https://tarunchhattisgarh.in/wp-content/uploads/2024/03/1-2.jpg
छत्तीसगढ़

अबूझमाड़ के ग्रामीणों ने धरना स्थल को ही बनाया अपना आशियाना

नारायणपुर । नारायणपुर जिले का अबुझमाड़ विकास से कोसों दूर इन जंगलों में लगभग 6 महीनों से आदिवासी धरने पर बैठे हैं। धरना इसलिए नहीं दे रहे क्योंकि उन्हें सुख-सुविधाएं चाहिए बल्कि उनकी मांग यह है कि उन्हें केंद्र या राज्य सरकारों से थीपा हुआ विकास ना भेंट किया जाए। विकास मिले लेकिन ऐसा नहीं कि जंगल बर्बाद हो जाएं। यह प्रदर्शन इरकभट्टी और तोयमेटा से शुरू किया गया कुछ दिन बाद ढोंडरीबेड़ा और ओरछा के नदी पारा में भी ग्रामीण जुट गए। हर धरना स्थल पर एक समय में तीन से चार सौ आदिवासी रहते हैं भीड़ ऐसी बड़ी कि धरनास्थल पर धीरे-धीरे बस्ती बस गई है । बारिश और गर्मी की तपिश से राहत पाने के साथ ही भोजन बनाने के लिए झोपड़ी का निर्माण कर रह रहे है । इनकी मांगो को लेकर शासन प्रशासन कब सुध लेगा या फिर ये प्रदर्शन निरंतर जारी रहेगा ये एक बड़ा सवाल है । ज्ञात हो कि नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के 36 ग्राम पंचायतों के ग्रामीण पेशा कानून लागू करने, वन अधिनियम 2022 के संशोधन वापस लेने, ग्रामसभा की अनुमति बगैर खोले जा रहे नए कैप बंद करने समेत विभिन्न मांग के साथ अबूझमाड़ के अंदरूनी गांवों से परिवार समेत आए आदिवासी घने जंगलों के बीच ईरकभट्टी , तोयमेटा , ढोंडरीबेड़ा और ओरछा के नदी पारा में 24 घंटे धरनास्थल पर ही रहते हैं। सभी ग्रामीण अपना राशन अपने साथ लाते है और धरनास्थल पर ग्रामीण कुछ-कुछ दिन की पारी बांधकर रहते हैं हर ग्रामीण जब घर से आता है तो राशन लेकर आता है । शाम को धरनास्थल के बीच में बने मंच पर सभा व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस तरह ग्रामीणों ने धरना स्थल को ही अपना घर बना लिया है ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी उनका प्रदर्शन जारी रहेगा । ग्रामीणों का कहना है कि हम आज सिर्फ इसलिए जुटे हैं कि आने वाली पीढ़ी भी अबूझमाड़ के जंगल देख सके । बस्तर का आदिवासी गरीब नहीं है, उसके पास इतना संसाधन है कि बड़े बड़े उद्योगपति उसे पाने का लालच करते हैं। लेकिन आदिवासी को अपना जल , जंगल,जमीन बेचना नहीं है. हमारे पहाड़ , जंगल हमारे देवी देवता है जो हमारे जीवन यापन के संसाधन उपलब्ध कराते है । नए पुलिस केंपो का विस्तार कर हमारे जल जंगल जमीन हमसे छीनने की सरकार की साजिश है , इसलिए पहाड़ी का सीना चीर कर लोहा निकालकर ले जा रहे है अगर जंगल नही रहेंगे तो हम अपना जीवन यापन कैसे करेंगे जंगल से मिलने वाले वनोपज हमारा सहारा है ।

Related Articles

Back to top button