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छत्तीसगढ़

पंचकोशी यात्रा से मिलता है चार धाम का पुण्य

राजिम । छत्तीसगढ़ में इन दिनों पंचकोशी यात्रा चल रही है। बद्रीनाथ-केदारनाथ चारधाम यात्रा की तरह छत्तीसगढ़ में भी पंचकोशी यात्रा निकाली जाती है। इसमें प्रदेश के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। मान्यता है कि जो लोग किसी कारणवश बद्रीनाथ-केदारनाथ की चारधाम यात्रा पर नहीं जा सकते वो लोग इस यात्रा में शामिल हो सकते हैं। इस यात्रा से भी उतना ही फल प्राप्त होता है। इस पंचकोशी पदयात्रा में श्रद्धालु पैदल चलकर 5 पड़ाव में 5 शिवलिंगों की दर्शन करते हैं।पंचकोशी पदयात्रा का प्रारंभ और समापन राजिम त्रिवेणी संगम के बीचोबीच स्थित कुलेश्वर मंदिर में पूजा पाठ से होता है। पदयात्रा का नेतृत्व स्वामी सिद्धेश्वरानंद ब्रह्मचारी महाराज कर रहे हैं। उनके साथ हजारों श्रद्धालु साजो-समान के साथ पदयात्रा करते हुए सभी तीर्थ पहुंचेंगे। श्रद्धालुओं का पहला पड़ाव पटेवा के पटेश्वरनाथ मंदिर में होता है। इसके बाद चंपेश्वरनाथ, बम्हनेश्वरनाथ, फणेश्वरनाथ और कोपेश्वरनाथ के दर्शन के बाद श्रद्धालु कुलेश्वरनाथ मंदिर पहुंचते हैं।
मकर सक्रांति पर हुआ जलाभिषेक
मकर सक्रांति के अवसर पर बम्हनी स्थित ब्रह्मनेस्वरनाथ महादेव में पंचकोशी यात्री एक साथ शिवलिंग का जलाभिषेक किए तथा धरती से निकल रहे जल से धारा लिए। उल्लेखनीय है कि पंचकोशी यात्री प्रतिदिन 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं तय करने में उन्हें घंटों समय लग रहा है। बता देना जरूरी है कि सुबह साढ़े तीन बजे सिर में अपने रोजमर्रा के सामान को लादकर महादेव तथा राम सिया राम नाम का उच्चारण करते हुए निकलते हैं।
पथरीले रास्ते पर नाम रटते पहुंचे ब्रम्हनेश्वर नाथ महादेव
रास्ते भर कहीं पर पथरीले तो कहीं पर रेतीले सड़क को पार करते हुए आगे बढ़ते हैं। इनमें से कई यात्री लगातार पिछले 3 दिनों से चलने के कारण उनके पांव दर्द करने लगे हैं। श्रद्धालु मोहन, दिनेश, पवन, पंकज, दुर्गेश, बिसंभर ने बताया कि दर्द करने के कारण चलना मुश्किल हो रहा है फिर भी उनकी आस्था प्रबल है और पूरे विश्वास के साथ कहते हैं कि बाबा भोलेनाथ यात्रा को अवश्य पूर्ण करेंगे। जैसे ही चंपारण से निकले उसके बाद सेमरा में रामधुनी का कार्यक्रम चल रहा था वहां पंचकोशी यात्री रुककर जलपान किए। आगे बढ़े तो टीला में जगह-जगह यात्रियों का स्वागत किया गया तथा महादेव में चढ़ाने के लिए फूल भी दिया। टीला एनीकट में 81 फीट ऊंची हनुमान की भव्य प्रतिमा को देखकर यात्रीगण अभिभूत हो गए और उन्हें प्रणाम करते हुए आगे बढ़े। हथखोज, बम्हनी पश्चात ब्रह्मेश्वर नाथ महादेव के दरबार में पहुंचकर यात्रीगण प्रसन्न हो गए। इस दूरी को तय करने में यात्रियों के श्रद्धा के अलग-अलग रंग देखने को मिला। जुबान में ईश्वर नाम का उच्चारण तथा खुल्ला पैर कभी छोटे पत्थर से दबने के कारण दर्द का एहसास भी आस्था की प्रबलता को सिद्ध कर रही थी।
