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छत्तीसगढ़

जैवविविधता संरक्षण व संवर्धन पर एक दिवसीय संभाग स्तरीय कार्यशाला संपन्न

दंतेवाड़ा । मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा की अध्यक्षता में जैवविविधता संरक्षण व संवर्धन का महत्व समझाने एवं जागरूकता लाने पर आज एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन ऑडिटोरियम जावंगा गीदम में किया गया। मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि सदियों से बस्तर जैव विविधता से समृद्ध विरासत का पोषक रहा है। खनिज, औषधि एवं वन से परिपूर्ण इस धरा पर आदिवासी समुदाय प्रकृति के साथ सदैव संतुलन बनाकर चले है, इसका संरक्षण व संवर्धन करना हमारा दायित्व है। श्री शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्थानीय समुदाय के पुरातन ज्ञान विज्ञान एवं संस्कृति को न केवल सहेजने बल्कि उसे देश और दुनिया के समक्ष लाने की भी आवश्यकता है। श्री शर्मा ने कहा बस्तर में विभिन्न प्रकार की जड़ीबूटी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। जिसके औषधि उपयोग की परंपरागत जानकारी यहाँ के वैधों को है जिसका विस्तृत उपयोग होना चाहिए। साथ ही हर ग्राम में औषधालय की स्थापना की जानी चाहिए। यहां पाये जाने वाले वनीय जड़ी-बूटी में असाध्यरोगों में भी उपचारित करने की क्षमता है, भविष्य के लिए लुप्त हो रही औषधि पौधों वनस्पतियों को बचाने हेतु स्थानीय समुदायों को इसकी बड़ेपैमाने पर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए इसके लिए जैवविविधता प्रबंधन समितियो की बड़ी भूमिका है।
विभिन्न ग्रामों के वैद्य से मुलाकात
कार्यक्रम के मुख्यातिथि श्री प्रदीप शर्मा ने कार्यक्रम से पहले बस्तर के विभिन्न ग्रामों से पहुँचे वैद्य से मुलाकात कर उनके साथ अनुभव साझा किए। साथ ही उनके द्वारा विभिन्न बीमारियों में उपयोग की जाने वाली औषधि की जानकारी ली। श्री शर्मा ग्रामीण वैद्य से मिलकर अत्यधिक प्रभावित हुवे। एवं उन्हें अधिक से अधिक लोगों को अपने ज्ञान से फायदा पहुँचाने का आग्रह भी किया।
प्राकृतिक और मनुष्य एक दूसरे के पूरक: चतुर्वेदी
जैव विविधता संरक्षण व जागरूकता कार्यशाला के विशष्ट अतिथि के तौर पर कार्यक्रम को संबोधित कर्ट्स हुवे पूर्व वन बल प्रमुख एवं वर्तमान अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड श्री राकेश चतुर्वेदी ने कहा कि प्रकृति और मनुष्य के बीच अटूट सम्बन्ध के निर्वहन का पाठ बस्तर सेसीखना चाहिए। हमारे प्राचीन वेदों पुराणों एवं संस्कृति में नदी पर्वत एवं वनों की पूजा का विधान है। जो प्रकृति और हमारे बीच सुदृढ़ सम्बन्ध और सामंजस्य का परिचायक है। परन्तु प्रकृति के अवैज्ञानिक विदोहन से यह सामंजस्य अब खतरे में है जो ग्लोबलवार्मिंग के रूप में मानव जाति के समक्ष है, और अभी भी अगर हम सचेत नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ी को इसका खामियाजा भूगतना पड़ेगा। साथ ही श्री चतुर्वेदी ने कहा कि मनुष्य और प्रकृति एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा जैवविविधता बोर्ड का उद्देश्य है कि भविष्य में जैवविविधता के संरक्षण और संवर्धन के कार्यों का विस्तार कर इस दिशा में किए जाने वाले अन्य प्रयासों में युवाओं को प्रेरित करें साथ ही बोर्ड का यह भी लक्ष्य कि स्थानीय समुदाय के बड़े वर्ग उससे लाभान्वित हो इसके साथ ही उन्होंने शासन द्वारा इस दिशा में किए जाने वाले प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि शासन की नरवा गरवा घुरवाबाडी योजना भी स्थानीय संसाधनों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मूर्त रूप देने का एक अंग है और इसके सकारात्मक प्रभाव सभी के सामने है साथ ही शासन द्वारा अब वनोपजखरीदी में पूर्व से बढ़ाकर 65 प्रकार के वनोपजों को शामिल किया गया है जिसका सीधा लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा।
वैज्ञानिकों ने समझाए फ़ायदे
कार्यशाला के दौरान कृषि महाविद्यालय के डीन डॉक्टर आरएस नेताम, वैज्ञानिक डॉक्टर अश्विनी ठाकुर, वैज्ञानिक डॉक्टर रोशन बंजारे ने कार्याक्रम को संबोधित करते हुवे कहा कि जैव विविधता पृथ्वी पर जीवन की विविधता और परिवर्तनशीलता है। जैव विविधता आनुवंशिक (आनुवंशिक परिवर्तनशीलता), प्रजाति (प्रजाति विविधता), और पारितन्त्र (पारितान्त्रिक वैविध्य) स्तर पर भिन्नता का एक माप है। जैव विविधता वन्य जीवन और कृषि फसल प्रजातियों में अत्यधिक समृद्ध है, रूप और कार्य में विविध है किन्तु अन्तर्नैभर्यों के कई संजालों के माध्यम से एक तन्त्र में सुक्ष्म रूप में एकीकृत है। इसके पूर्व आगंतुक अतिथियों ने कार्यक्रम की शुरूआत में मां दंतेश्वरी एवं छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित कर माला अर्पण किया। कार्यशाला के दौरान 1000 से अधिक जेएफएम के अध्यक्ष/सचिव, सदस्य एवं वन विभाग कबअधिकारी, कर्मचारी उपस्थित हुवे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री प्रदीप शर्मा, सलाहकार, माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, विशिष्ट अतिथि श्री राकेश चतुर्वेदी, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड, श्री प्रभात मिश्रा, सचिव, छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड, युवा मितान अध्यक्ष क्षितिज चंद्राकर, मुख्य वन संरक्षक मो. शाहिद, मुख्य वन संरक्षक राजेश डॉक्टर अश्विनी ठाकुर, वैज्ञानिक डॉक्टर रोशन बंजारे, वन विभाग अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित हुवे।

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