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छत्तीसगढ़

नागपंचमी पर पूजे गए नागदेवता

दंतेवाड़ा । नागपंचमी के पावन अवसर पर आज नगर के शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। शिवभक्तों ने दुग्धाभिषेक कर नागदेवता की पूजा अर्चना की।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक हिन्दू पंचांग की पंचमी तिथि के स्वामी शेषनाग हैं। वहीं पौराणिक मान्यताओं में नाग जाति की उत्पत्ति शिव कृपा से ही मानी गई है। यही कारण है कि शिव भक्ति के काल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर नाग पूजा व नागदेवता के दर्शन बहुत ही शुभ मानी गई है। शुक्रवार को नागपंचमी का पर्व अंचल में भक्तिभाव के साथ मनाया गया। धार्मिक मान्यताओं में नागपूजा दरिद्रता और कलह दूर कर खुशहाली लाती है। वैवाहिक, संतान सुख और कामनाएं पूरी होती है। धार्मिक त्योहारों में नागपंचमी का विशेष महत्व होता है । इस अवसर पर जगह जगह भक्तगण नाग देवता की पूजा कर उसे दुध पिलाते हैं । पुराणों के मुताबिक नागपंचमी के दिन घर के दरवाजे के दोनों तरफ नाग की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करने से नागराज प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनचाहा फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भक्त अपने घरों में गेहूं के आटे से निर्मित नाग-नागिन का चित्र बनाकर पूजा करते हैं। नागपंचमी पर सपेरों को बुलाकर अपने घरों में नाग देवता को दुध भी पिलाई जाती है और इस तरह साक्षात नागराज के दर्शन व पूजन कर भक्त अपने को धन्य करते हैं। नागपंचमी के शुभ अवसर पर आज बड़ी संख्या में शिवभक्तों ने देवालयों में पहुंचकर भगवान शिव के लिंग पर विराजमान नागदेव को दूध चढ़ाकर कर तथा नारियल, फल-फूल, बेलपत्र, शहद चावल आदि अर्पित कर नाग देवता समेत भगवन शिवजी की आराधना की । नागपंचमी पर आज बहुत सी महिलाएं व्रत रखीं हैं। भक्तों ने नागदेवता की पूजा कर भगवान शिवजी से परिवार की सुख सलामती की कामना की।

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