दुग्धजल से परिपूर्ण महादेव हुआ प्रगट
पंचकोशी पीठाधीश्वर सिद्धेश्वरानंद महाराज ने बताया कि प्राचीन काल में एक वीतरागी बाबा इस स्थल पर आकर तपस्या कर रहे थे गांव वाले उन्हें देखकर कहा कि आप गांव में चले जाइए हम आपकी सेवा करेंगे। उन्होंने जाने से साफ मना कर दिया और कहा कि यह स्थल अत्यंत पवित्र है आपको यकीन नहीं होता तो यहां पर खोदकर देख लीजिए। गांव वालों ने उनके बात को सिद्ध करने के लिए उस जगह खुदाई थी तो दुग्धजल से परिपूर्ण महादेव प्रगट हुआ। इसे देखकर लोगों की श्रद्धा बढ़ गई। पूछने लगे जल कहां से आ रहा है तब बताया गया कि यह साक्षात गंगा है और तुम्हें यकीन नहीं होता तो मेरे साथ जहां से गंगा निकली है वहां चलिए। गांव के दो मुखिया को लेकर मुनि चले गए और वहां एक छड़ी को छोड़ दिया ठीक 1 महीने बाद वह छड़ी इसी स्थान के जल पर निकला। बताया जाता है कि यहां जो जल निकल रहा है उनका संबंध सीधे गंगा जल से है इसीलिए यात्रीगण कुंड के जल धारा लेना नहीं भूलते हैं। रविवार को पंचकोशी यात्रा फिंगेश्वर स्थित फणीकेश्वर महादेव पहुंचकर पूजा अर्चना किए। यहां से कोपेश्वर महोदव के लिए निकल गए।
पंचकोशी यात्रियों ने लिया सुखा लहरा
पंचकोशी यात्रा जैसे ही हथखोज स्थित शक्ति लहरी माता के दरबार में पहुंचे उसके बाद परसा पान चढ़ाकर नारियल अगरबत्ती धूप समर्पित किया। नदी में आकर सूखा लहरा लिया। पहले रेत से शिवलिंग बनाया। आराधना की और दोनों हाथ जोड़कर नदी में लोट गए। उसके बाद लहराता अलौकिक दृश्य रोमांचित कर दिया।
संकल्प धारण किए परिवार द्वारा की जाती है पंचकोशी धाम यात्रा
पंचकोशी धाम की यह बड़ी तपस्या हजारों साल पुरानी है। मान्यता है कि पंचकोशी धाम के इन मंदिरों में पैदल जाकर दर्शन और पूजा करने से मनुष्य के सारे दुख, दारिद्रय और संकट समाप्त हो जाते हैं। इसी श्रद्धा और आस्था के चलते हजारों श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं। इनकी यात्रा देखते ही बनती है। विश्व के चारों धाम तीर्थ की तरह छत्तीसगढ़, प्रदेश की पंचकोशी यात्रा का अपना महत्व है। पंचकोशी का संकल्प धारण किए परिवार के मुख्य सदस्य कुटुंब के दुख दरिद्र एवं संकटों से छुटकारे के लिए इस यात्रा का हिस्सा बनते हैं। पुरातन काल में कच्चे रास्तों से पांच कोश में सम्पन्न होने वाले उपरोक्त तीर्थों की यात्रा समय के साथ अब सड़क मार्ग के कारण लंबी हो गई है।
पूरे मार्ग में पदयात्री अपने सिर पर जरूरी साजो-समान रख नंगे पैर यात्रा करते हैं।

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