कांग्रेस पार्टी की जड़ में हिंदू विरोध:रामू नेताम
दंतेवाड़ा । अनुसूचित जनजाति सम्मलेन में जहां आदिवासियों के हित और अधिकारों के विषय में बात करनी चाहिए वहां आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने उस मंच से कांग्रेस पार्टी के हिंदू समाज के प्रति दुराग्रह का वाचन किया ,ये वैसी ही विभाजकारी सोच है जैसी आजादी के समय कांग्रेस और जिन्ना की थी आज अलग धर्म कोड की बात कर रहे हैं कल अलग राज्य और देश मांगेंगे । उक्त बातें बीजेपी मंडल महामंत्री रामू नेताम ने कही। जिला पंचायत सदस्य और बीजेपी मंडल महामंत्री रामू नेताम ने आबकारी मंत्री लखमा के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि, कवासी लखमा कांग्रेस के हिंदू विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। क्योंकि जैसे जैसे हिंदू समाज जागृत हो रहा है वैसे वैसे कांग्रेस पार्टी रसातल में जा रही है। जारी विज्ञप्ति में रामू नेताम ने कहा कि प्रदेश की जनता कांग्रेस के हिंदू विरोधी मानसिकता को समझ चुकी है ,आदिवासी भी संगठित होकर राज्य प्रायोजित धर्मांतरण का लगातार विरोध कर रहे हैं जिससे कांग्रेस का आलाकमान घबराया हुआ और कवासी लखमा जैसे मौका परस्त नेता का आदिवासियों को आपस में लड़ाने के लिए आगे किया । कवासी लखमा कभी धर्मांतरण के विरोध में नहीं बोले जबकि प्रदेश में धर्मांतरण चरम पर है उल्टे इनकी सरकार धर्मांतरण का विरोध करने पर रासुका लगाने की धमकी देती है । कवासी लखमा कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर आदिवासियों को हिंदू नहीं बताकर , उन्हें धर्मांतरण के लिए उकसा रहे हैं । जिला पंचायत सदस्य रामू ने कहा कि मिशनरियों के इशारे पर बयान देने वाले कवासी लखमा जी के विधानसभा क्षेत्र में ही रामाराम मेला होता है जिसमें समूचे दक्षिण बस्तर के देवी देवताओं को डोली सम्मिलित होती है ,ये हमारी संस्कृति है ,आदिवासियों को हिंदू होने के लिए कांग्रेस पार्टी और कवासी लखमा से कोई प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है । रामू नेताम ने कहा कि पूरा देश जब नवरात्र और रामनवमी के उल्लास में डूबा हुआ है ,सभी समाज के लोग उत्सव में सहयोग कर रहे हैं उसी समय ये विभाजनकारी बयान का आना कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता की पराकाष्ठा है ।
श्री नेताम ने कहा की कांग्रेस की जड़ ही हिंदू विरोधी मानसिकता की रही है। उन्होंने कहा कि कवासी लखमा हो सकता है कांग्रेस ज्वाइन करने का बाद धर्मांतरण कर लिए हों परंतु आदिवासी समाज हिंदू है और कवासी लखमा जैसे कांग्रेसी और हिंदू विरोधी व्यक्तियों को आदिवासियों के विषय में बोलने का कोई अधिकार नहीं है।