उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व सम्पन्न
दंतेवाड़ा । चार दिनों से चला आ रहा लोक आस्था का महापर्व छठ आज कार्तिक माह के सप्तमी तिथि को सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही सम्पन्न हो गया। अर्घ्य देने भोर से ही छठ व्रतधारियों का डंकनी नदी घाट पर जमावाड़ा लगना शुरू हो गया था। उगते सूर्य की पूजा अर्चना पश्चात अर्घ्य देकर छठी मईया से लोगों नेे सुख समृद्धि की कामना की। उत्तर भारतीय समाज के लोगों का प्रमुख पर्व छठ पूजा जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा समेत बचेली, किरंदुल, गीदम व बारसूर क्षेत्र में धुमधाम के साथ मनाया गया। शनिवार शाम षष्ठी तिथि को अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठव्रती कार्तिक पक्ष के सप्तमी तिथि पर शुक्रवार अल सुबह डंकनी नदी घाट पर पहुंचकर पारंपरिक रूप से नदी के अंदर कमर तक पानी में घंटों खड़े रहकर उगते सूरज की आराधना की और भगवान भास्कर को दुध से अर्घ्य दिया। लोक आस्था का महापर्व छठ का हिन्दू धर्म विशेषकर बिहारी समुदाय में विशेष महत्व है। छठ एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें न केवल उदय होते सूरज की पूजा की जाती है बल्कि डूबते सूरज को भी पूजा जाता है। छठव्रतियों ने गुरूवार शाम डंकनी नदी घाट पर पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्यदेवता की पूजा अर्चना की। महिलाओं ने घाट पर बने चौरा मंडप की विधि विधान से पूजा अर्चना कर छठी मईया से पुत्र तथा परिवार की दीर्घायु की कामना की। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद आज सप्तमी तिथि को सुबह पुन: उसी घाट पर पहुंचकर व्रतधारियों ने उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर की पूजा कर परिवार के सुख समृद्धि व शांति की कामना की। अर्घ्य देने घाट पर भोर से ही व्रतियों का आना जाना प्रारंभ हो गया था। व्रती महिलाओं ने पूजा की टोकरी में अलग अलग तरह के फल जैसे- केला, गन्ना, नारियल, सेव अनानास, संतरा, मोसंबी, मूली, सिंघाड़ा आदि पूजन सामग्री सहित सूप को सिर पर रखकर नंगे पांव परिवार समेत डंकनी नदी घाट छठ पूजा स्थल पर पहुंचे। इस दौरान परिवार की महिलाएं छठी मईया की गीत गाते चल रही थी। डंकनी नदी घाट पर पहुंच व्रतधारी महिलाओं ने डंकनी नदी के अंदर घंटों खड़े रहकर उदयीमान होते सूर्य को नमन कर विधिवत छठी मैया की पूजा की । पुरूषों ने भी कच्चे दुध से अर्घ्य देकर सूर्यदेवता की आराधना की। इस मौके पर व्रतियों ने छठी मईया के गीत भी गाए। यूपी बिहार का पारंपरिक व्यंजन ठेकवां का भोग सूर्यदेव को चढ़ाया गया। ठेकवा के अलावा सिंघाडा, सीताफल, केला, अदरक, हल्दी, नींबू, घाघर, शकरकंद व अन्य फल अर्पित किए गए। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही 36 घण्टे से चला आ रहा व्रतियों के निर्जला उपवास का कठिन दौर आज समाप्त हो गया। पर्व समापन पश्चात घाट पर ही सभी लोगों ने एक दूसरे को प्रसाद वितरण कर छठ की शुभकामनाएं दी।