छत्तीसगढ़

बस्तर संभाग में आदिवासी समाज का हल्ला बोल, 12 विधायकों के निवास का किया गया घेराव

मंगल कुंजाम
किरंदुल । छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में आज शनिवार को सर्व आदिवासी समाज के द्वारा बस्तर संभाग के समस्त विधायको के निवास का घेराव कर जमकर हल्ला बोला गया। पूरे बस्तर संभाग में आदिवासी समाज सड़क पर उतरे और स्थानीय भर्तियों में आदिवासियों को प्राथमिकता देने, पेसा नियम 2022 में संशोधन जैसी मांगों को लेकर विधायक निवास का घेराव किया गया। साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए कहा गया यदि मांग पूरी नहीं हुई तो क्रमबद्ध तरीके से आर्थिक नाकेबंदी किया जाएगा। सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ में अपने क़ानूनी, संवैधानिक एवं नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा तथा ज्वलंत समस्याओं को लेकर पिछले कई वर्षों से शासन-प्रशासन को दिए गए आवेदन / निवेदन के निराकरण के संबंध में सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ में अपने क़ानूनी, संवैधानिक एवं नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा तथा ज्वलंत समस्याओं को लेकर पिछले कई वर्षों से शासन-प्रशासन को निवेदन किये, लेकिन कोई सकारात्मक पहल सरकार के द्वारा नहीं होने से अपनी बात रखने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से दिनांक 19 जुलाई 2021 को जिला/ब्लॉक स्तरीय धरना, प्रदर्शन माह सितम्बर 2021 में बंद एवं चक्काजाम किये, प्रदेश स्तरीय महाबंद भी किया गया, उसके उपरांत भी सरकार, प्रशासन एवं जिला स्तर पर भी कोई पहल नहीं किया गया। आज भी इस प्रदेश के बहुसंख्यक आदिवासी समाज हताश एवं नाराज है। अपने अधिकार को पूर्ण कराने हेतु राजधानी रायपुर में 14 मार्च 2022 को हुंकार रैली, सभा एवं विधानसभा घेराव किया गया। सर्व आदिवासी समाज का सरकार के प्रति नाराजगी का प्रमुख संवैधानिक एवं नैसर्गिक अधिकार तथा ज्वलंत समस्याएं :
-जिला-सुकमा के ग्राम-सिलगेर में निर्दोष ग्रामीणों के उपर अंधाधुंध गोलीबारी से मृतकों के परिजन को 50 लाख और घायलों को 5 लाख एवं मृतक परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार शासकीय नौकरी दिया जाए।
-एडसमेटा, सारकेगुडा और ताडमेटला घटनाओं के न्यायिक जांच में सभी एनकाउंटर फर्जी पाया गया है, दोषी अधिकारी, कर्मचारी पर तत्काल दण्डात्मक कार्यवाही एवं मृतक / प्रभावित के परिवार को उचित मुआवजा दिया जावे।- बस्तर में नक्सल समस्या का स्थायी समाधान हेतु शासन स्तर पर पहल करे। छत्तीसगढ़ प्रदेश में लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्रफल 5वीं अनुसूची क्षेत्र में आता है, जहां पेसा कानून के नियम अतिशीघ्र लागू किया जाए। -छ.ग. में विभिन्न शासकीय पदों के पदोन्नति में आरक्षण लागु किया जाए। -पांचवी अनुसूची क्षेत्र में गैर संवैधानिक रूप से बनाये गए नगर पंचायतों, नगरपालिक निगम को वापस ग्राम सभा बनाया जाये। – छ.ग. राज्य में समस्त वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाया जाए एवं वहां निवासरत किसानों को राजस्व ग्राम की तरह अधिकार एवं सुविधा दी जाए। -सीतानदी अभ्यारण्य में प्रभावित वनग्राम / ग्राम में वनोपज संग्रहण और विक्रय का अधिकार दिया जावे। – मात्रात्मक त्रुटि में सुधार किया जाकर प्रदेश के 18 जनजातियों को जाति प्रमाण पत्र (सामाजिक पारस्थितिक प्रमाणीकरण पत्र) जारी किया जावे। – अनुसूची में उल्लेखित जनजातियों का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं करने वाले संबधित अधिकारियों पर दण्डात्मक कार्यवाही किया जावे।- नगारची समाज के 15 से 20 प्रतिशत लोगों के मिशल रिकार्ड में मंगिया शब्द अंकित है, जबकि मंगिया कोई जाति नहीं है, को विलोपित कर नगारची मान्य कर जाति प्रमाण पत्र बनाया जावे।- ऐसी ही अन्य अनुसूचित जनजातियों के भ्रामक भाषायी और लिपिकीय त्रुटि के चलते रोके गये जनजातियों के सामाजिक पारिस्थितिकी प्रमाणीकरण पत्र जारी किया जावे। – फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रकरण पर दोषियों पर शीघ्र कार्यवाही हों। – शासकीय नौकरियो में बैकलॉग एवं नई भर्तियों पर आरक्षण रोस्टर लागू किया जावे। – पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भर्ती में शत-प्रतिशत आरक्षण लागू किया जावे। – प्रदेश के पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राममभा की सहमति के बिना किये गये भूमि अधिग्रहण रद्द करें एवं बिना ग्रामसभा के सहमति के किसी प्रकार का कार्य न किया जाय। – प्रदेश में खनिज उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहण न की जाए आवश्यक होने पर लीज में लेकर जमीन मालिक को शेयर होल्डर बनाए जाए। – गौण खनिज का पूरा अधिकार ग्राम सभा को दिया जावे। – पांचवी अनुसूची क्षेत्र कांकेर जिला के 14 ग्राम पंचायतों में सरपंच पद को अनारक्षित किया गया है उसे पुन: आदिवासी के ज्

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