नगरीय निकायों में दशकों से जमे कर्मचारियों को हटाया जाए- चंदन ध्रुव
दंतेवाड़ा । निकाय चुनाव से ठीक पहले दंतेवाड़ा नगर पालिका पार्षद चंदन ध्रुव ने एक ही निकाय में कई दशकों से अंगद की तरह पैर जमाए बैठे कर्मचारियों को अन्यत्र निकायों में स्थानांतरण किए जाने की मांग की है। पार्षद ने नगरीय प्रशासन मंत्री को इस संबंध में पत्राचार भी किया है।
दंतेवाड़ा नगर पालिका में भाजपा पार्षद चंदन ध्रुव ने नगरीय निकाय चुनाव के ठीक पहले निकायों में दशकों से जमे अधिकारी कर्मचारियों को हटाये जाने का ज्वलंत मुद्दा उठाकर निकायों में हलचल मचा दिया है। दंतेवाड़ा नगर पालिका के चर्चित पार्षद हैं चंदन ध्रूव । ये वही पार्षद हैं जो कुछ माह पहले अपने वार्ड में नालियों की सफाई नहीं होने से नाराज होकर खुद ही नाले में उतर गए थे और नालियों में जमे गंदगी को साफ कर डाला था। चंदन ने एक चर्चा में तरूण छत्तीसगढ को बताया कि मेरे द्वारा पूर्व में भी दशकों से एक ही निकाय में जमे अधिकारी कर्मचारियों को एक निकाय से दुसरे निकाय में ट्रांसफर करने की मांग उठाई जा चुकी है और एक बार पुन: मैं इस मांग सरकार के समक्ष रख रहा हूं। श्री ध्रुव ने कहा कि दंतेवाड़ा जिले में कुल 5 नगरीय निकाय अस्तित्व में है, जिनमें 3 नगर पालिका परिषद व 2 नगर पंचायत शामिल हैं। इनमें नवगठित बारसूर नगर पंचायत को छोड़कर अन्य निकायों में ज्यादातर अधिकारी-कर्मचारी कई साल से एक ही निकाय में कुंडली मारे बैठे हैं, कुछ दशक डेढ दशक से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं। इससे उन अधिकारी कर्मचारियों में एकरसता की वजह से अपने दायित्वों के प्रति उदासीनता तो बढ़ ही गई है, कर्मचारी एक जगह सालों से जमे रहने से अपने कर्त्तव्यों के प्रति अकर्मण्य भी हो गए हैं। दंतेवाड़ा निकाय में भ्रष्टाचार व अनियमितताओं की कई शिकायतें भी सामने आने लगी है। श्री धुव ने कहा कि शिकायत के बावजूद भी लापरवाह एवं अनियमिता बरतने वाले अधिकारी-कर्मचारियों का ट्रांसफर नहीं होना चिंताजनक है। आखिर सरकार की स्थानांतरण नीति निकाय पर लागू क्यों नहीं होता? दंतेवाडा निकाय में तो एक अधिकारी पिछले 35 साल से पदस्थ है। कई कर्मचारी तो जिस निकाय में पदस्थ हुए वहीं रिटायर भी हो गए मगर उनका कहीं ट्रांसफर नहीं हुआ। एक ही निकाय में सालों से जमे रहने से अधिकारी-कर्मचारियों में अहम की भावना आ जाती है और फिर कर्मचारी ईमानदारी के साथ अपना कर्त्तव्य नहीं निभाते। आलम यह हो जाता है कि चुने हुए निकाय के पार्षदों की भी ये नहीं सुनते न ही अपने अधिकारियों की बात सुनते हैं। कभी कभी तो टकराव जैसी स्थिति निर्मित हो जाती है। नगरीय निकायों में ऐसे कई मामले देखने सुनने में आते रहे हैं। लंबे समय एक जगह पर जमे अधिकारी कर्मचारियों के चलते दंतेवाड़ा निकाय की व्यवस्था लचर भ्रष्ट हो गई है। निकाय में जनहित का कोई काम सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। इसलिए यह आवश्यक है कि दशकों से एक जगह पर जमे कर्मचारियों को हटाया जाए। इसके लिए नगरीय प्रशासन मंत्री समेत संचनालाय तक मेरे द्वारा पत्र लिखा गया है।