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छत्तीसगढ़

टाइगर प्रोजेक्ट मे ४०० हेक्टेयर भूमि को बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण से मुक्त कराया गया

गरियाबंद। उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व के अंतर्गत इंदागांव परिक्षेत्र (बफर) के सर्कल इंदागांव परिसर बनवापारा में लभगग १५१.१९८ हेक्टेयर में ७० व्यक्तियों के द्वारा अतिक्रमण किया गया । उक्त अतिक्रमणकारियों के विरूद्ध नियमानुसार वन अपराध पी.ओ.आर जारी किया गया अतिक्रमण प्रभावित वन क्षेत्र का जीपीएस सेर्वे कराया गया। तत्पश्चात ड्रोन कैमरा से उक्त वन भूमि का सर्वे किया जाकर प्राप्त ईमेज का मिलान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंन्द्र (राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र) से मांगी गई सैटेलाईट मे वन क्षेत्रों का वर्ष २०१९-२० के बाद वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण कर झोपड़ी निर्माण एवं खेती करना प्रारंभ हुआ है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम १९७२ की धारा ३४ (क) एवं भारतीय वन अधिनियम १९२७ (संशोधन) की धारा ८० (क) के तहत बेदखली हेतु समय-समय पर नोटिस दिया गया वन भूमि पर काबिज से संबंधित कोई भी संतुष्ट पूर्ण जवाब / दावा आपत्ति प्रस्तुत नहीं किया गया । जिसके चलते कुछ ग्रामों को अतिक्रमण मुक्त कराया गया

इस संबंध में उदंती सीतानाडी टाइगर प्रोजेक्ट के उपनिदेशक वरुन जैन से चर्चा करने पर वह इस इन अतिक्रमणकारियों के संबंध में बतलाते हैं साथ ही वे कहते हैं कि अनेक स्थानों को कब्जा मुक्त कराया जा रहा है और आगे भी यह कार्यवाही जारी रहेगी अतिक्रमणकारियों के वर्तमान में गणना में पाया गया है कि ३४२ नग ठूंठ एवं गर्डलिंग ७७ वृक्षों की किया जाना पाया गया है। इसके अतिरिक्त अतिक्रमणकारियों के द्वारा वृहद पैमाने पर गर्डलिंग की गई है एवं वृक्षों के सूख जाने पर उनकी कटाई की गई है तथा ठूंठ को जला दिया जा रहा है, ताकि कोई सबूत न रहे।प्रथम दृष्टया यह भी संज्ञान में आ रहा है कि अतिक्रमणकारियों में यह भ्रांति फैली है कि कुछ वर्षो बाद उन्हे इस कब्जे की भूमि का वन अधिकार पत्र मिल सकता है। ईचरादी एवं गोहरामाल बस्ती को देख कर अन्य अतिक्रमणकारी भी जंगल को कांट कर कब्जा करने की चेस्टा में है। ऐसी भी सूचना है कि अतिक्रमणकारी अपने कब्जे की भूमि को लीज पर देकर राज्य के बाहरी व्यक्तियो से खेती किसानी करवा रहे है, साथ ही पेय जल हेतु बोरिंग / बोर तथा विद्युत हेतु सोलर सिस्टम पंचायत के माध्यम से प्रदाय किया जा रहा है। कुछ अतिक्रमणकारियों का मूल निवास स्थान विश्रामपुरी, दुधावा, नरहरपुर, माकड़ी, कांकेर एवं उडीसा आदि से भी है। ड्रोन सर्वे (वर्ष २०२३ ) एवं इसरो से प्राप्त मानचित्र से (वर्ष २००८, २०१२ ) के मिलान से यह स्पष्ट है कि करीब ४०० हेक्टेयर में वन क्षेत्र की सफाई की गयी है। इन सारी स्थितियों को देखते हुए अतिक्रमण को हटाना जरूरी था और इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों से वन बल बुलाकर इन के अतिक्रमण को हटाया गया

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