जीवनदाता कहे जाने वाले डॉक्टरों की सुरक्षा पर लग रहा ग्रहण
पत्थलगांव । लाईफ लाईन कहे जाने वाले डॉक्टर भी अब यहा सुरक्षित नही है,सिविल हॉस्पिटल के अंदर असामाजिक तत्वो का आना जाना लगे रहने के कारण यहा हर रोज छिटपुट घटनायें घट रही है। सिविल हॉस्पिटल मे कार्यरत डॉक्टर हो या कर्मचारी अपनी सुरक्षा को लेकर अधिकारीयों की चौखट झांक रहे है,परंतु धरती का भगवान कहे जाने वाले इन लोगो को अब तक शासन-प्रशासन की ओर से कोई सुरक्षा नही दी गयी। वैसे कहे तो डॉक्टर या यहा के कर्मचारी शासन प्रशासन से मांग ही क्या रहे है,उनकी मांग माने तो सिविल हॉस्पिटल मे सिर्फ दो चार सुरक्षा गार्ड की तैनातगी ही सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टर एवं कर्मचारीयों की मांग है,परंतु इसे शासन प्रशासन की आंख मिचौली कहा जा सकता है कि जिन जनप्रतिनिधियों के आगे पीछे सुरक्षा को लेकर अनेक गार्ड सलामी देते दिखायी देते हो,वही लोगो का जीवन बचाने वाले डॉक्टर अपनी सुरक्षा के लिए गार्ड की मांग करते उच्च अधिकारीयों के पास दरख्वाश लगाते घुम रहे है,इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि सिविल हॉस्पिटल मे दिन हो या रात यहा के डॉक्टर एवं कर्मचारी खुद को लेकर सुरक्षित नही है। पिछले दिनो एक मनचले युवक द्वारा यहा की महिला कर्मचारी से दुव्र्यवहार किया गया था,जिसके बाद सिविल हॉस्पिटल मे कार्यरत एक दर्जन से भी अधिक डॉक्टरएवं महिला कर्मचारीयों ने नवपदस्थ एस.डी.एम को ज्ञापन सौंपकर अपने लिए सुरक्षा की मांग की थी,परंतु यह भी एक सोचने वाला प्रश्न है कि एक सक्ष्म अधिकारी को लाईफलाईन कहे जाने वाले चिकित्सा क्षेत्र से जुडे लोग सुरक्षा की मांग करते है और उनके द्वारा अब तक डॉक्टरो की मांग पर दो सुरक्षा गार्ड मुहैया नही कराये जा सके। आगामी समय मे चुनाव नजदीक है,यदि शासन प्रशासन अपने ही नुमाईंदो की सुरक्षा नही कर सकता है तो जनता के हित की बातें उनके दिल एवं दिमाग मे कहा तक है ये बात मतदाता जरूर सोच सकते है।।
नशेडियों का दिनभर रहता जमावडा-:सिविल हॉस्पिटल इन दिनो किसी सार्वजनिक सराय से कम नजर नही आता। दिन हो या रात यहा हर समय शराबी,जुआडी,नशेडी एवं मनचले युवक युवतियों का ठिकाना बने रहता है। शाम ढलते ही यहा आई.सी.यू के पास सुनी जगह मे मनचले युवक युवतियों को गप्पे हांकते आसानी से देखा जा सकता है,जबकि उनका सिविल हॉस्पिटल मे कोई कार्य नही है,उसके अलावा थोडी रात होते ही यहा अंधेरे का फायदा उठाकर नशेडी लोग अपना ठिकाना बना देते है। वही जब सुबह सिविल हॉस्पिटल की ओ.पी.डी या अन्य बडे हाल पर नजरे दौडायी जाये तो दो दर्जन से भी अधिक मुसाफिर सोते दिखायी देते है,ऐसे मे यहा सुरक्षा को लेकर सवाल उठना जायज है।
।क्रोध मे धरती के भगवान-:बार-बार अपनी सुरक्षा की मांग करने के बाद भी सुरक्षा मुहैया ना होता देख अब डॉक्टर एवं सिविल हॉस्पिटल के अन्य कर्मचारी क्रोध मे दिखने लगे है। उनका क्रोध अब इतना बढ चुका है कि वे यहा पहुंचने वाले आवारा किस्म के लोगो से खुद ही निपटने का मन बना रहे है,ऐसे मे यदि किसी नशेडी अपराधी किस्म के व्यक्ति से सिविल हॉस्पिटल के किसी भी डॉक्टर या कर्मचारी का पाला पडता है और नुकसान उन्हे उठाना पडता है तो इसकी समस्त जवाबदारी नगरीय प्रशासन के साथ पुलिस प्रशासन की भी होगी।।
–जिला कमांडेंट एवं एस.डी.एम राजस्व को पत्र व्यवहार कर सुरक्षा गार्ड की मांग की गयी है,सुरक्षा की दृष्टि से वैकल्पिक व्यवस्था मे वार्ड बॉयो को तैनात किया गया है।
डॉ जेम्स मिंज-ब्लाक चिकित्सा अधिकारी-पत्थलगांव