चुनिंदा खेलों पर चाहिए विशेष ध्यान
छत्तीसगढ़ में ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर मई-जून में
– जसवंत क्लाडियस,तरुण छत्तीसगढ़ संवाददाता
शैक्षणिक सत्र की समाप्ति के पश्चात ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान बालक-बालिकाओं का खेल प्रशिक्षण शिविर लगाये जाने की परम्परा विगत कई वर्षों से हो रही है। इस बार 15 जून 2023 के पूर्व एक माह का खेल प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाने का निर्णय संचालनालय खेल एवं युवा कल्याण छत्तीसगढ़ द्वारा लिया गया है। जमीनी स्तर से प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों को चुनकर उचित मंच दिये जाने का यह सबसे उपयुक्त अवसर है।
छत्तीसगढ़ में खेलकूद के लिए शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त बालक-बालिका, किशोरों की कोई कमी नहीं है। परंतु समय पर जानकारी के अभाव में उत्सुक खिलाड़ी ऐसे प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने से वंचित हो जाते हैं। अन्य राज्यों की तरह हमारे प्रदेश के अभिभावकों, पूर्व खिलाडिय़ों, खेलप्रेमियों में काफी जागरूकता आई है और वे अपने-अपने परिवारों, गली-मुहल्ले के बच्चों को खेलकूद में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। ऐसे शिविर में सिर्फ शाला जाने वाले विद्यार्थियों को शामिल किये जाने का प्रावधान है तो उसमें संशोधन किये जाने की आश्यकता है। आजकल बहुत से बच्चे जो कि किसी कारणवश नियमित रूप से अध्ययन के लिए शाला नहीं जा पाते हैं लेकिन खेल के प्रति उनका लगाव है वे अच्छा खेलते हें तो फिर ऐसे उदयीमान खिलाडिय़ों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी कौन लेगा जिस तरह नियमित रूप से पढ़ाई नहीं कर पाने वालों के लिए पत्राचार या दूरशिक्षा कार्यक्रम लागू है वैसे ही खेल में भी होना चाहिए। निजी खेल संस्थानों में प्रशिक्षण के नाम से बड़ी राशि ली जाती है यह उनकी मजबूरी है परंतु ऐसे प्रशिक्षण शिविर में जो कि शासकीय तौर पर संचालित है जिसमें सब जूनियर व जूनियर वर्ग के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित किया जाता है। उनमें जरूरतमंद खेल प्रतिभाओं को शामिल किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय शाला खेल स्पर्धा में 30 ओलंपिक खेलों और 32 पारंपरिक खेलों का समावेश है पंरतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी देश का मान सम्मान तब बढ़ता है जब हमारे खिलाड़ी ओलंपिक खेलों में शामिल होकर पदक प्राप्त करते हैं। अत: छत्तीसगढ़ में ओलंपिक खेलों को ऐसे प्रशिक्षण शिविर के दौरान शामिल करना प्रसन्नता की बात है। अब ओलंपिक खेलों में भी बड़ी चतुराई के साथ अधिक पदक वाले खेलों में विद्यार्थियों को बढ़ावा देने का प्रयास होना चाहिए। साथ ही कुछ ऐसे एशियाई खेलों तथा राष्ट्रमण्डल खेलों को लेकर आगे बढ़ाए जाने की कोशिश होनी चाहिए। ओलंपिक खेलों में पदक की दृष्टि से जलक्रीड़ा में स्वर्ण, रजत, कांस्य पदक क्रमश: 49-49-49 याने 147 इसी तरह एथलेटिक्स में 48-48-48 याने 144 पदक है। साथ ही सायकलिंग में 66, जिमनास्टिक में 54, कुश्ती में 54, भारोत्तोलन में 30, केनोइंग में 48, मुक्केबाजी में 39, तलवारबाजी में 36 पदक जूडो में 45 और ताइक्वांडों में 24 पदक हैं। तात्पर्य यह है कि छत्तीसगढ़ में जो खेल सुविधा उपलब्ध है उसकी वजह से उपरोक्त में से सायकलिंग को छोड़कर अन्य सभी 20 से अधिक पदकधारी खेलों को बढ़ाया दिया जाना चाहिए। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग में तैराकी, रायपुर, जगदलपुर, बिलासपुर, कोरबा में एथलेटिक्स, कैनोइंग, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव में भारोत्तोलन, रायपुर में कुश्ती, ताइक्वांडो, तलवारबाजी आदि खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ के खेल विभाग में आमूलचूल परिवर्तन करके सबा अंजुम, ओलंपियन राजेन्द्र प्रसाद, आकर्षि कश्यप, मनोज प्रसाद, ओलंपियन रेणुका यादव, राजेश चौहान, प्रदीप जोशी, कविता आसना, पवन धनगर आदि जैसे छत्तीसगढ़ के महान खिलाडिय़ों को प्रशासन संभालने की जिम्मेदारी देना चाहिए तभी छत्तीसगढ़ की खेल संस्कृति को गहराई मिलेगी।