मजदूर दिवस पर बोरे-बासी खाकर श्रमिकों का किया सम्मान
सुकमा । 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार इस दिवस को मजदूरों के साथ मना रही है। गत दिवस पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मजदूरों के सम्मान में प्रदेश के लोगों से बोरे-बासी खाकर मजदूर दिवस मनाने की अपील की थी। मजदूर दिवस पर छत्तीसगढ़ में सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह से सकारात्मक संदेशों की फोटो सामने आ रही है। प्रदेश के कई बड़े नेता, विभागों के अधिकारी, गांव में बड़ी संख्या में लोग बोरे बासी खाकर सोशल मीडिया में फोटो शेयर कर रहे हैं और मजदूर दिवस की शभकामनाएं दे रहे हैं।दरअसल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढिय़ों से अपील की है कि मजदूर दिवस के दिन यानी आज सभी लोग बोरे और बासी खाएं। यही नहीं, उन्होंने देश-विदेश के कोने-कोने में बसे छत्तीसगढ़ के सभी लोगों से आज के दिन बोरे-बासी खाकर श्रम को सम्मान देने का आग्रह किया था।राज्य शासन की मंशानुरूप आज प्रात: 09 बजे पुराना कलेक्ट्रेट सुकमा में बोरे बासी भोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में जिला पंचायत, नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, पत्रकारगण, अधिकारी-कर्मचारीगण सहित अन्य सभी ने बोरे बासी खााकर मजदूरों के प्रति अपना सम्मान व्ययक्त किया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्री हरीश कवासी, नगर पालिका सुकमा के अध्यक्ष श्री राजू साहू, योग आयोग के सदस्य श्री राजेश नारा, कलेक्टर श्री हरिस एस, जिला पंचायत सीईओ श्री डी एन कश्यप, जनप्रतिनिधिगण, अन्य अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे। इसी प्रकार विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर छिंदगढ़, कोन्टा विकासखंड में भी बोरे बासी भोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जनप्रतिनिधिगण, अधिकारी-कर्मचारीगण व आम नागरिक शामिल हुए। जिला पंचायत अध्यक्ष श्री हरीश कवासी ने इस अवसर पर कहा कि बोरे बासी छत्तीसगढ़ राज्य का पारंपरिक भोज है। 1 मई को श्रमिक दिवस मनाया जाता है। जैसा की विदित है कि राज्य के विकास में श्रमिकों का योगदान महत्वपूर्ण है। बोरे बासी भी पौष्टिकता से भरपूर और स्वास्थ्य के लिए हित कारक हैं। 1 मई मजदूर दिवस के अवसर पर श्रमिकों के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए जिले के नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने बोरे बासी खाया।साथ ही कार्यालय, उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं में बोरे बासी भोज कार्यक्रम कार्यालयीन स्टॉफ की उपस्थिति मे आयोजित किया गया।छत्तीसगढ़ के संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है बोरे बासी-ताजा भात (चावल) को जब पानी में डुबाकर खाया जाता है तो उसे बोरे कहते हैं। इसे रात में पानी में डुबाकर दूसरे दिन खाने पर यह बासी कहलाता है। जिसे आम या नींबू का अचार, प्याज और हरी मिर्च, दही या मही डालकर, खट्टी भाजी, कांदा भाजी, चेंच भाजी, बोहार भाजी, रखिया बड़ी, मसूर दाल की सब्जी या मसूर बड़ी, कढ़ी, आम की चटनी, बिजौरी आदि के साथ खाया जाता है।