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छत्तीसगढ़

बंगाल का अमानवीय अत्याचार ममता सरकार की घोर विफलता:सांसद रूपकुमारी

महासमुंद । सांसद रुपकुमारी चौधरी ने कहा कि डॉक्टर के साथ कलकत्ता में हुए जघन्य अपराध ने पूरे बंगाल को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना केवल एक महिला के साथ हुए अमानवीय अत्याचार का मामला नहीं है, बल्कि यह पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार के नेतृत्व में चल रही प्रशासनिक विफलता का भी प्रतीक है। इस घटना ने न केवल हमारे समाज की संवेदनाओं को ठेस पहुंचाई है, बल्कि यह ममता सरकार की प्रतिबद्धता पर भी गंभीर सवाल खड़ा करती है।एक डॉक्टर, जो समाज में सेवा, समर्पण और सम्मान का प्रतीक होती हैं, उनके साथ इस तरह की बर्बरता ने साबित कर दिया है कि राज्य में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, महिलाओं की सुरक्षा के प्रति गंभीर है? सरकार की यह जिम्मेदारी थी कि वह इस प्रकार की घटनाओं पर तुरंत और सख्त कार्रवाई करे, लेकिन आज तक जो भी कदम उठाए गए हैं, वे पूरी तरह से अपर्याप्त और निराशाजनक हैंममता बनर्जी और उनकी सरकार से हर महिला को यह अपेक्षा थी कि वे महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। लेकिन इस घटना ने साफ कर दिया है कि तृणमूल कांग्रेस सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कितनी उदासीन है। इस मामले में सरकार की निष्क्रियता और नाकामी न केवल पीड़िता और उसके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक गहरा धक्का है। यह वही सरकार है जिसने नारी सशक्तिकरण और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन इस घटना ने उन सभी वादों को खोखला साबित कर दिया है। इस घटना के बाद राज्य की महिलाओं में एक गहरी असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है। अगर डॉक्टर जैसे पेशे से जुड़ी महिला भी इस प्रकार के अत्याचार का शिकार हो सकती है, तो आम महिलाओं की सुरक्षा का क्या? यह सवाल आज हर महिला के मन में गूंज रहा है। ममता बनर्जी की सरकार की ओर से इस मामले में जिस प्रकार की निष्क्रियता दिखाई दे रही है, वह बेहद शर्मनाक और दुखद है। यह सरकार की नाकामी है कि वह महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थ रही है। एक ऐसी सरकार जहां महिलाओं को सुरक्षा का कोई भरोसा नहीं, वह सरकार कहलाने का हकदार नहीं है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या ममता बनर्जी सरकार वास्तव में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा कर रही है, या फिर वह सिर्फ राजनीतिक समीकरणों में उलझी हुई है? डॉक्टर के साथ हुए इस जघन्य अपराध ने ममता बनर्जी की सरकार की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है। इस मामले में तृणमूल कांग्रेस सरकार की उदासीनता और अपराधियों के प्रति नरमी राज्य की जनता के लिए अस्वीकार्य है। यह समय है कि ममता बनर्जी अपने दायित्वों को समझें और इस घटना की पूरी जिम्मेदारी लें। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दोषियों को जल्द से जल्द सख्त सजा मिले और इस घटना की निष्पक्ष जांच हो। लेकिन यदि ममता बनर्जी और उनकी सरकार इस मामले में उचित कदम नहीं उठाती है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि उनकी सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। हमारी माताएं, बहनें, बेटियां, जो इस समाज की रीढ़ हैं, वे इस सरकार की नाकामी की वजह से भय और असुरक्षा के माहौल में जी रही हैं। ममता बनर्जी को यह समझना होगा कि यह सिर्फ एक अपराध का मामला नहीं है, यह हमारी समाज की संवेदनाओं, हमारी नैतिकता और हमारी न्याय प्रणाली का भी सवाल है। यदि इस मामले में तृणमूल सरकार सख्त कदम नहीं उठाती है, तो यह सरकार की नैतिक और राजनीतिक विफलता का प्रमाण होगा।यह घटना एक चेतावनी है कि यदि ममता सरकार इस प्रकार की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लेती हैं, तो हमारा समाज एक गहरे संकट में जा सकता है। ममता बनर्जी को अब राजनीति से ऊपर उठकर, इस मामले में न्याय सुनिश्चित करना होगा। यह उनकी जिम्मेदारी है, और यदि वे इसमें विफल होती हैं, तो इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।

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