https://tarunchhattisgarh.in/wp-content/uploads/2024/03/1-2.jpg
छत्तीसगढ़

देवउठनी एकादशी को देव पांच माह की योग निद्रा से जागे

राजिम । देवउठनी एकादशी अर्थात छोटी दिवाली बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया। इस मौके पर गन्ने का मंडप बनाया गया तथा तुलसी माता और शालिग्राम भगवान का विवाह किया गया। बताया जाता है कि 29 जून को देवशयनी एकादशी के साथ भगवान विष्णु चातुर्मास शयन के लिए चले गए थे। उसके बाद 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर जागे हैं। इस तरह से 148 दिन बाद अर्थात लगभग 5 महीने बाद अब मांगलिक कार्यक्रम होंगे। जिनमें गृह प्रवेश से लेकर विवाह संस्कार इत्यादि कार्यक्रम संपन्न होंगे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के देवउठनी एकादशी मां लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ दिन माना गया है। इस दिन रात्रि जागरण कर पूजा करने से आने वाली 10 पीढ़ी विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करती है। पितृ नरक से मुक्ति पाते हैं ऐसा माना जाता है। वैसे एकादशी तिथि 22 नवंबर को रात 11:03 से लग गया था। व्रत का पारणा 24 नवंबर को सुबह 6:51 के बाद होगी। छोटी दिवाली को लेकर बाजार में पूजन में उपयोग आने वाले खाद्य पदार्थ की कीमत बढ़ गई थी। बैगन 80 रुपए किलो, कोचाई ?60, कांदा ?60, किला 60 से ?80 दर्जन, सेब ?120 किलो, सिंघाड़ा ?40 इत्यादि। इनकी कीमत बढऩे से लोगों की पैकेट जरूर ढीले हुए। शाम को विधि विधान के साथ नए कपड़े पहनकर दीप जला कर तुलसी महारानी एवं शालिग्राम भगवान की पूजा अर्चना किया गया तथा प्रसाद भी बांटा गया। धर्म नगरी में भगवान विष्णु के राजीव लोचन मंदिर, छोटे राजीवलोचन मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर में तुलसी विवाह का कार्यक्रम विधि विधान के साथ हुआ। इस मौके पर राजीव लोचन मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में दिया जलाए गए और दिये की रोशनी से मंदिर जगमगा उठा। इधर गांव में गायों को सोहई बांधा गया। रात्रिकाल में पुराने टुकना को जलाकर घी, चावल, दाल इत्यादि समर्पित करते हुए पूरे पर्व को सफलता की कामना करते हुए शांति गया ।त्योहार को लेकर बच्चों सहित बड़े भी पटाखे फोड़ कर खुशियां मनाई। त्योहार को लेकर बाजार में भी अच्छी खासी रौनकता देखने को मिली।

Related Articles

Back to top button