जिले की घोषणा नहीं होना कांग्रेस और अमितेश का दुर्भाग्य है:रोहित
राजिम । राजिम जिला घोषित नहीं करने पर भड़के रोहित साहू यह राजिम क्षेत्र के 3 लाख लोगों के साथ विश्वासघात मुख्यमंत्री से राजिम को जिला बनाने मंच से मांग करने की बात करने वाले राजिम विधानसभा क्षेत्र के लोगों को अपने परिवार बताने वाले विधायक अपने बताने वाले परिवार के विकास के खातिर राजिम को जिला बनाने के लिए एक शब्द भी नहीं बोलें यह दुर्भाग्य की बात है राजिम विधानसभा क्षेत्र में दो दिनों की भेंट मुलाकात कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा राजिम को जिला नहीं बनाए जाने पर क्षेत्र की जनता की नाराजगी को देखते हुए जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू ने कई गंभीर आरोप लगाते हुए भड़क गए हैं। उन्होंने सीधे कहा है कि राजिम का जिला नहीं बनना दुर्भाग्य राजिम का नहीं बल्कि कांग्रेस और अमितेश शुक्ला का है। उन्होंने लाखों जनता के साथ विश्वासघात किया है। 6 नवंबर को हुई सर्वदलीय बैठक जिसमें भाजपा, कांग्रेस, बसपा व्यापारी संघ, अधिवक्ता संघ के अलावा सैकड़ों की संख्या में राजिम नवापारा एवं क्षेत्र के लोग मौजूद थे उनके बीच में उन्होंने संबोधन करते हुए कहा था कि मैं जिला का विरोधी नहीं हूं मैं खुद मुख्यमंत्री से राजिम जिला की मांग किया है। जब कभी भी मुख्यमंत्री राजिम या फिर जिले के प्रवास पर पहुंचेंगे, जोर शोर से राजिम जिले की मांग रखूंगा। तब से लेकर जनता मुख्यमंत्री का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जैसे तैसे 5 और 6 दिसंबर को मुख्यमंत्री के भेंट मुलाकात कार्यक्रम बना। 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छुरा एवं फिंगेश्वर सभा को संबोधित किया। इस दौरान विधायक अमितेश शुक्ला भी अपनी बात रखें, लेकिन उन्होंने राजिम जिला के संबंध में एक शब्द भी नहीं बोला। लोग उनकी ओर निहारते रहे उन्हें एकटक देखते रहे कि हमारे विधायक कब राजिम जिला की मांग मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे। वह तो चुप्पी ही साध लिए थे। श्री रोहित साहू ने आगे कहा कि आखिरकार क्या कारण है कि विधायक अमितेश शुक्ला अपने कथन से मुकर गए। मौन धारण कर लिया। क्या विधायक राजिम को जिला बनाना नहीं चाहते। इस विधानसभा ने उन्हें विधायक से लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री बनाया तथा उनके पिताजी पंडित श्यामाचरण शुक्ला लगातार अविभाजित मध्यप्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे। पूरा राजिम विधानसभा उन्हें राजधानी रायपुर, भोपाल से लेकर दिल्ली तक पहुंचाया और उसी राजिम को जिला बनाने में मौन धारण कर लिए हैं यहां के बच्चा-बच्चा ऐसे विधायक के प्रति नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। रोहित साहू ने आगे बताया कि 5 दिसंबर को रात्रि 9:00 बजे एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें पूर्व जनपद अध्यक्ष राघोबा महाडिक, राजिम भक्तिन मंदिर समिति के अध्यक्ष लाला साहू, पूर्व अध्यक्ष महेंद्र साहू, अधिवक्ता संघ के हिमांशु दुबे, राधोबा महाडीक रेखा जितेंद्र सोनकर दिलीप साहू भोले सहु योगेश साहू इत्यादि लोगों ने मुख्यमंत्री के पास जाकर जिले की मांग रखी। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि मैं राजिम को जिला नहीं बना सकता। उसके बारे में बात नहीं करूंगा। जबकि वहां पर मुख्यमंत्री के बगल में विधायक अमितेश शुक्ला बैठे रहे और एक शब्द भी नहीं बोला। उसके बाद सभी सदस्य नाराज होकर वापस हो गए। इधर राजिम मुख्यालय को कोई बड़ी सौगात नहीं मिलने से जनता खपा है। श्री साहू ने बताया कि राजिम को फूटी कौड़ी नहीं मिला है। धर्मनगरी के नाम पर नहीं इन्हें जिला बनाएं और ना कोई बड़ा सौगात दिया है। इसका दूरगामी परिणाम शीघ्र देखने को मिलेगा। उन्होंने बताया कि फिंगेश्वर की सभा में मैं खुद मुख्यमंत्री के पास बात रखने के लिए निवेदन किया तब मुख्यमंत्री और खुद विधायक ने कहा कि आपको अवसर दिया जाएगा लेकिन उन्होंने मुझे अवसर नहीं दिया। मैं यह मांग करने वाला था कि हमारे गरियाबंद जिला में जिसमें राजिम, फिंगेश्वर, गरियाबंद, छुरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सीटी स्कैन, सोनोग्राफी, एम आर आई करने की कोई सुविधा नहीं है। हल्की चोट लगने पर प्राइवेट में उन्हें हजारों रुपए खर्च करना पड़ता है या फिर रायपुर मेकाहारा जाने में समय के साथ साथ खर्चा भी ज्यादा होते हैं। यह प्रदान करने के लिए आवेदन भी बनाया था लेकिन मुझे मौका नहीं मिलने के कारण जनहित का यह कार्य नहीं हो पाया।