संगम में लगे नदिया पुन्नी मड़ई में उमड़े श्रद्धालुओं का जनसैलाब
राजिम । तीर्थ के राजा प्रयाग नगरी के त्रिवेणी संगम पर कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर लगने वाले नदियां पुन्नी मड़ई में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा था। शाम होते-होते तक तो मड़ई स्थल में धक्का मुक्की तक होती रही। मड़ई के प्रति लोगों में उत्साह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी। संगम की रेत पर तरह-तरह की दुकान सजे हुए थे। इसमें खिलौने और खाद्य पदार्थ की दुकान सबसे ज्यादा थी। होटल का भजिया, आलू गुंडा, समोसा, बड़ा लोग चाव से खा रहे थे। बच्चें और महिलाओं की सबसे ज्यादा पसंदीदा गुपचुप खाने के लिए प्लेट लेकर खड़े हुए थे और जैसे ही उन्हें मुंह में डालते मुंह पैक जाता। खट्टी मीठी गुपचुप और चाट ने चटपटा कर दिया। शाम होने से पहले पारंपरिक वाद्य यंत्र के साथ मड़ई लेकर यादवों की टोली आया। दोहा लगाते हुए मधुर धुन पर पांव थिरक रहे थे। आकर्षक वेशभूषा के साथ देखते ही बन रही थी। मंदिर में सुबह 4:00 बजे से ही श्रद्धालुओं की कतार लग गई थी। अपने साथ में नारियल तथा पूजा के सामग्री और जल लेकर परिवार सहित पहुंचे हुए थे। नदी में पानी का ठेलान होने के कारण लक्ष्मण झूला के माध्यम से ही लोग मंदिर तक पहुंचे। जैसे ही कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर के पास आए, वहां पर मंदिर जाने के मार्ग को बंद कर दिया गया था। लक्ष्मण झूला चढ़कर राजिम की ओर से आने वाले लोगों को बेलाही घाट तक जाना पड़ रहा था। वहां से उतर कर नीचे से होकर मंदिर पहुंचे। सुबह से लेकर रात 8:00 बजे तक लाखों श्रद्धालु लक्ष्मण झूला के माध्यम से मंदिर में पहुंचे और दर्शन पूजन किया। इधर धमतरी, गरियाबंद, रायपुर तीनों जिला के अलावा अन्य क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हुए थे जिसके चलते मंदिरों में भीड़ ज्यादा रही। घंटियां की झंकार तथा हर हर महादेव और राजीवलोचन की जयकारा से पूरा संगम क्षेत्र गूंज उठा। नदी में शुद्ध पानी की तलाश में स्नान करने वाले लोग भटकते रहे। अंतत: जैसा पानी दिखा वैसा स्नान किया। बताना जरूरी है कि संगम में पानी की धार नहीं चल रहा है बल्कि रुका हुआ पानी है जिस पर ही श्रद्धालु डुबकी लगाते रहे। अलग-अलग झुंड में लोग स्नान किया। पिछले तीन-चार दिनों से संगम को शुद्ध करने तथा शुद्ध पानी की व्यवस्था करने की मांग नगरवासियों के द्वारा किया जाता रहा हैं, परंतु किसी ने ध्यान नहीं दिया। मजबूरी में ही सारे धार्मिक अनुष्ठान नदी की रेत में ही करने पड़े। त्रिवेणी संगम में कार्तिक पूर्णिमा स्नान की अपनी अलग महत्व है। पूरे कार्तिक मास तक स्नान करने वाले श्रद्धालुओं ने सुबह से ही नदी में स्नान किया तथा दीपदान किया और रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना किया। प्राचीन मान्यता के अनुसार त्रेता युग में देवी सीता वनवास काल के दौरान लोमस ऋषि से मिलने के लिए नदी मार्ग से होते हुए त्रिवेणी संगम पहुंचे थे। उन्होंने स्नान कर रेत से शिवलिंग बनाकर अपने कुल की आराध्य देवता पर जल अभिषेक किया था तब से यह कुलेश्वरनाथ महादेव कहलने लगा। इसी समय से त्रिवेणी संगम तथा आसपास के क्षेत्र में रेत से शिवलिंग बनाने की परंपरा चल पड़ी है।
परिवार सहित बैठकर नदी में खाने का उठाया लुफ्त
भगवान कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के दाहिने तरफ लोग चटाई लेकर नदी की रेत में बैठे हुए थे और परिवार सहित मिलकर भोजन का आनंद उठा रहे थे। भोजन कम हो जाता तो होटल से जाकर खाद्य सामग्री ले आते। साल भर में ऐसा पहला दृश्य है जो सबको रोमांचित कर देता है। बच्चे रबड़ वाली कूदने की झूला का लुफ्त तो उठा रहे थे। मड़ई में अपने सगे संबंधियों से मेलजोल भी होता रहा। इस बात मेले में लगाई दुकान पर अच्छी खरीदारी होने से व्यापारियों के चेहरे पर खुशी की चमक देखी जा रही थी। मिठाई समेत अन्य सामान रखे हुए विक्रेता अच्छा फील कर रहे थे।
कार्तिक पूर्णिमा पर हरि और हर ने धरा आकर्षक स्वरूप
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भगवान पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव को शानदार पुष्प से सजाया गया था तरह-तरह की पुष्पों का उपयोग कर आकर्षक लुक दिया गया था जो देखते ही बन रही थी। मंदिर के चौराहे पर रस्सी लगाकर अलग-अलग कई लाइन लगाई गई थी जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में सरलता हो रही थी। भगवान राजीवलोचन मंदिर में बड़ी भीड़ थी। भगवान राजीव लोचन को शानदार श्रृंगार किया गया था। सिर पर मुकुट, कान में कुंडल, गले में हार, वस्त्र भूषण तथा फूलों से प्रतिमा की छवि देखते ही बढ़ रही थी।
श्रद्धालु गण भगवान राजीव लोचन का दर्शन कर कृतार्थ हो गए। इसके अलावा जगन्नाथ मंदिर, साक्षी गोपाल मंदिर, वामन अवतार मंदिर, बद्रीनारायण मंदिर, नृसिंह अवतार मंदिर, वराह अवतार मंदिर, दान दानेश्वर मंदिर, राजराजेश्वर नाथ महादेव मंदिर, राजिम भक्तिन मंदिर, सूर्य देव मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, पंचेश्वरनाथ महादेव मंदिर, भूतेश्वर नाथ महादेव मंदिर, बाबा गरीब नाथ महादेव मंदिर, सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर, लोमस ऋषि आश्रम, महामाया मंदिर इत्यादि में श्रद्धालु दिनभर पूजन दर्शन करते रहे।