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छत्तीसगढ़

अंबेडकर पार्क बना पशुओं का चारागाह स्थल

दंतेवाड़ा । दंतेवाड़ा के हृदय स्थल में बसे दंतेश्वरी सरोवर पार्क की बात हो या अंबेडकर पार्क की करीब करीब सब का एक सा हाल है। लाखों खर्च कर बनाए गए इन पार्को का उचित देखभाल एवं समय पर मेंटनेंस नहीं हो पाने के कारण पार्क में वो रौनक अब नहीं दिखती जो इसके बनने के बाद कुछ महिनों तक देखी गई थी। आलम यह कि पार्को में कुत्ते, बकरी, गाय बैल जब चाहें तब अंदर घुस जाते हैं और घंटों आराम से विचरण करते हुए अंदर लगाए गए हरे घास चर जाते हैं इन्हें रोकने टोकने, भगाने, हंकाने व निकालने वाला कोई नहीं होता। कभी कभी तो पार्क के अंदर घोड़े भी बंधे देखे गए हैं। यदा कदा जब पार्क के केयर टेकर कर्मचारियों की नींद टूटती है जब कहीं जाकर इन पशुओं को पार्क से बाहर खदेडा जाता है। ये हाल है जिला मुख्यालय में बने दोनों पार्को का।
गौरतलब है कि अंबेडकर पार्क में बीते साल ही मेंटनेंस के नाम पर लाखों रूपए खर्च किया गया था। अब तक लाखों रूपए अलग अलग वर्षो में टूटफूट रिपेयर, मेंटनेंस के नाम पर खर्च किया जा चुका है मगर हालात आज भी जस के तस हैं। शाम के वक्त पार्क खुलता है लोग पार्क में घुमने टहलने जाते भी हैं मगर पार्क के अंदर जब गाय, बकरी, कुत्तों को घुमते टहलते लोग देखते हैं तो सहम जाते हैं क्योंकि ये जानवर पार्क के अंदर जहां तहां गंदगी कर देते हैं। पार्क की सुंदरता को खराब करते हैं। ऐसे में पार्क की भव्यता को किस तरह से बनाए रखा जा सकता है। अंबेडकर पार्क हो या दंतेश्वरी सरोवर पार्क इन दोनों की देखरेख का जिम्मा नगर पालिका विभाग की है। मगर सभी जानते हैं नगर पालिका के कार्य पद्धति को। विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की नींद तभी टूटती है जब इन विषयों की शिकायत कोई उन तक पहुंचाता है। हाल ही में अंबेडकर पार्क के अंदर पशुओं को विचरण करते देखा गया है जिसकी चलचित्र भी एक पर्यटक ने अपने मोबाईल में कैद किया था यह इस बात का प्रमाण है कि पार्क का सही देखरेख पालिका नहीं कर रही जिसके चलते पार्क की सुंदरता एवं रौनक धीरे धीरे खत्म होती जा रही है। दंतेश्वरी सरोवर पार्क में कुछ साल पूर्व लाखों रूपए खर्च कर कलर लाईट, फव्वारे, सीसी कैमरे, नौका वोट समेत कई प्रकार के सामान खरीदे गए थे आज सब बंद पडे हैं सारी लाईट पार्क से चोरी चली गई है। न कैमरे काम कर रहे हैं न फव्वारे चल रहे हैं ना ही पार्क में पर्याप्त लाईटें ही जल रही है। पार्क का वो आनंद यहां के आमजन नहीं उठा पा रहे जिसके लिए पार्क बना होता है। लोग जाते हैं पार्क के अंदर टहलते हैं समय काटते हैं बाहर निकलकर ठेलों पर चाट, पानी पुरी खाते हैं और घर चले जाते हैं। सवाल यह कि लाखों खर्च कर बनाए गए पार्क का आखिर क्या औचित्य जब इसका फायदा जनता को मिल ही नहीं पा रहा?

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