल 20 वर्ष की उम्र में हासिल हुई। 1985 से 2023 अर्थात् पिछले 8 वर्षों से तक आनंद लगातार शतरंज खेल रहे हैं। फिडे की अधिकारिक रेटिंग सूची वर्ष 2000 से आरंभ हुई जिसमें आनंद को 14वां स्थान 2786 अंक के साथ मिला था। वे 2000-2002 तथा 2007 से 2013 तक विश्व चैंपियन रहे। आज उनकी रेकिंग नौवी है। जिसमें क्लासिकल में 2754, रेपिड में 2745 और ब्लिट्ज में 2709 अंक उनके नाम दर्ज है। दूसरी तरफ शतरंज के नये सरताज डोमाराजू गुकेश का जन्म 29 मई 2006 को हुआ और उन्होंने भारत के सर्वश्रेष्ठ शतरंज खिलाड़ी का ताज सिर्फ 17 वर्ष में पहन लिया। फिलहाल आठवीं वरीयता के साथ क्लासिकल में उनके 2758, रेपिड में 2629 तथा ब्लिट्ज में 2659 अंक उनके खाते में हैं। गुकेश शुरू से ही प्रतिभाशाली शतरंज खिलाड़ी रहे हैं और दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रेंडमास्टर हैं। उन्होंने 12 वर्ष, सात माह और 17 दिन में यह खिताब हासिल किया। गुकेश जब सिर्फ सात वर्ष के थे उन्होंने शतरंज खेलना आरंभ किया। चेन्नई के रहने वाले गुकेश आज भारत के शतरंज की आशा बनकर उभरे हैं। आनंद पिछले 37 वर्षों से शतरंज खेल रहे हैं अब देखना है कि गुकेश कब तक खेलते हैं। क्योंकि इस खेल में संयम, आत्मनियंत्रण, त्वरित निर्णय, आत्म विश्वास, शारीरिक फिटनेस, अनुशासन, समय की पाबंदी का बहुत महत्व होता है। हम कह सकते हैं इन सब खूबियों में आनंद खरे उतरे हैं जबकि गुकेश को अभी यह सब कुछ साबित करना है। भारतीय शतरंज के लिए अभी और भी खुशखबरी है कि कुछ और युवा खिलाड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उनमें 20वें स्थान पर पी. रमेशबाबू, 26वें स्थान पर विदित संतोष गुजराती, 29वें स्थान अर्जुन ईरीगैसी, 30वें स्थान पर पी हरिकृष्णा सहित 6 खिलाड़ी विश्व में पहले 50 स्थान पर बने हुए हैं। इसी तरह महिला वर्ग में विश्व वरियता में कोनेरू हंपी चौथे, डी हरिका 13वे, वैशाली रमेशबाबू 26 वे तथा वंतिका अग्रवाल 34वे स्थान पर है. विश्वनाथन आनंद ने युवा भारतीयों की उपलब्धि को भारत के शतरंज इतिहास का स्वर्णकाल कहा है जिससे सभी सहमत हैं।

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