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चिरायु ने ब्लॉक के 150 से ज्यादा बच्चों को लौटाई मुस्कान

देवभोग। मुस्कुराता खिलखिलाता मासूम चेहरा किसे नहीं भाताÓ मां बाप के लिए तो बच्चे की मुस्कान, उसकी खुशी और तरक्की ही सब कुछ होती है। मगर वही बच्चा अगर तकलीफ में हो तो उनका परेशान होना लाजमी है। जिले में हर व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं को पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहें है। जिसके तहत् जिले में चिरायु योजनान्तर्गत सभी विकासखण्डों के बच्चों के चेहरे पर मुस्कान आ गई है। जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत देवभोग विकासखण्ड में वर्ष 2014 से लेकर अब तक डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चों की स्क्रीनिंग कर उच्च उपचार के लिए भेजा जा चुका है। वहीं पुरे बच्चे ठीक होकर घर पहुँच चुके है, बच्चों के माता-पिता की खुशियां वापस आ चुकी है।
150 से ज्यादा बच्चों के चेहरे में लौटी मुस्कान: यहां बताना लाजमी होगा कि चिरायु योजना की ज़ब से शुरुवात हुई है तब से अब तक ब्लॉक के 152 बच्चों के चेहरे में खुशियाँ लौट चुकी है। ज्ञात हो कि स्क्रीनिंग के दौरान देवभोग ब्लॉक के जन्मजात हृदय रोग के 77 बच्चों में हृदय सम्बन्धी रोग की पुष्टि हुई थी। जिस पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 28 बच्चों का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है। जबकि ईको जाँच होने के बाद डॉक्टरों के द्वारा हर छह महीने में 33 लोगों को जाँच करवाने की सलाह दी गई है। हृदय विशेषज्ञ ने दावा किया है 33 लोगों को सर्जरी की जरूरत नहीं है।
बीएमओ डॉक्टर सुनील कुमार रेड्डी ने बताया कि जिले में लगातार चिरायु योजना के अंतर्गत जन्मजात हृदयरोग से ग्रसित बच्चे, टेढ़े मेढ़े पैर वाले बच्चे, कटे फटे होठ वाले बच्चे और जन्मजात मोतियाबिंद वाले बच्चों का चिन्हांकन कर नि:शुल्क लाभ दिया जा रहा है। बीएमओ डॉक्टर सुनील कुमार रेड्डी ने बताया कि योजनान्तर्गत 0-18 वर्ष के बच्चे (जिनका नाम शासकीय स्कूलों या आंगनबाड़ी में दर्ज हो ) 30 प्रकार की चिन्हांकित बीमारी से पीडि़त है तो चिरायु योजना के अंतर्गत नि:शुल्क लाभ ले सकते हैं, और उनका इलाज पूर्णत: निशुल्क है।
जानिए चिरायु योजना की पूरी जानकारी: चिरायु योजना के तहत शून्य से 18 साल तक के सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। जरूरत के अनुसार ऑपरेशन भी रजिस्टर्ड अस्पतालों में मुफ्त में किया जाता है। ये चिह्नांकित स्कूलों और आंगनबाड़ी में बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कर तत्काल इलाज करते हैं। ऑपरेशन वाले बच्चों को बड़े व पंजीकृत अस्पतालों में भेजते हैं। एनएचएम के तहत संचालित योजना में आंगनबाड़ी के बच्चों का साल में दो बार और स्कूली बच्चों का साल में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। देवभोग ब्लॉक में दो चिरायु दल गठित किए गए हैं। प्रत्येक दल में एक महिला व एक पुरुष आयुष चिकित्सक, एक फार्मासिस्ट एवं एक एएनएम है। ब्लॉक में चिरायु में टीम बी के प्रमुख के रूप में डॉक्टर सूर्यकांत साहू मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्यरत है, तो वहीं टीम ए में डॉक्टर केशव सोनी कार्य कर रहे है।
जन्मजात मोतियाबिंद के 17 बच्चों की परेशानी हुई दूर: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवभोग के बीएमओ डॉक्टर सुनील कुमार रेड्डी ने बताया कि देवभोग ब्लॉक में वर्ष 2014 से अब तक जन्मजात मोतियाबिंद के 23 केस सामने आये है, जिनमें 17 का सफल सर्जरी किया जा चुका है, जबकि नेत्र रोग विशेषज्ञ ने 6 को सर्जरी की जरूरत नहीं होना बताया है। इसी क्रम में कटे फटे होठ के 23 केस मिले है, जिनमें 16 का सर्जरी किया जा चुका है, जबकि 4 बच्चों को सर्जरी की जरूरत नहीं होना बताया गया है। इसी तरह टेढ़े मेढ़े पैर के 29 मामले देवभोग ब्लॉक में मिले है, जिनमें 22 का सफल सर्जरी किया जा चुका है, जबकि 7 बच्चों को जाँच के दौरान सर्जरी की आवश्यकता नहीं होना बताया गया है।

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