छत्तीसगढ़

सरकार की कई योजनाओं के बाद भी कुम्हारों की स्थिति नहीं सुधरी

राजेश अग्रवाल
पत्थलगंाव । कुम्हारो की आर्थिक स्थिती सुधारने के लिए शासन ने अनेक महत्वपूर्ण योजनायें क्रियान्वन कर रखी है,परंतु कुम्हारो तक सरकारी योजनायें ना पहुंच पाने के कारण उनकी स्थिती आज भी पूर्व की भांति ही बनी हुयी है। यही कारण है कि क्षेत्र के कुम्हार आज भी अपने द्वारा निर्मित मिटटी के सामान को बेचने के लिए घर-घर की चौखट झांकने के अलावा सप्ताह में लगने वाले हॉट बाजार पर निर्भर रहते है। सुबह से शाम तक बाजार मे कडी मशक्कत करने के बाद उन्हे उनकी मेहनत की सही रकम नही मिल पाती,शाम ढलते ही ग्राहक के मुंह मांगी कीमत पर कुम्हार अपना सामान बेचकर मायुस घर लौट जाते है। क्षेत्र मे पांच सौ से भी अधिक कुम्हार मिट्टी के घडे,दीये एवं अन्य सामान बनाकर अपना गुजर बसर कर रहे है। महंगाई के दौर मे जहा अधिकांश सामानो के दर में काफी वृद्धि हो चुकी है,वही कुम्हारो द्वारा निर्मित मिट्टी के सामान आज भी लोगो को पुराने दाम पर ही चाहिये होते है। कुम्हार ग्राहक के मनचाहे दर पर अपना सामान बेचने को मजबुर है,उनके लिए सही प्लेटफार्म ना रहने के कारण आज भी कुम्हारो को गली-गली घुमकर ही अपना सामान बेचना पडता है। कुम्हारो का एक बडा तबका ग्रामीण क्षेत्र मे निवास करता है। शासन की अधिकंाश योजनायें शहरी क्षेत्र मे ही प्रचार प्रसार होकर सिमट जा रही है,यही कारण है कि शासन की अधिकांश महत्वकांक्षी योजनायें ग्रामीण क्षेत्र में निवास जरूरतमंद ग्रामीणों तक पहुंच नही पाती। कुम्हारो के साथ भी कुछ ऐेसे ही हालत बने हुये है। उन्हे सरकार की ओर से मिलने वाले संसाधन के अलावा सरकारी लोन की जानकारी ना रहने के कारण पुराने संसाधनो से ही उन्हे अपना व्यवसाय संचालित करना पड़ रहा है,जिसकी लागत अधिक एवं कीमत कम मिल पाती है।
ग्राम स्वर्ण जयंती योजना संचालित-कुम्हारो की स्थिती मे सुधार लाने के लिए शासन ने ग्राम स्वर्ण जयंती योजना संचालित कर रखी है,इस योजना मे ग्राम पंचायतो के माध्यम से कुम्हारो को शासकीय योजना का लाभ समझाकर उनकी आर्थिक स्थिती मे सुधार लाना है। शासन की इस योजना के तहत कुम्हारो को एक लाख रूपये तक का लोन एवं काम करने के लिए विद्युत चाक उपलब्ध कराना है,परंतु ग्रामीण क्षेत्र तक शासन की ऐसी महत्वकांक्षी योजनायें पहुंचने से पहले ही दम तोड देती है। बताया जाता है कि शासन की योजनायों का क्रियान्वन ग्रामीण क्षेत्रो मे ग्राम पंचायतो के माध्यम से कराया जाना है।।
माटी कला बोर्ड की स्थापना-:कुम्हार अपने परंपरागत व्यवसाय के जरिये मिट्टी का सामान बनाकर जीवन व्यतीत कर रहे है,उनकी आर्थिक स्थिती मे सुधार लाने वाले माटी कला बोर्ड की स्थापना हुये आठ वर्ष व्यतीत हो चुके है,परंतु किसानों को इस बोर्ड का समुचित लाभ नही मिल पा रहा,जिसके कारण कुम्हारो का जीवन मे आज भी कोई बदलाव नही आ पाया है,वे माटी के सामानो को कडी मशक्कत कर बनाने के बाद उसे बेचने के लिए गली-गली ग्राहक की तालाश मे घुम रहे है। तिलडेगा के रहने वाले जयपाल कुम्हार ने बताया कि उन्हे शासन की किसी भी योजना के संबंध में किसी प्रकार की जानकारी आज तक नही मिली।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button