कई वर्षों से पंचायत मड़ेली के धर्मेंद्र और धनुष रोगग्रसित
राजिम/छुरा । जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र छुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से 10 किलोमीटर दूरी ग्राम पंचायत मडेली जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने के बाद भी मडेली के नयापारा में जीवन यापन कर रहे पीडि़त गरीब असहाय दयनीय स्थिति की जीवन यापन रहे हैं। आदिवासी परिवार जिनकी सुध लेने नहीं पहुंच रहे हैं स्वास्थ्य विभाग ना ही शासन-प्रशासन जानकारी होते ही गरियाबंद जिले के इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी संरक्षक सदस्य समाजसेवी मनोज पटेल गांव पहुंचकर पीडि़त परिवार से मुलाकात किए। 3 वर्षों से बीमार बुजुर्ग हीरऊ राम ध्रुव ने आप बीती बताते हुए कहा मैं खुद परेशान हूं और मेरा बेटा धर्मेंद्र हुमन दोनो मानसिक रूप से कमजोर बीमार है। घर की स्थिति काफी दयनीय व टूटने की स्थिति में है। रोटी कपड़ा मकान के लिए तरस रहे हैं। रूपाबाई ने बताया हमारा 10 वर्ष का बेटा लक्ष्य कक्षा तीसरी में पढ़ाई कर रहे हैं जिनके लिए कॉपी किताब कलम कपड़े लेने तक पैसे नहीं फिर भी अपने परिवार के सभी सदस्यों को जिंदा रख रही है अगर मुझे मेरे भाइयों द्वारा सहयोग नहीं मिल पाता तो मैं अपने परिवार शायद ही चला पाती क्योंकि शासन प्रशासन की नजर हम जैसे परिवार की ओर नहीं पढ़ रहा हम जैसे पीडि़तों पर नहीं पड़ रही है साथ ही60 वर्षीय बुजुर्ग हीराऊ मेरा एक बेटा धर्मेंद्र जिनका दिमागकी हालत खराब होने से बहू ने भी उनका साथ छोड़ चले गई दूसरा बेटा धनुष उनकी पत्नी अपने मेहनत से अपने और पति साथ ही बच्चे की देखभाल परवरिश कर रही है सरकार विशेष कमजोर परिवार की श्रेणी में आने वाले परिवारों की मदद करने का झूठा दावा करते रहे हैं।बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की बड़ी-बड़ी दावे कागजों में ही नजर आती है क्योंकि हमारे परिवार की श्रेणी अति गरीब होने के बाद भी बदहाल जिंदगी जीने मजबूर है। हम आदिवासियों के साथ सरकार मदद करने का दिखावा बस कर रहे है। हम बाप बेटे की स्थिति इस हद तक खराब है कि कई बार आत्महत्या करने का मन बनने लगा है। वही इस परिवार को तत्काल मदद दिलाने समाजसेवी मनोज पटेल ने केंद्र व राज्य सरकार से गुहार लगाई है ।